तारिक खान, रायसेन ( मप्र ), NIT;
रायसेन जिले में नर्मदा सेवा यात्रा को लेकर घाटों की साफ-सफाई व निर्माण कार्य के साथ ही बडी संख्या में दोना-पत्तल बनवाए जा रहे हैं।
28 मार्च को रायसेन जिले के ग्राम भारकच्छकलां में शाम के समय नर्मदा सेवा यात्रा प्रवेश करेगी। नर्मदा सेवा यात्रा के लिए तेजी से तैयारियों की जा रही हैं। घाटों की साफ-सफाई, सड़कों की मरम्मत, शासकीय भवनों की पुताई तथा नारे लेखन का कार्य तेजी से चल रहे हैं।
ग्राम भारकच्छकलां के मदागन घाट तथा परिक्रमा पथ की साफ-सफाई तथा मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही गांव के शासकीय भवनों की पुताई का कार्य भी चल रहा है। लोगों को गांव में स्वच्छता के लिए जागरूक किया जा रहा है। नर्मदा नदी एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए दीवारों पर प्रेरक नारे लिखे जा रहे हैं।
नर्मदा सेवा यात्रा की तैयारियां न केवल प्रशासन की ओर से की जा रही है बल्कि अन्य संस्थाओं द्वारा भी अपने-अपने स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। नर्मदा सेवा यात्रा के लिए तथा नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जा रहा है, ताकि यात्रा के पश्चात भी स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता बनी रहे। मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद की विभिन्न समितियों द्वारा गांवों में बैठक आयोजित कर लोगों को नर्मदा सेवा यात्रा में शामिल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
- नर्मदा सेवा यात्रियों के लिए बनाए जा रहे हैं 10 हजार दोना-पत्तल
हम मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि सेवा के उद्देश्य से बना रहे हैं दोना-पत्तल। यह कहना है ग्राम गडरवास तथा गोटीबहरा के स्व-सहायता समूह की महिलाओं का। समूह की नन्ही बाई, कृष्णा बाई, प्रभा बाई, छोटी बाई, विमला बाई, भूरिया बाई, सुनीता बाई सहित अनेक महिलाएं नमामि देवी नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा के यात्रियों के भोजन के लिए 10 हजार दोना-पत्तल पूरी सेवा भाव से तैयार कर रही हैं।
समूह की महिलाओं का कहना है हम नर्मदा परिक्रमा नहीं कर पाए, लेकिन हमें नर्मदा परिक्रमा करने वाले यात्रियों की सेवा करने का अवसर मिला है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है और हम पूरी लगन और सेवा भावना के साथ इस काम में लगी हैं। नर्मदा के किनारे प्लास्टिक की चीजों का प्रयोग करना वर्जित है, इसलिए स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा यात्रियों के भोजन एवं नाश्ते के उपयोग के लिए पलाश तथा महुल के पेड़ के पत्तो से दोना-पत्तल बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है।
एनआरएलएम के जिला परियोजना प्रबंधक डॉ एसडी खरे ने बताया कि नर्मदा तट के गांवों के स्व-सहायता समूह की महिलाएं केवल दोना-पत्तल ही नहीं बल्कि अगरबत्ती तथा अन्य पूजन सामग्री का भी निर्माण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर 10 हजार से भी अधिक दोना-पत्तल बनवाए जाएंगे।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.