राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कार्यक्रम सम्पन्न, खसरा-रूबेला को लेकर किया गया जागरूक | New India Times

संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ ग्वालियर (मप्र), NIT:

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कार्यक्रम सम्पन्न, खसरा-रूबेला को लेकर किया गया जागरूक | New India Timesजिला बाल अधिकार फ़ोरम एवं गोपाल किरन समाज सेवी संस्था ग्वालियर द्वारा शासकीय माध्यमिक स्कुल रामनगर जो की नयी अशोक कॉलोनी मुरार ग्वालियर मे संचलित किया जा रहा है वहा पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कर्यक्रम मे विशेष अतिथी के रुप मे श्रीप्रकाश सिह निमराजे,स्पेशल सेल ग्वालियर से प्रीति जोशी, जहांआरा वीडियो वोलिन्टीयर एवं विध्यालय के प्रधानाध्यापक श्री व्ह्यई. एस. तोमर श्री गुप्ता, नीतु माहोर्, सविता मिश्रा, सूरज परिहार, अजय लहरी आदि उपस्थित हुए।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत विघालय मे गठित स्कूल फ़ोरम के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। यह स्कुल फ़ोरम चाइल्ड राइट्स ओब्सर्वेट्री की जिला ईकाई ग्वालियर, जिला बाल अधिकार फ़ोरम द्वारा बनाया गया हे! स्पेशल सेल से प्रीति जोशी जी ने बालिका दिवस के अवसर पर बताया कि बालिका के लिये राष्ट्रीय कार्य दिवस के रुप में हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। देश में लड़कियों के लिये ज्यादा समर्थन और नये मौके देने के लिये इस उत्सव की शुरुआत की गयी। समाज में बालिका के द्वारा सभी असमानताओं का सामना करने के बारे में लोगों के बीच जागरुकता को बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है। बालिका के साथ भेद-भाव एक बड़ी समस्या है जो कई क्षेत्रों में फैला है जैसे शिक्षा में असमानता, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सीय देख-रेख, सुरक्षा, सम्मान, बाल विवाह आदि।
भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय बालिका विकास मिशन के रुप में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत हुई। लड़कियों की उन्नति के महत्व के बारे में पूरे देश के लोगों के बीच ये मिशन जागरुकता को बढ़ाता है। यह दूसरे सामुदायिक सदस्यों और माता-पिता के प्रभावकारी समर्थन के द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में लड़कियों के सार्थक योगदान को बढ़ाता हे। बच्चों के साथ शिक्षा को लेकर बात की चाइल्ड लाईन के बारे मे बताया। जहांआरा जी ने बच्चों के अधिकार बताये, जेन्डर और गुड़ ट्च बेड ट्च के विषय में चर्चा की।

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कार्यक्रम सम्पन्न, खसरा-रूबेला को लेकर किया गया जागरूक | New India Times

श्रीप्रकाश निमराजे जी ने खसरा ओर रुबेला टिकाकरण अभियान जो कि प्रदेश मे 15 जनवरी से चालाया जा रहा हे जिसके तहत 9 से 15 वर्ष के आयु के बच्चों को लक्ष्य रखा गया हे इस अभियान के प्रति जागरूकता के संदेश से उन्हे व अभिभावको को प्रेरित करना हे 37% खसरा के केस भारत मे होते हे खसरा तेजी से एक दुसरे को संक्रमित करने वाला वायरस हे इसके बारे मे बच्चों को बिंदुवार बताया कि-

1. किस उम्र के बच्चों को लगना है :

यह टीका इस कार्यक्रम के तहत 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों अथवा स्कूलों में नर्सरी से दसवीं तक के बच्चों को लगना है। जिनमें सरकारी एवं प्राइवेट स्कूल दोनों आएंगे।

2 किन बीमारियों से सुरक्षा मिलेगी :

इस टीके एम आर में एम का अर्थ है मीसल्स एवं आर का अर्थ है रूबेला। अतः मीसल्स एवं रुबेला नाम के संक्रामक वायरस से सुरक्षा मिलेगी।

3. जैसे, अगर बच्चे को बचपन में टीका लग गया है तो क्या फिर दोबारा से लगाना चाहिए? यानी दोबारा से टीके के साइड इफेक्ट तो नहीं हैं?

प्राइवेट क्लिनिक से बहुत से अभिभावक एम एम आर का टीका लगवा चुके होते हैं जो कि, 9 माह एवं 15 माह की उम्र पर लगता है। किंतु इस टीके के लगे होने के बावज़ूद एम आर का यह सरकारी टीका लगवाना पूर्णतः सुरक्षित है। एवं देश से खसरा एवं रुबेला के वायरस को ख़त्म करने की ओर महत्वपूर्ण क़दम है। प्राइवेट में उपलब्ध एम एम आर के टीके में मीसल्स एवं रुबेला के अत्तिरिक्त मम्प्स वायरस का भी टीका होता है।

4. हमें स्कूल या घरों में आई टीम से टीके लगवाना चाहिए या प्राइवेटेली कहीं जाकर?

स्कूल में या घर में आई सरकारी टीम से यह टीका लगवाया जा सकता है। प्राइवेट में यदि आप टीके लगवाते रहे हैं तो अन्य टीकों के शेड्यूल पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

5.क्या जो टीम टीका लगाने आएगी, वह इस बात का पूरा ध्यान रखेगी कि टीका सही है ?

यह कार्यक्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन, राज्य सरकार, केंद्र सरकार की सीधी निगरानी में है एवं भारत के लिए बेहद गर्व की बात है। क्योंकि यह अपने तरह का विश्व का सर्वाधिक बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम है। अतः इसमें उच्च गुणवत्ता एवं सुरक्षा का पूर्णतः ख़याल रखा गया है। साथ ही लोकल शिशु रोग विशेषज्ञों का सहयोग भी लिया जाएगा।

– मेरा बेटा/ बेटी स्कूल में पढ़ रहा है। टीका लगने के बाद क्या फीवर तो नहीं आएगा?

आम तौर पर इस टीके से कोई तकलीफ, दर्द या बुख़ार इत्यादि नहीं होता। रेयर केस में होगा भी तो 24 घंटे से अधिक नहीं होगा। जो कि पेरासिटामोल से नियंत्रित भी रह सकता है।

– इस टीके के लगने के बाद क्या मेरा बेटा या बेटी MR से पूरी तरह से हमेशा-हमेशा के लिए बच सकेगा?

दुनिया के 37 प्रतिशत खसरा के केस भारत में होते हैं। इस टीके के बाद खसरा एवं रुबेला होने की संभावना
में 90 प्रतिशत तक कमी आएगी । इसका असर आजीवन रहेगा

– क्या इस टीके के बाद फिर से टीका लगवाना पड़ेगा? कितने साल बाद लगवाना पड़ेगा?

क्या होगा यदि मैं अपने बच्चे को यह टीका न लगवाऊँ?
खसरा ,तेज़ी से एक दूसरे को संक्रमित करने वाला एक वायरस है जिससे लगभग 25 लाख बच्चे प्रतिवर्ष भारत में संक्रमित होते रहे हैं, जिनमें से तक़रीबन 49000 की मृत्यु प्रतिवर्ष हो जाती है। खसरे का टीका 9 माह की उम्र पर राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल है , जिससे काफी सुधार हुआ भी था स्थिति में , किन्तु फिर भी खसरे से होने वाली विश्व की कुल मृत्यु का 37 प्रतिशत भारत में होता रहा है। ऐसे में आवश्यकता थी इस जानलेवा किन्तु आसानी से रोकथाम किये जाने वाले वायरस का प्रभाव एवं फैलाव बड़े स्तर पर रोकने की ।

अतः 2 वर्ष में सम्पूर्ण भारत में 44 करोड़ बच्चों को यह टीका दिया जाना है। जिससे इन दोनों खतरनाक वायरस के संक्रमण एवं प्रभाव को रोक दिया जाए। ऐसे में हम सबकी ज़िम्मेदारी है, अच्छे नागरिक एवं देशभक्त के भी रूप में एक अच्छे अभिभावक के अत्तिरिक्त भी।
यदि बहुत सारे अभिभावक इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे तब वायरस को अवसर मिलता रहेगा।

भारत ने इसके पहले स्मॉल पॉक्स, पोलियो के निर्मूलन एवं नवजात शिशु के टिटनेस पर नियंत्रण हासिल करने में अभूतपुर्व सफ़लता प्राप्त की है।

खसरा के लक्षण
सर्दी खांसी के साथ बुख़ार, एवं तीसरे से चौथे दिन पर लाल दाने चेहरे पर आते हैं। बुख़ार एक हफ्ते जे भीतर ठीक हो जाता है। किंतु रोगप्रतिरोधक क्षमता, कमजोरी कुछ माह तक बनी रह सकती है। जिससे अन्य कीटाणु हमला कर बीमार कर सकते हैं।

रुबेला वायरस संक्रमण गर्भावस्था के दौरान मां को हो जाये तो शिशु में गंभीर जन्मजात व्याधियां ज़ैसे मोतियाबिंद, दिल की धमनी का खुला रह जाना, बहरापन,
मेन्टल रिटार्डेशन इत्यादि हो सकता है। अतः आज यदि एक बच्ची इस टीके से सुरक्षा पाती है तो यह अगली पीढी तक के लिए सुरक्षा होगी।

देश में रूबेला संक्रमण से प्रतिवर्ष 40000 नवजात शिशु
गंभीर जन्मजात डिफेक्ट्स के साथ जन्म लेते हैं। कुमारी जहाँआरा जी ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि हमको ज्यादा से ज्यादा बेटियो को रूबेला संक्रमण से प्रतिवर्ष 40000 नवजात शिशु गंभीर जन्मजात डिफेक्ट्स के साथ जन्म लेते हैं जो चिंता जनक है जिसके लिए सार्थक पहल करने की जरूरत है कुमारी जहाँआरा ने संबोधित करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में बेटियों को साक्षर करना उनमें स्वच्छता व स्वलम्बन के लिए कार्य करने की जरूरत है तथा जिन बच्चियों स्कूल छोड़ा है उनको स्कूल से जोड़ना जरूरी हैं जहाँआरा ने अपनी बात को आगे बढातेहुए कहा कि लड़कियों व महिलाओं की भलाई के कार्य करने के लिए केन्द्र सरकार व सरकार ने बहुत सी जनकल्याणकारी योजनाओं को शुरू किया है जिनसे जुड़कर लड़कियों को बहुत लाभ मिल रहा है, पढ़ी लिखी महिलाएं समाज के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती ।बेटा बेटी एक समान है यह कहावत अब पुरानी हो गई है अब जरूरत तो बेटियों को आगे बढ़ाने की है, केवल बातों से ही काम नहीं चलने वाला, एक बेटी किसी भी रूप में हो उसके बिना परिवार अधूरा है, परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी बनती है कि वह जिस तरह बेटे से बात करता है उसी तरह बेटी से भी सलह करें, घर के मुखिया को बेटियों को कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि जब घर के लोग बेटियों को आत्म विश्वास से भर देंगें तो वह समाज में कहीं कमजोर नहीं पड़ेगी, बेटो के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगी ने कहा कि वो स्वयं भी एक बेटी है, वो शुरूआत में अकेले ही इस दिशा में आगे बढ़ी थी जैसे जैसे साथ मिलता गया कारवां बनता गया, जब मैनें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में कार्यक्रम करना शुरू किया तो समाज में किसी ने इस कार्य को सही बताया तो किसी ने उपेक्षा भी की, लेकिन मैनें किसी की तरफ ध्यान नहीं दिया, लगन के साथ कार्य करती रही ओर उसका नतीजा सबके सामने है हमारा जोकि पहले लिंगानुपात में बहुत पिछड़ गया था में लिंगानुपात तेजी से बढ़ रहा है , ने कहा कि दहेज सबसे बड़ी कुप्रथा है ओर इस कुप्रथा को हम सब को मिल कर खात्मा करना है व बेटियों को शिक्षित बना कर आत्मनिर्भर बनाना है इस अवसर पर कहा कि विधालय में साफ सफाई स्वच्छता व छात्राओं की पढ़ाई का पूरा ध्यान रखा जाता है ,बेटियों को अगर पूरे मौके दिए जाए तो बेटियाँ हर कार्य को कर सकती है,बेटियाँ खेल कूद में भी पदक जीतकर अपनी पहचान बना रही है, स्पेशल सेल से पधारी श्री प्रति जोसी ने पोपक्सो एक्ट, लैंगिक भेद भाव, बाल अधिकार, महिला हिंसा के विभिन्न स्वरूप पर चर्चा करते हुए उसके बचाव पर बात की। इसके अलावा विभिन्न लोगो ने भी विचार व्यगत किये।
राष्ट्रीय बालिका दिवस की सभी को बधाई देते हुए कहा कि देश में बेटियों की कम होती संख्या को देखकर बेटियों का हौंसला बढ़ाने व समाज को जागरूक करने के लिए प्रति वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाने लगा।
जबसे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया है उसके बाद से समाज में लोगों की सोच में बहुत बड़ा बदलाव हुआ है, लोग अब बेटियों को आगे बढ़ने के मौके दे रहे है व लड़कियां भी मिल रहे अवसरों पर हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर अपनी सफलता का लोहा मनवा रही है, बेटियों की सुरक्षा व जनकल्याण के लिए बहुत सी योजनाएे चलाई हुई है जिनसे जुड़कर लड़कियों व महिलाओं को बहुत लाभ हो रहा है, लड़कियों व महिलाओं को कानूनी सहायता भी उपलब्ध करवाई जा रही है व लोगों के जागरूक होने से भ्रूण हत्या में भी बहुत कमी आई है जिससे हमारी बेटियों को संसार में आने का मौका मिल रहा है सभी से अपील करते हुए कहा कि नारी के बिना संसार अधूरा है, सभी को नारी का सम्मान करना चाहिए व बेटियों को आगे बढ़ने के व आत्मनिर्भर बनने के बेटों के समान ही मौके दिए जाना चाहिए, जहांआरा ने कहा कि सभी को जब माँ, बीवी, बहन, बहू चाहिए तो बेटी क्यों नहीं, जब बेटी होगी तब ही तो ये सब रिश्ते नाते होंगें ,बेटियों के जन्म पर सभी को खुशी मनानी चाहिए।एव अंत मे स्कूल फोरम के अध्यक्ष द्वारा आभार व्यक्त किया गया और राष्टगान से कार्यक्र म की समाप्ति की गई।


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By nit

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