कासिम खलील, ब्यूरो चीफ बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT:
विगत जून माह में बुलढाणा डीएफओ का पदभार संभालने वाले सुरेंद्र वाढ़ई का प्रशासकीय कारण से तबादला हो गया है। 6 माह में सुरेंद्र वाढ़ई का तबादला हो जाना पुरे वनविभाग में खलबली मचा रहा है।बता दें कि सुरेंद्र वाढ़ई एक शिस्त प्रिय और नियमों का पालन करने वाले अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं।
बुलढाणा डीएफओ पद पर कार्यरत बी.टी. भगत का तबादला 26 जून 2018 को हुआ जिन के स्थान पर 28 जून को सुरेंद्र वाढ़ई ने पदभार स्वीकारा। वाढ़ाई के पदभार संभालते ही बुलढाणा के वन विभाग में हलचल मच गई थी। वाढ़ई को पूरे राज्य के वन विभाग में कर्त्तव्यदक्ष और नियम का पालन करने वाले अधिकारी के रूप में पहचाना जाता है। अपने काम को बिना किसी राजकीय दबाव के अंजाम देना ही वाढ़ई अपना कर्तव्य समझते हैं। बुलढाणा में रूजू होने के बाद उन्होंने अनेक कामों की जांच की, इतना ही नहीं कुछ कर्मियों को अपने कर्तव्य में दोषी पाए जाने पर निलंबित भी किया तथा कुछ के प्रस्ताव वरिष्ठों को भेजे हुए हैं। डीएफओ सुरेंद्र वाढ़ई ने वृक्ष कटाई की तरफ ध्यान केंद्रित करते हुए जिले में की गई वृक्ष कटाई की फाइलों पर विशेष ध्यान दिया तथा ठेकेदारों द्वारा काटे गए वृक्षों का नापतोल कराया। उनके इस रवैया को देखते हुए देवलघाट के एक लकड़ी व्यापारी ने जहर भी गटक लिया था। यह मामला भी काफी गरमाया था और जिले के कई नेता वनमंत्री सहित कई बड़े नेताओं तक उनकी शिकायत लेकर पहुंचे थे।
28 दिसंबर को राज्य सरकार के राजस्व व वनविभाग ने एक अध्यादेश जारी किया है जिसमें राज्य भर के 41 अधिकारियों के तबादले किए गए हैं जिसमें बुलढाणा के डीएफओ वाढ़ई का भी समावेश है। वाढ़ई का विभागीय वन अधिकारी सामाजिक वनीकरण अमरावती इस पद पर तबादला किया गया है जबकि बुलढाणा के नए डीएफओ पद की जिम्मेदारी एस.एन. माली को सौंपी गई है। माली सोलापुर में बतौर एसीएफ कार्यरत थे।
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