पंकज शर्मा, ब्यूरो चीफ धार (मप्र), NIT:
आज वर्तमान में सभी शिक्षा को लेकर सोच रहे हैं कि हर एक बच्चा पढ़े एवं बढे, बहूत अच्छी बात। माता-पिता भी तरह तरह के जतन करके पढ़ाते हैं बच्चों को। हर एक पालक का सपना होता है कि हमारा बच्चा पढ लिख कर डाॅक्टर, इंजीनियर बने, पर 12वीं के बाद एसा क्या होता है कि बच्चे कहीं अटक जाते हैं, कहीं,भटक जाते हैं और कूछ बनने वाले बच्चे इधर उधर भटकते या नौकरी की तलाश में दिखाई देते हैं या यूं ही मोबाइल में, दोस्तों में या कहीं गलत राहों पर जाते दिख रहे हैं और अभी तो एक नई बात दूष्कर्म की अलग दिखाई देने लगी है।
अब प्रश्न यह उठता है कि कहाँ कमी रह जाती है कि ऐसे बच्चे बढे होने पर इस तरह क्यूं बदल जाते हैं।
पहला मूख्य कारण हे नीतियों की। शासन की योजनाएं बहूत अच्छी होती हैं पर धरातल पर नहीं होने से 12वीं के बाद जिनके माता पिता पढ़ें लिखे एवं जागरूकता लिए हैं व धनी हैं तो बच्चों को बाहर भेज देतै हैं कोई कोर्स करने, पर जिनके माता पिता अज्ञानी, कम पढ़े या निर्धन हैं वह कहीं नहीं भेज पाते। बच्चे यही आसपास काॅलेजों में
एडमिशन ले लेते हैं। पर अभी जब करीब से नौजवान होते कूछ बच्चों को देखकर पाया कि वह हीन भावना से ग्रसित हो रहे हैं।
क्या करें, क्या नाम करें, काम के नाम पर असफलता और यहीं मन भारी हो गया। इन यूवकों का एक ही कसूर था माता-पिता का निर्धन होना।
कूछ को दूकानों पर, होटलों पर, शोरूम पर कहीं ड्राइवर होते देखा, यानी जो बच्चे पढ़ने में होशियार थे वह इस तरह काम करके या कोई ऐसे ही घर बेठे अपना जीवन यापन करने की सोचता है और फिर दिमाग घूमता है।
लडकियों की अपेक्षा लडकों को कमाने की ज्यादा फिक्र होती है क्यूंकि उन्हें शादी कर किसी ओर का भी खर्च उठाना है, और यही पर कुछ लडकों को बिगड़ते देख, मन भर आया पर कूछ ना कर पाने का मलाल भी रहता है।
क्या करें क्या नाम करें, क्या वाकई में, इन लडकों के लिए काॅलेज के बाद या 13वीं के बाद कोई काम है? क्या यह संतूष्टि से जी सकेंगे? ऐसे यूवकों को किस प्रकार आगे लाकर ऐसा कौन सा रोजगार होगा, जो इनका स्वाभिमान बनाकर रखते हूए इन्हें अच्छा पैसा व काम दिलायेगा कि यह भी गर्व से कह सकें कि मूझे काम मिल गया, पापा मम्मी अब मेरी शादी कर दो। मेरा विश्वास है कि परीवार का भरण पोषण कर सकता हूं। यह लडके कूछ अनूचित कार्य ना कर एक नेक काम कर सकें।
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