गोपाल किरण समाजसेवी संस्था द्वारा विश्व एड्स दिवस पर किया गया कार्यक्रम का आयोजन | New India Times

संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ ग्वालियर (मप्र), NIT:

गोपाल किरण समाजसेवी संस्था द्वारा विश्व एड्स दिवस पर किया गया कार्यक्रम का आयोजन | New India Times

गोपाल किरण समाजसेवी संस्था द्वारा विश्व एड्स दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन ठाठीपुर के पास शिवनगर के समीप किया गया जिसमें अतिथियों डॉ प्रवीण गौतम, श्री प्रकाश सिंह निम राजे, जहाँ आरा इत्यादि ने विश्व एड्स दिवस के बारे में लोगों को जानकारी दी।

विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) जो हर साल 1 दिसंबर (December 1) को मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day 2018) का मूल मकसद एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी एड्स (Acquired Immunodeficiency Syndrome-AIDS) के बारे में विश्वभर में जागरुकता बढ़ाना है। साल 2018 में वर्ल्ड एड्स डे की थीम’ (World AIDS Day 2018 Theme) है-‘अपनी स्थिति जानें’। जिसका तात्पर्य या लक्ष्य यह है कि संसार के हर इंसान को अपने एचआईवी स्टेटस की जानकारी होनी चाहिए। एड्स (AIDS) वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक 36.9 मिलियन अर्थात 3 करोड़ 69 लाख लोग HIV के शिकार हो चुके हैं। भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी (HIV) संक्रमित रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन अर्थात 21 लाख है।

कैसे हुई विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) की शुरुआत?

विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) सबसे पहले अगस्त 1987 में जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर नाम के व्यक्ति ने मनाया था। जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर विश्व स्वास्थ्य संगठन में एड्स पर ग्लोबल कार्यक्रम (WHO) के लिए अधिकारियों के रूप में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में नियुक्त थे। जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर ने WHO के ग्लोबल प्रोग्राम ऑन एड्स के डायरेक्टर जोनाथन मान के सामने विश्व एड्स दिवस मनाने का सुझाव रखा था। जोनाथन को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) मनाने का विचार अच्छा लगा और उन्होंने 1 दिसंबर 1988 को विश्व एड्स डे मनाने के लिए चुना। यहां यह उल्लेखनीय है कि आठ सरकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य दिवसों में विश्व एड्स दिवस भी शामिल है। एड्स से पीड़ित दस लाख से अधिक किशोर सिर्फ छह देशों में रह रहे हैं और भारत उनमें एक है। शेष पांच देश दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, केन्या, मोजांबिक और तंजानिया हैं। इस अवसर पर यह जानना जरूरी है कि एड्स होने के मुख्य कारण क्या हैं?

इन वजहों से होता है एड्स (AIDS):
1-अनसेफ (बिना कनडोम के) सेक्स करने से।
2-संक्रमित खून चढ़ाने से।
3-HIV पॉजिटिव महिला के गर्भ से जन्मे बच्चे में।
4-एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार यूज करने से।
5-इन्फेक्टेड अर्थात संक्रमित ब्लेड यूज करने से।

एचआईवी/एड्स होने पर निम्‍न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं…
01-बुखार।
02-पसीना आना।
03-ठंड लगना।
04-थकान।
05-भूख कम लगना।
06-वजन घटना।
07-उल्टी आना।
08-गले में खराश रहना।
09-दस्त होना।
10-खांसी होना।
11-सांस लेने में समस्‍या।
12-शरीर पर चकत्ते होना।
13-स्किन प्रॉब्‍लम चर्म विकार।

एड्स (AIDS) रोगियों के प्रति व्यवहार:
एड्स एक ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। यह एक लाइलाज बीमारी है। इससे बचने का तरीका सिर्फ बचाव है। एड्स के रोगियों को जितने इलाज की जरूरत होती है, उससे ज्यादा सामाजिक सहानुभूति तथा स्नेह की भी जरूरत होती है। जिसकी सर्वाधिक कमी है। अगर आप भी किसी एचआइवी एड्स पीड़ित के साथ ऐसा भेदभावपूर्ण व्यवहार होते देखें तो एक पल को ठहरें और अपने आप से सवाल करें-अगर आपका कोई बेहद करीब ऐसी बीमारी से ग्रसित होता तो आप क्या करते? इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति का उपहास उड़ाने की कोशिश भी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह असुरक्षित यौन संबंधों के अलावा, अन्य कारणों से भी हो सकता है। एड्स एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे इंसान को अंदर से खोखला कर देती है, इसलिए ऐसे मरीजों को दुत्कारें नहीं बल्कि प्यार दें। यदि असुरक्षित यौन संबंधों के कारण भी किसी को एड्स हुआ है, तो उसके लिये भी सेक्स का ढोंग ढोने वाला समाज ही जिम्मेदार है।

एड्स (AIDS) का इलाज:
एड्स: बचाव ही उपचार!!

सरकारी अस्पतालों में एड्स (AIDS) का इलाज तो मुफ्त है, लेकिन देखरेख न के बराबर। ऐसे में मरीज के परिजन प्राइवेट अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च, बल्कि बर्बादा कर देते हैं। जबकि सबको पता है कि एड्स होने का मतलब है-निश्चित मौत। इलाज के लिए दर-दर भटकने के अलावा मरीज और उसके परिजनों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं रह जाता या फिर चुपचाप मौत का इंतजार करें। अत: समझने वाला तथ्य यही है कि एड्स से बचाव ही उपचार है।

एड्स रोगियों को भेदभाव भी मार रहा है:
एड्स से बचाव संभव है, लेकिन एक बार किसी व्यक्ति को एड्स हो गया तो देर-सबेर उसकी मौत निश्चित है। एड्स की बीमारी धीरे-धीरे इंसान को मौत के आगोश में ले जाती है, लेकिन सामाजिक भेदभाव और दुत्कार एड्स पीड़ित व्यक्ति को तिल-तिल मरने पर मजबूर कर देते हैं। इसकी सजा पीड़ित के परिवार को भी भुगतनी पड़ती है। इससे बुरी बात क्या होगी कि यह जानते हुए भी कि एड्स संक्रामक बीमारी नहीं है, आज भी अस्पतालों, दफ्तरों और स्कूलों से एड्स ग्रसित मरीज को निकाल दिया जाता है।

एड्स से सर्वाधिक मौत कैसे?
जैसा कि सर्वज्ञात है कि कि एड्स मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity System-Disease Resistance) को कम कर देता है। इसलिए मरीज को तरह-तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। साधारण सर्दी-जुकाम भी मरीज के लिए घातक साबित हो सकती है। दुनियाभर में एड्स की वजह से होने वाली मौतों में टीबी का सबसे बड़ा हाथ है। जिन लोगों में एचआइवी संक्रमण हो, उनमें टीबी की आशंका 30 गुना अधिक होती है।

एड्स से जुड़े कुछ मिथक यानि झूठ जिन्‍हें लोग सच मानते हैं:
1. किस करने से फैलता है?—जवाब नहीं। (जब तक होठों में कट नहीं हो!)
2. जूठा पानी पीने से फैलता है?—जवाब नहीं।
3. पीड़ित को छूने, उन्हें गले लगाने और हाथ मिलाने से फैलता है?—जवाब नहीं।
4. एड्स वाइरस हवा से फैलता है?—जवाब नहीं।
5. मच्छर के काटने से फैलता है?—जवाब नहीं।
6. एड्स पीड़ित के खांसने, छींकने या थूकने फैलता है?—जवाब नहीं।

विश्व एड्स दिवस पर सबक:
इस आलेख के माध्यम से पाठकों को एक छोटी सी बात समझाना चाहता हूं कि एड्स के बारे में हम लोग 1980 से पहले जानते तक नहीं थे। भारत में पहला मामला 1996 में दर्ज किया गया था, लेकिन सिर्फ दो दशकों में इसके मरीजों की संख्या 2.1 करोड़ को पार कर चुकी है। अत: कुछ बातें खुलकर लिखना, समझना और समझाना बहुत जरूरी है:—

1. सेक्स के ढोंग को त्यागें:

अन्य अनेक कारणों के साथ—साथ तेजी से बढते विवाहपूर्व असुरक्षित यौन सम्बन्धों एवं असुरक्षित विवाहेत्तर यौन सम्बन्धों के कारण, ऐसे सम्बन्धों में लिप्त हर एक स्त्री और पुरुष एड्स के मुहाने पर खड़ा है। अत: अब समय आ गया है, जबकि हम सेक्स के बारे में ढोंग को छोड़ें और सेक्स सम्बन्धी विषयों पर खुलकर एवं बेहिचक बात करें। किसी भी प्रकार की आशंका या उलझन या तकलीफ का योग्य यौन परामर्शदाता से समाधान पूछें। जिससे पति—पत्नी के मध्य यौन असंतोष को दूर किया जा सके, जो बाहरी यौन सम्बन्धों अर्थात विवाहेत्तर यौन सम्बन्धों का बड़ा कारण है। एड्स महामारी से बचना है तो सेक्स से जुड़े ढोंग को आज नहीं तो कल तिलांजलि देनी ही होगी। फिर आज ही क्यों नहीं?अन्यथा कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले कुछ दशकों हर घर में एड्स रोगी होगा?

2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढायें:

एड्स ग्रस्त होने के बाद या पहले भी व्यक्ति को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाये रखने पर ध्यान देना चाहिये। यह अलग बात है कि वर्तमान में लोग आंतरिक शक्ति या स्वास्थ्य के बजाय बाहरी चकाचौंध पर ही अधिक ध्यान देते हैं। जबकि आंतरिक शुद्धता एवं आंतरिक शक्ति से ही अच्छा तथा सबल स्वास्थ्य बना रह सकता है। जिसके लिये पाचन तंत्र एवं रोग प्रतिरोधक तंत्र दोनों को हर कीमत पर मजबूत बनाये रखें। बड़ी चिंता का विषय है HIV के लोग निकल कर आ रहे है।

ग्वालियर ही नही प्रदेश में ADS से ग्रषित डेंजर ज़ोन में है रीवा, बच्चों में भी मिले लक्षण
2002 से रीवा में शुरु हुई एड्स की जांच। अब तक 509664 संभावितों की जांच में 3064 मिले पॉजिटिव । यहां 87 एड्स पीड़ितों की मृत्यु हो चुकी है। अभी 914 की नियमित दवायें चल रही है। दुःखद यह है कि इनमें 273 बच्चों में भी इस बीमारी के लक्षण मिले।

गोपाल किरण समाजसेवी संस्था द्वारा इस अवसर पर चित्रकला एवं स्लोगन का आयोजन किया गया था इस अवसर पर आशा गौतम ,सुनीता पवैया ,प्रियंका बाजोरिया सुमन दीन्ह जितेंद्र ,दिनेश सगोरिया ,श्री पजोरी आर. ए. मित्तल आदि विशेष रूप से समलित होकर अपने अपने अनुभव शेयर किए और शंकल्प लिया कि वे लोगो को प्रेरित करेंगे
अंत मे आभार प्रदर्शन आशा गौतम जी के द्वारा किया गया।
Email -gksss85_org@rediffmail.com


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading