पीयूष मिश्रा, ब्यूरो चीफ सिवनी (मप्र), NIT:
जनपद पंचायत घंसौर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत भिलाई के शासकीय प्राथमिक शाला कन्या एवं बालक में संचालित मध्यान भोजन मीनू के अनुसार भोजन ना देकर मात्र सूखा पोहा, बिस्किट एवं नमकीन पिछले कुछ महीनों से नौनिहालों को परोसा जा रहा है लेकिन संबंधित मध्यान अधिकारी को इन सब बातों की खबर होते हुए भी बेखबर बने हुए हैं।
आपको बता दें कि किसी भी समूह द्वारा मध्यान भोजन संचालित नहीं किया जा रहा है वरन् खुद प्राथमिक शाला भिलाई के शिक्षिकाओं द्वारा मध्यान भोजन संचालित किया जा रहा है और मध्यान भोजन के नाम पर सिर्फ नमकीन और बिस्किट ही दिया जा रहा है। अपनी भूख मिटाने के लिए कुछ नौनिहाल अपने अपने घरों से टिफिन बॉक्स ला रहे हैं एवं बाकी नौनिहाल भूखे पेट रहकर पढ़ाई करने पर मजबूर हैं फिर भी अधिकारी मठाधीश की तरह कुंभकरण की गहरी नींद में सोए हुए हैं और मनमाने रूप से शिक्षिकाओं द्वारा संचालित मध्यान भोजन को अभय दान दे रखे हैं जिससे उनके हौसले बुलंद हैं। विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं ने बताया कि मीनू के अनुसार भोजन ना देकर सिर्फ हमें मुठ्ठी भर सूखा पोहा दिया जा रहा है जिससे हमे भूखे पेट रहकर पढाई करनी पड रही है और पिछले 1 महीने से पूरी सब्जी तो सपने जैसा लग रहा है, हमें तो दाल चावल तक नसीब नहीं हो रहा है। शासकीय पूर्व प्राथमिक शाला बालक, बालिका में मध्यान भोजन संचालित कर रही प्रधान अध्यापिका गीता बरकडे एवं सहायक अध्यापिका अनिता यादव द्वारा नौनिहालों से बर्तन तक धुलवाये जा रहे हैं जबकि भोजन बनाने एवं बर्तन धोने के लिए एक-एक व्यक्ति दिए जाते हैं और शासन द्वारा पैसा भी इस कार्य के लिए दिया जाता है।
जब हमारे संवाददाता के द्वारा शाला पर जाकर देखा गया तो मध्यान भोजन के नाम से बन रहा पोहा चूल्हा पर लकड़ी से बनाया जा रहा था जबकि शासन द्वारा भोजन बनाने के लिए गैस चूल्हा उपलब्ध कराया गया है इनके द्वारा गैस का पैसा भी बचाया जा रहा है। जब इस सिलसिले में हमारे संवाददाता ने नौनिहालों से जानकारी ली तो नौनिहालों ने बताया कि हमको आज तक मीनू के हिसाब से कभी भोजन नहीं दिया गया। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या विद्यालयों में मीनू चार्ट सिर्फ दिखावे के लिए चस्पा किया गया है? हमारे संवाददाता ने इन शिक्षिकाओं से बात की तो उन्होंने अजीबोगरीब एवं गैर जिम्मेदाराना तरीके से यह कहते हुए बताया कि हम मध्यान भोजन बनाएं या फिर सरकारी काम करें या बच्चों को पढायें? हम मध्यान भोजन नहीं बना सकते, यह सब बातें हमने अपने मध्यान अधिकारी से स्पष्ट रूप से बता दिया है। अब सबाल यह उठता है कि अधिकारी के संज्ञान में यह बात आने के बाद भी अधिकारी द्वारा आज तक इस व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए? क्या अधिकारी भी नौनिहालों के मुंह से निवाला छीनने में अपनी सहभागिता दर्ज करा रहे हें?अतः नौनिहालों के पालकों के द्वारा उच्चाधिकारियों से यह गुहार लगाई गई है कि जल्द से जल्द इस व्यवस्था में सुधार लाया जाए और मध्यान भोजन से संबंधित शिक्षिकाओं एवं सम्बंधित अधिकारी को दंडित किया जाए जिन्होंने हमारे बच्चों के मुंह से निवाला छीना है।
“आपके द्वारा यह बात मेरे संज्ञान में लाई गई है, इसकी में जांच करवा कर संबंधित लापरवाह एवं गैर जिम्मेदार कर्मचारियों पर उचित कार्यवाही करवा कर दंडित करवाऊंगा” : बी आर सी सी (मनीष कुमार मिश्रा)
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