साबिर खान/ मकसूद अली, मुंबई (महाराष्ट्र), NIT:
महाराष्ट्र में जहाँ बीजेपी सरकार ने मराठा आरक्षण विधेयक को सत्र के आखिरी दिन 29 नवंबर को दोनों सदनों में पेश करने का एलान किया है वही आरक्षण की आस लगाए मुस्लिम समाज को दरकिनार करते हुए उन्हें ठेंगा दिखा दिया है।
महाराष्ट्र में बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित मराठा आरक्षण विधेयक का मुहूर्त निकाल लिया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को विधानसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच घोषणा की है कि सरकार 29 नवंबर को सत्र के आखिरी दिन मराठा आरक्षण विधेयक विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश करेगी। वहीं सरकार की ओर से राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि मुस्लिमों को धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
विपक्षी दल कांग्रेस-एनसीपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुरू होने के पहले दिन से ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की मांग पर अड़ा है। विपक्ष ने सोमवार को फिर सवाल किया कि रिपोर्ट को क्यों पेश नहीं किया जा रहा है।
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नियम 15 के अनुसार कोई भी रिपोर्ट सदन में रखना बाध्यकारी नहीं है। सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट पर एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) पेश करेगी। इसी एटीआर के आधार पर मराठा आरक्षण विधेयक मंजूर किया जाएगा।
मुस्लिमों को सरकार का झटका
राज्य में आरक्षण मिलने की आस लगाए मुस्लिम समाज को सरकार ने सोमवार को बड़ा झटका दिया है। विधानसभा में राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि मुस्लिम समाज को धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा क्योंकि यह संविधान के खिलाफ होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में मुस्लिम समाज को पहले ही ओबीसी वर्ग में शामिल किया गया है। पाटिल ने कहा कि आंध प्रदेश और केरल सरकार ने पहले धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रयास किया, लेकिन वह कोर्ट में नहीं टिक पाया। वहीं, कांग्रेस विधायक नसीम खान ने कहा कि मुस्लिम समाज को धर्म के आधार पर नहीं पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए।
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