जीत-हार का पैमाना तय नहीं करती हैं वाहन रैलियां, चुनाव के परिणाम आने पर ही पता चलेगा कि किस में कितना है दम | New India Times

सलीम शेरानी/रहीम हिंदुस्तानी, झाबुआ (मप्र), NIT:

जीत-हार का पैमाना तय नहीं करती हैं वाहन रैलियां, चुनाव के परिणाम आने पर ही पता चलेगा कि किस में कितना है दम | New India Times

मप्र विधानसभा चुनाव में इस समय पूरे प्रदेश और खास कर झाबुआ जिले में रैलियों की बाढ़ सी आई हुई है। हर उम्मीदवार बड़ी से बड़ी वाहन रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन में लगा है लेकिन वाहन रैलियों का शक्ति प्रदर्शन कितना कारामद होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

जीत-हार का पैमाना तय नहीं करती हैं वाहन रैलियां, चुनाव के परिणाम आने पर ही पता चलेगा कि किस में कितना है दम | New India Times

झाबुआ जिले के मेघनगर में शनिवार हाट बाजार के दिन थांदला विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार दिलीप कटारा द्वारा लगभग 3000 मोटरसाइकिल और लगभग 50 फोर व्हीलर वाहनों के साथ विशाल वाहन रैली का प्रदर्शन करते हुए थांदला मेघनगर विधानसभा के ग्रामीण अंचलों में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया गया, वहीं आज रविवार को भाजपा के लोकप्रिय प्रत्याशी श्री कल सिंह भाभर द्वारा टू व्हीलर और फोर व्हीलर का बड़ा काफीला जब अपने साथ लेकर निकले तो लोग दंग रह गए। यहां वाहनों की रैलियों का सिलसिला लगातार जारी है। एक से बढ़कर एक रैलियां निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है तो दूसरी ओर इस रैली में दिलीप कटारा की रैली में शामिल हुए वाहन भी नजर आए, मतलब जिसने पेट्रोल डलवा दिया मोटरसाइकिल उस रैली में नजर आ जाती है। अब कांग्रेस की वाहन रेली बाकी है। लगता तो यही है कि वाहनों की रैलियों का सिलसिला खत्म नहीं होगा लेकिन वाहन वही होंगे जो हर रैली में दिखते हैं। 100 में से 50 वाहन सभी रैलियों में नजर आ रहे हैं, कभी वह वाहन कांग्रेसी कभी भाजपाई कभी निर्दलीय के साथ हो जाते हैं। कोई हमें देख ना ले इस डर से भी वह मुड़ मुड़ कर देखा करते है जिससे यह न लगे कि मैं इस रैली में था उस में नहीं था। मैं इसमें हूं उसमें नहीं हूं इसलिए वाहन की रैलियों से राजनीतिक परिणाम का निकालना बड़ा मुश्किल है। जो लोग वाहनों की रैलियों को देखकर हार और जीत का आकलन कर रहे हैं वह सही साबित नहीं हो सकता। चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा कि जीत का सेहरा किसके सर है, क्योंकि मतदाता अभी भी मौन है।


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By nit

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