विधानसभा चुनाव:  मैनपुरी जिले के सभी विधानसभा सीटों पर मुकाबला काफी दिलचस्प, सपा के सिटिंग विधायकों के सामने बसपा-भाजपा ने भी उतारे हैं दिग्गज उम्मीदवार | New India Times

गुलज़ार अहमद, मैनपुरी ( यूपी ), NIT;​विधानसभा चुनाव:  मैनपुरी जिले के सभी विधानसभा सीटों पर मुकाबला काफी दिलचस्प, सपा के सिटिंग विधायकों के सामने बसपा-भाजपा ने भी उतारे हैं दिग्गज उम्मीदवार | New India Times उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले के सभी विधानसभा सीटों पर मुकाबला काफी दिलचस्प होता जा रहा है। सपा ने जहां सभी सीटों पर अपने वर्तमान विधायकों को मैदान में उतारा है वहीं बसपा-भाजपा ने भी टक्कर देने के लिए दिग्गज उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। बसपा-भाजपा क्या सपा केसइस किले को भेद पायेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

मैनपुरी जिले में कुल चार विधानसभा सीटें ​हैं। चारों पर सपा का कब्जा है जिनके नाम हैं मैनपुरी, किशनी, करहल और भोगांव। इन पर सपा ने कोई बदलाव नहीं किया है। सभी पर वर्तमान विधायकों को ही मैदान में उतारा है। भाजपा और बसपा ने भी इस बार के चुनाव में टक्कर देने वाले प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। सभी पार्टियों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। ​विधानसभा चुनाव:  मैनपुरी जिले के सभी विधानसभा सीटों पर मुकाबला काफी दिलचस्प, सपा के सिटिंग विधायकों के सामने बसपा-भाजपा ने भी उतारे हैं दिग्गज उम्मीदवार | New India Timesवर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रत्याशियों में कई बदलाव किया है। मैनपुरी सदर से दो बार विधायक रह चुके अशोक चौहान, किशनी विधानसभा सीट से सुनील जाटव, करहल विधानसभा सीट से रमा शाक्य और भोगांव से भाजपा नेता रामनरेश अग्निहोत्री को मैदान में उतारा है।

बसपा ने मैनपुरी सदर से महाराज शाक्य, किशनी से कमलेश कुमारी, करहल से दलवीर पाल को और भोगांव से सुरेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। 

अब अगर चर्चाओं की बात करें तो जंहा पहले लोग एक ही बात कहते थे की सारी सीटों पर सपा का कब्जा होगा लेकिन इस बार के चुनाव में ऐसा नहीं है। इस बार चर्चा होती है तो एक ही बात सामने आती है कि कुछ कहा नहीं जा सकता है। इस बार मामला त्रिकोणीय है। कौन जीतेगा या कौन हारेगा इसका भी कुछ पता नहीं है। हाँ, एक बात जरूर है कि जीत हार बड़े पैमाने पर नहीं होगी ऐसा लोगों का कहना है। 

मैनपुरी में वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में यह पहली बार हो रहा है कि यहां चीजें बदली हैं। यहां की जनता के मन में अजीब ख्याल चल रहा है। जिस जिले में वोटर साफ कहा दिया करता था कि जिस पार्टी को जिताना है उसके नाम लिया करता था। मुलायम और अखिलेश के गढ़ में शायद ऐसा कभी नहीं हुआ कि लोग साफ कहने की स्थिति में नहीं है। 


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