मेहलक़ा अंसारी, बुरहानपुर /भोपाल (मप्र), NIT:
देश के दो प्रमुख एवं बड़े राष्ट्रीय राजनैतिक दल यानी भाजपा और कांग्रेस में अपनी अपनी पार्टी की गुटीय राजनीति और भीतरघात आदि के चलते विधानसभा चुनाव में टिकिट फाइनल करने के मामले दोनों ही पार्टियों के पार्टी मुख्यालय में अटके हुए हैं। रोज़ नित नई अफवाहों, तर्कों और नए नए नामों के साथ दोनों ही पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता अपनी अपनी जुगाड़ की बुनियाद पर अपना टिकट फाइनल बता रहे हैं। भाजपा से अपनी अर्चना दीदी तो कांग्रेस से अपने शेरा भैया टिकिट मिलने को लेकर 101 प्रतिशत आश्वस्त हैं, वहीं दोनों ही प्रमुख राजनैतिक पार्टियों में कांग्रेस पार्टी में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव के गुट से ही वर्तमान कांग्रेस जिलाध्यक्ष अजय रघुवंशी और भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान के गुट से फेडरेशन अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल प्रमुख दावेदारों में टाप वन पर हैं तथा टिकट की आस में आखरी आस तक आखरी सांस तक भोपाल दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं। इन तमाम सियासी हालात के दरम्यान किंग मेकर की भूमिका अदा करने वाले जिले के आम मतदाताओं की समुंदर के समान खामोशी भी हैरतअंगेज़ मालूम होती है। सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से फिल्हाल प्रबल दावेदार “दीदी” प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की और केन्द्र की मोदी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के आधार पर मतदाताओं से अपनी जीत की उम्मीद रखती हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी मतदाताओं की खामोशी को जनता का विरोधी जनादेश मान रही है। इस हाई प्रोफाइल सीट को लेकर राजनैतिक सटेटाबाज़ भी खामोश हैं। टिकिट वितरण की गुटबाज़ी के चलते कांग्रेस के विभिन्न वर्गों की ओर से अल्पसंख्यक कार्ड के तहत हमीद क़ाज़ी, सलीम काटनवाला आदि के नाम अब तक सामने आ चुके हैं। अब बोहरा समाज से कांग्रेस से लगभग 30 साल से जुड़े वरिष्ठ नेता पार्टी के पूर्व महासचिव, पत्रकार मुल्ला तफज़्ज़ुल हुसैन मुलायमवाला का नाम भी दावेदारी के रूप में सामने आ रहा है। अगर बोहरा समाज दबाव बनाए व बोहरा समाज के धर्मगुरु आक़ा व मौला की ओर से कांग्रेस आलाकमान में अगर थोड़ी सिफारिश हो जाए तो इस नाम को फाइनल होने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि बोहरा समाज एकता के नाम पर बड़ी ताक़त रखता है, वहीं भाजपा की ओर से भी गुजरात लाॅबी की ओर से अतुल पटेल का नाम भी सामने आ रहा है। दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दल अभी भी अपनी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त और भीतरघात के चलते उम्मीदवार घोषित करने के मामले में फूंक फूंक कर क़दम उठा रहे हैं लेकिन अंतिम फैसला किंगमैकर के पाले में ही रहेगा।
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