अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ झांसी (यूपी), NIT:
“चेहल्लुम-ए-शोहादा-ए-करबला” के ग़मगीन अवसर पर ‘अंजुमन-ए-अलविया’ के तत्वाधान में ‘इमाम बारगाह –नूर मंज़िल’ दरीगरान में अंतिम मजलिसे अज़ा हुई जिसमें सैकड़ों शोकाकुल श्रृध्दालुओं ने शिरकत की। मर्सियाख्वानी में अल्हाज तक़ी हसन, इं0 काज़िम रज़ा, आबिद रज़ा, तक़ी हसन और साथियों ने “आज है चालीसवां हज़रते शब्बीर का- तशनादहन कुश्ता-ए-ख़ंजरो तक़दीर का” मर्सिया पढा।
संचालन करते हुऐ सैय्यद शहनशाह हैदर आब्दी ने कहा, ”हमारे मज़हब ने मुल्क से मुहब्बत को ईमान की निशानी बताया है। अत: यह हमारी न केवल सामाजिक बल्कि धार्मिक ज़िम्मेदारी भी बन जाती है कि हम धार्मिक आयोजनों में भी ऐसे कार्यों को प्राथमिकता दें जिनसे आपसी प्रेम और विश्वास बढे साथ ही देश और समाज का भी भला हो।“
तदोपरांत लखनऊ से विशेष निमंत्रण से पधारे मौलाना सैय्यद इरशाद अब्बास साहब ने कहा, ”इमाम हुसैन ने करबला के मैदान में मज़हब, इंसानियत, इंसाफ, सब्र, क़ुर्बानी, अमन, मोहब्बत और आपसी यक़ीन की नई तारीख़ लिखी। नौजवानों तुम देश और समाज का मुस्तक़बिल हो इसलिये याद रखो “नारा-ए-हुसैनी –या हुसैन“ केवल एक नारा नही है बल्कि इसके पीछे इंसानियत, इंसाफ, सब्र, क़ुर्बानी, अमन, मोहब्बत और आपसी यक़ीन की पूरी दास्तान है, भूखों और प्यासों की मदद का पैगाम है। इस पर अमल कर देश और समाज का भला करो और इंसानियत की राह में अपना निशान छोड़ो, यही सच्चा नज़राना-ए-अक़ीदत है इमाम हुसैन की शान में। इसके पश्चात मौलाना साहब ने करबला में इमाम ज़ैनुल आबेदीन और बीबी ज़ैनब अलैहिस्सलाम और आले रसूल पर हुऐ बर्बरता पूर्ण अत्याचार का वर्णन किया Iजिसे सुनकर अज़दारों की आंखों से बेसाख़ता आंसू निकल पड़े।
इसी ग़मगीन माहौल में “चेह्ल्लुम को करबला में आई जो बीबीयां – सादाते करबला“ की मातमी सदाओं के साथ नौहा-ओ-मातम हुआ। अंजुमने अब्बासिया, अनजुमने अकबरिया, हुसैनी ग्रुप, अंजुमने हुसैनी और अंजुमने सदाये हुसैनी के मातम दारों ने किया।
अंजुमने अलविया की ओर से नौजवान नौहा ख़्वान सर्वश्री इरफान रज़ा काज़मी (मण्डला), असद आब्दी (इलाहाबाद) फैज़ान अब्बास “साहिल”, साहिअबे आलम, अली समर, अनवर नक़्वी, अब्बास अली, आबिद रज़ा, अलबाश, अज़ीम हैदर, अदीब हैदर, हुसैन रज़ा, ताहा अली, क़ायम रज़ा और नन्हें ज़ाकिर – वज़ाईम अब्बास को प्रोत्साहन स्वरूप मुख्य अतिथि मौलाना सैय्यद इरशाद अब्बास साहब, मौलाना सैयद फरमान अली आब्दी और मौलाना सैयद शाने हैदर ज़ैदी साहब ने स्मृति चिन्ह भेंट किये। झांसी वासियों की ओर से मौलाना सैयद शाने हैदर ज़ैदी साहब और मौलाना सैयद फरमान अली आब्दी ने मौलाना सैय्यद इरशाद अब्बास साहब को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया । इस अवसर पर इमाम हुसैन के नाम पर ज़रूरतमंद मरीज़ों के लिये “रक्तदाताओं ” की सूची तैयार की गई।
अध्यक्षीय भाषण में मौलाना सैय्यद शाने हैदर ज़ैदी इस प्रकार शिक्षाप्रद और प्रेरणास्पद कार्यक्रमों के आयोजनों देश और समाज के उत्थान के लिये आवश्यक बताया । विशिष्ट अतिथि के रूप में सैयद फरमान अली आब्दी ने राजा गंगाधर राव की समाधि के पास स्थित ऐतिहासिक करबला पर अलविदाई मजलिस पढते हुये कहा,” “रोयें न क्यूंकर ग़ुलाम- हो गया चेहल्लुम तमाम “ और इन्हीं की गमगीन सदाओं के साथ चेहल्लुम के पांच दिवसीय कार्य क्रम का समापन हो गया I अंत में श्री अता अब्बास महमंत्री अंजुमन अलविया ने प्रेस, प्रशासन, पुलिस, सहयोगी अंजुमनों और अज़ादारों के साथ सभी कार सेवकों और रक्त दाताओं को आभार ज्ञापित किया और मौलाना साहब ने समस्त विश्व के कल्याण के लिये प्रार्थना की और अज़ादारों ने “आमीन” कहा।
इस अवसर सर्व श्री हाजी सईद साहब, ज़ायर सग़ीर मेंहदी, ताज अब्बास, मोहम्मद अब्बास, हाजी कैप्टन सज्जाद अली, सुलतान आब्दी, वीरेन्द्र अग्रवाल, अरशद आब्दी, रईस अब्बास, सरकार हैदर ”चन्दा भाई”, आरिफ गुलरेज़, नजमुल हसन, ज़ाहिद मिर्ज़ा, इरशाद रज़ा, मज़ाहिर हुसैन, बाक़र हुसैन, ताहिर हुसैन, ज़ामिन अब्बास, राहत हुसैन, ज़मीर अब्बास, आबिस रज़ा, सलमान हैदर, अली जाफर, अली क़मर, फुर्क़ान हैदर, निसार हैदर “ज़िया”, मज़ाहिर हुसैन, आरिफ रज़ा, इरशाद रज़ा, असहाबे पंजतन, जाफर नवाब, काज़िम जाफर, वसी हैदर, नाज़िम जाफर, नक़ी हैदर, जावेद अली, क़मर हैदर, शाहरुख़, ज़ामिन अब्बास, ज़ाहिद हुसैन” “इंतज़ार”, अख़्तर हुसैन, नईमुद्दीन, मुख़्तार अली, ज़ीशान हैदर के साथ बडी संख्या में इमाम हुसैन के अन्य धर्मावलम्बी अज़ादार और शिया मुस्लिम महिलाऐं बच्चे और पुरुष काले लिबास मे उपस्थित रहे।
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