मकसूद अली, यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT:
यवतमाल शहर डेंगू की चपेट में है। कई लोग डेंगु जैसी बिमारी का इलाज करने समय पर अस्पताल पहुचे तो वे बच गए, तो कुछ को तुरंत इलाज मुहया नही हुआ तो उन्हें अपनी जान भी गवानी पड रही है। आम जनता को इलाज के लिए नीजी अस्पताल में अपनी जमापुंजी खर्च करनी पड़ती है। यवतमाल नगर परिषद का स्वास्थ विभाग तो डेंगू से निपटने की तैयारी का ही प्रदर्शन करता रहा है लेकिन सच बात तो यह है कि शहर के जादातर इलाकों में कई महिनों तक छिडकाव तक नहीं हुआ है, फागींग मशीन भी ना के बराबर काम कर रही है, साथ ही कुडे के अंबार जगह जगह आसानी से देखे जा सकते हैं जिसकी बदबु से शहरवासी काफी परेशान हैं। डेंगु की दस्तक होते ही अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड और टेस्टों के साथ इलाज की प्रक्रीया शुरू की जाती है लेकिन नगर परिषद प्रशासन जिस पर डेंगू से बचाव के लिए सफाई आदि की व्यवस्था का जिम्मा है उनकी डेंगु से निमपटने के लिए तैयारी अधुरी लग रही है जिसके कारण लोगो में डेंगु का डर आम बात हो गया है। गंदे नाले, नालियां जो की महीनों से अवरोध से अटे पडे हैं तथा जिनकी सफाई कब होती है यह नगर परिषद को ही पता है। यवतमाल नगर परिषद पर शिवसेना का नगराध्यक्ष है और जादातर पार्षद भाजपा के हैं लेकिन उनकी राजनैतिक होड ने आम जनता का जीना मुश्कील कर रखा है। विरोधी गुट तो केवल नाम के लिए ही बचा है। शहर के ज्यादा तर रास्तों पर पहले से ही खड्डे कम थे कि फिर से नए खड्डे खोदने का काम शुरू किया गया है जिससे वाहन चालक भी काफी परेशान हैं। गंदे पानी की आपुर्ती, वक्त बेवक्त की लोडशेडिंग, रास्तों पर गड्डे, कचरे के अंबार, गंदगी, बदबु से यवतमालवासी पहले ही काफी परेशान हैं ऐसे में परस्पर विरोधी पार्टीयों में बने गतिरोध के चलते प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालीया निशान खडे हो गए हैं। लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी शहर में अस्वच्छता के दर्शन हो सकते है, जिला एवं नगर परिषद प्रशासन स्वच्छ यवमताल, सुंदर यवतमाल के नारे लगा रहा है लेकिन वास्तव में सब खोखले हैं, आज भी शहर एवं समीप के ग्रामीण क्षेत्र में हालात बद से बदतर हो रहे हैं। इस गंभीर समस्याओं की ओर संबधित विभाग ध्यान दे ऐसी मांग आम नागरीकों द्वारा हो रही है।
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