चहल्लुम की मजलिस: मजलिसें-इमाम हुसैन के अलमदार हज़रत अब्बास को समर्पित की गईं | New India Times

अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ झांसी (यूपी), NIT:

चहल्लुम की मजलिस: मजलिसें-इमाम हुसैन के अलमदार हज़रत अब्बास को समर्पित की गईं | New India Times

सोमवार को चहल्लुम की मजलिसें-इमाम हुसैन के अलमदार हज़रत अब्बास को समर्पित की गईं।

दो माह के नन्हें अलमदार “दबीर अब्बास” के हाथ में हज़रत अब्बास का “अलम” इसलिये दिया गया ताकि हज़रत अब्बास की तरह ही बच्चा मुल्क और क़ौम का वफादार बनें।

हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों द्वारा, इंसानियत के क़द्रोक़ीमत की हिफाज़त के लिये दी गई अज़ीम क़ुरबानी के चालीसवें दिन मनाये जाने वाले “चेहल्लुम” की ग़मगीन फिज़ाओं के बीच शहर झांसी में “आज की मजलिसें-इमाम हुसैन के अलमदार हज़रत अब्बास को समर्पित की गईं। विशेष मजलिस “नर्जिस मंज़िल” लक्ष्मण गंज में सुबह ग्यारह बजे आयोजित की गई, जिसमें अलमे मुबारक की ज़ियारत और नज़रे हज़रते अब्बास (लंगर) का प्रबन्ध किया गया। जिसमें हजारों श्रृध्दालुओं ने शिरकत की। मर्सियाख्वानी इं0 काज़िम रज़ा, हाजी तक़ी हसन, आबिद रज़ा, सईदुज़्ज़मां, अस्करी नवाब और साथियों ने की और “ चेहल्लुम को करबला में जब आई बीबीयां – सादाते करबला” मर्सिया पढा।

चहल्लुम की मजलिस: मजलिसें-इमाम हुसैन के अलमदार हज़रत अब्बास को समर्पित की गईं | New India Times

दस वर्षीय वज़ाईम अब्बास ने रुबाई ”कहती थी सकीना क़त्ले बाबा देखा” पढ़ कर सबको आश्चर्य चकित कर दिया। हाजी अज़हर अली ने सलाम “सर बुलंद इस्लाम का परचम है ग़ाज़ी के सबब – हश्र तक लहरायेगा यूं ही अलम का अब्बास का” पढकर श्रृध्दांजली अर्पित की। पेश ख़ानी, जनाब ज़ैनुल रज़ा , अल्बाश आब्दी और हैदर अली ‘राजू’ ने कर, कलाम पढ़े। अध्यक्षता मौलाना सैयद शाने हैदर ज़ैदी ने की। तदोपरांत मौलाना सैयद इरशाद अब्बास आब्दी साहब ने,”करबला- मुहाफिज़े इंसानियत ” की व्याख्या करते हुये कहा कि करबला दीन और दुनिया दोनों को समझने का सलीक़ा सिखाती है और आदमी को अच्छा और वफादार इंसान बनाती है। करबला में इमाम हुसैन ने धर्म, ज़ात और क्षेत्र के भेदभाव को मिटा दिया। उन्होने सत्य, न्याय, चरित्र और नैतिकता को महत्व दिया। परिणाम स्वरूप “करबला – मुहाफिज़े इंसानियत” बन गई और शायर को कहना पडा, “ इंसान को बेदार तो हो लेने दो – हर क़ौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन।“ इमाम हुसैन ने करबला में धर्म की रक्षा कर बताया कि “अल्लाह की इबादत – अच्छा और वफादार इंसान बनने के लिये ज़रूरी है” ! करबला दीन, मुल्क और क़ौम के प्रति वफादर बनाती है। जिसकी सबसे बडी मिसाल हज़रते अब्बास हैं। हमारे बच्चे दीन, मुल्क और क़ौम के प्रति वफादर बनें। इसलिये हम अपने बच्चों से पैदा होते ही हज़रत अब्बास का अलम उठवाते हैं। जैसे आज दो माह के बच्चे “दबीर अब्बास” से अलम उठवाया जायेगा।

इसके बाद मौलाना साहब ने हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास के बारे में बताया कि वली-ए-ख़ुदा हज़रत अली के बहादुर पुत्र थे, जिन्हें हज़रत अली ने ख़ुदा से विशॆष दुआ के बाद प्राप्त किया था । अत: न केवल आप विद्वान और बहादुर थे बल्कि इतने ख़ूबसूरत थे कि आपको “क़मरे बनी हाशिम” अर्थात हाशिम के घराने का चांद कहा जाता हैं। आपकी वफा बहुत प्रसिध्द है। हमें उनकी बहादुरी और वफादारी से शिक्षा लेकर मुल्क, क़ौम और समाज का भला करना चाहिऐ।
इसके पश्चात मौलाना ने हज़रत अब्बास की मुश्किलों और उन पर अत्याचारों का वर्णन किया। उन्होंने राह खुदा में अपनी जान को निसार करके, महान युद्ध प्रदर्शन करके अपने भाई पर फिदा हो गए। यहाँ तक कि उनके दोनों बाज़ू अल्लाह की राह में कट गए। जिससे उपस्थित जन समुदाय शोकाकुल हो गया। इसी ग़मगीन माहौल में “हाय-हुसैन, प्यासे हुसैन। हाय सकीना- हाय प्यास।“ की मातमी सदाओं के साथ “अलमे मुबारक” की ज़ियारत कराई गई।

नौहा-ओ-मातम अंजुमने सदाये हुसैनी के मातम दारों ने किया। नौहा ख़्वानी सर्वश्री इरफान काज़मी (मण्डला) अनवर नक़्वी, साहबे आलम, अली समर, आबिद रज़ा ने की और नौहा,”यह कौन प्यासा क़त्ल हो गया लबे फुरात” पढा।

इसके साथ ही मातमी जुलूस बरामद हुआ जो दरीगरान होता हुआ इतवारी गंज स्थित “काशाना-ए-अशरफ” के इमाम बारगाह पर समाप्त हुआ। संचालन सैयद शहनशाह हैदर आब्दी ने और आभार सग़ीर मेहदी ने ज्ञापित किया।

इस अवसर सर्व श्री मौलाना सैयद फरमान अली आब्दी, वीरेन्द्र अग्रवाल, शाकिर अली, रईस अब्बास, सरकार हैदर” चन्दा भाई”, आसिफ़ हैदर, सलमान हैदर, नज्मुल हसन, ज़ाहिद मिर्ज़ा, मज़ाहिर हुसैन, आलिम हुसैन, ताहिर हुसैन, ज़ीशान अमजद, राहत हुसैन, ज़मीर अब्बास, अली जाफर, काज़िम जाफर, नाज़िम जाफर, नक़ी हैदर, वसी हैदर, अता अब्बास, क़मर हैदर, शाहरुख़, ज़ामिन अब्बास, ज़ाहिद हुसैन” “इंतज़ार””, हाजी कैप्टन सज्जाद अली, जावेद अली, अख़्तर हुसैन, नईमुद्दीन, मुख़्तार अली, ताज अब्बास, ज़ीशान हैदर, अली क़मर, फुर्क़ान हैदर, निसार हैदर “ज़िया”, मज़ाहिर हुसैन, आरिफ रज़ा, इरशाद रज़ा, ग़ुलाम अब्बास, असहाबे पंजतन, जाफर नवाब, इमरान रज़ा,वसीम रज़ा, ज़ुल्फिक़ार अली ज़ैदी के साथ बडी संख्या में इमाम हुसैन के अन्य धर्मावलम्बी अज़ादार और शिया मुस्लिम महिलाऐं बच्चे और पुरुष काले लिबास में उपस्थित रहे।


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By nit

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