मकसूद अली, यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT :
भारतीय बधिरीकरण तज्ञ संघटन यवतमाल शाखा की ओर से 16 अक्तुबर को जागतिक बधिरीकरण दिन उत्साह से मनाया गया। तकरीबन पौने दोसौ वर्ष पहले इसी दिन सर विल्यम थॉमस ग्रीन मोर्टन नाम के एक अमेरिकन दंतचिकित्सक ने प्रथम सार्वजनिक रूप से इथर का इस्तेमाल कर सफलापुर्वक वेदनारहित शस्त्रक्रिया की थी। तब से ऍनेस्थेसिया की खोज एवं वेदनारहीत शस्त्रक्रिया मे बडी प्रगती हुई। इसिलिए हर वर्ष यह दिन दुनियाभर में बधिकरन दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर नागरिको के लिए विविध कार्यक्रम चलाकर बधिरीकरण का महत्व एवं उसकी जानकारी, डर, गैरसमज दुर करने के लिए आकाशवाणी यवतमाल से एक चर्चा प्रसारीत की गई. इसमे डॉ.हेमलता भडके और डॉ.अर्चना पागृत शामिल हुए थे. दोपहर में यहा के संजीवन हॉस्पीटल में पोस्टर प्रदर्शनी हुई. इसका उदघाटन आयएमए कके अध्यक्ष डॉ.हर्षवॉन बोरा ने किया. शंकरलाल कोठारी स्कुल में शिक्षक एवं छात्रो के लिए जीवन संजीवनी कार्यशाला हुई. इस कार्यशाला के लिए शिर्डी मे हुए राज्यस्तरीय बधीरीकरण परिषद मे यवतमाल शाखा को तीन पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम मे डॉ.भोजने, डॉ.मुजीब शेख, डॉ.मुंधडा, डॉ.खडसे, डॉ.मनवर, डॉ.पागृत, डॉ.येलनारे, डॉ.म्हात्रे, व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
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