संदीप शुक्ला /शिल्पा शुक्ला, ग्वालियर (मप्र), NIT:
यूं तो राहुल का दो दिवसीय ग्वालियर-चंबल का दौरा चुनावी था मगर इसका भरपूर उपयोग राहुल गांधी ने जहां सदभाव व एकता के लिए मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा पहुंच कर किया वहीं अपार भीड़ के बीच आत्मविश्वास से लबरेज राहुल ने मंचों का उपयोग मोदी व शिवराज सरकार पर जबरदस्त सटीक हमलों के रुप में भी किया। रोड शो और आमसभाओं में जुटी अपार भीड़ को देख जहां म.प्र. चुनाव अभियान समिति के संयोजक एवं इसीसी के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया गदगद नजर आए वहीं रोड शो के दौरान वह प्रभावी नेताओं की राहुल से मुलाकात कराने से भी नहीं चूके। मगर जिस तरह से बड़े-बड़े समाचार पत्रों को कांग्रेस ने तरजीह दी और छोटे मझोले समाचार पत्रों की उपेक्षा कि वह भी किसी से छिपा नहीं है।
पत्रकारों को राहुल के इस दौरे से उम्मीद थी कि वह इस मौके का उपयोग अपनी बात उनके बीच रखने में कामयाब होगें। जो उन्हें सुनना, समझना और अपने समाचार संचार माध्यमों से लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं मगर प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रबंधन ने ऐसा होने नहीं दिया जिसकी जबरदस्त प्रतिक्रिया संभाग भर के ग्वालियर पहुंचे मीडिया के बीच देखने सुनने को मिली। ये अलग बात है कि अपनी सभाओं में राहुल गांधी ने बेरोजगार, किसानों के बीच प्रभावी वादे कर तालियां बटोरी तो वहीं वह राफेल से लेकर मोदी चौकसी और विजयमाल्या सहित गब्बर सिंह टेक्स सहित व्यापम घोटाले की चर्चा करने से भी नहीं चूके। इस मौके पर उनके साथ सिंधिया के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, कान्तीलाल भूरिया, प्रदेश प्रभारी सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी मौजूद रहे।
बहरहाल जिस तरह का कांग्रेस प्रबंधन दिल्ली से लेकर म.प्र. में राहुल की यात्रा को लेकर चल रहा है उसे देखकर लगता है कि या तो कांग्रेस के पास जमीनी समझ वाले थिंकटेक प्रबंधक नहीं हैं या फिर यह कांग्रेस का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस आलाकमान के दौरे से जो जन लगाव लोगों में पैदा हो रहा है वह उसे सहेज पाने में सक्षम नहीं हैं। देखना होगा जड़ विहीन रणनीतिकार आखिरकार कांग्रेस को किस रणनीत के तहत म.प्र. में पुन: स्थापित कर पाते हैं।
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