गुलज़ार अहमद, मैनपुरी ( यूपी ), NIT;
- पुलिस के तांडव से थर्राया मैनपुरी का ग्राम भगवन्तपुर
- ग्रामीणों के साथ किया डकैतों जैसा बर्ताव
- घरों में भी की जमकर लूटपाट
- महिलाओं के साथ मारपीट कर घर में रखे सामान को किया तहस-नहस।
एक पुरानी कहावत है कि पुलिस जब चाहे रस्सी को सांप और सांप को रस्सी साबित कर सकती है। ठीक इसी तरह से उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के थाना औंछा क्षेत्र के ग्राम भगवंतपुर में पुलिस ने थानों में रखे मानवाधिकार के बोर्डो के नियम कानूनों को ताक में रखकर दबिश के नाम एक दर्जन से भी ज्यादा घरों में घरेलू सामान को तहस-नहस ही नहीं किया बल्कि एक दर्जन चार पहिया वाहनों पर भी जमकर गुस्सा उतारा गया। इतना ही नहीं पुलिस द्वारा महिलाओं के साथ भी अभद्रता कर दर्जनों महिलाओं को जमकर मारने-पीटने के आरोपी भी बने। घटना की जानकारी पाते ही मौके पर पहुंचे मैनपुरी सांसद तेज प्रताप सिंह, सदर विधायक राजू यादव, विधायक करहल सोबरन सिंह ने पीडितों से घटना की जानकारी ले कर दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही का आश्वासन देते हुए घटना की जानकारी प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी देने की बात कही। जब आरोपी थानाध्यक्ष औंछा, थानाध्यक्ष घिरोर से वार्ता की गयी तो उन्होंने अपर पुलिस अधीक्षक की भांति ऐसी किसी भी कार्यवाही से मना करते हुए घरों में तोड़फोड़ व मारपीट से इंकार किया है। उधर पुलिस की बर्बर पिटाई से घायल अधिवक्ता ने पीडितों के साथ दोषियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए पुलिस कप्तान से भेंट की है।
मिली जानकारी के अनुसार थाना औंछा का गांव भगवंतपुर करहल विधानसभा क्षेत्र का है। तृतीय चरण के मतदान के दौरान मतदान समाप्ति होने से पूर्व लगी लाइन को लेकर बूथ पर तैनात पुलिस बल व मतदाताओं में विवाद हो गया था। बवाल की जानकारी पर उप जिलाधिकारी घिरोर अन्य पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे, तो बवाल कर रहे मतदाताओं पर बल प्रयोग किया, तो जबाब में कुछ मतदाताओं ने भी उनका जबाब दिया। जैसा कि पुलिस द्वारा दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि जीप के साथ तोड़फोड़ कर थाने के दो आरक्षी व स्थानीय अभिसूचना इकाई के साथ भी मारपीट की गयी थी। बाद में जैसा कि ग्रामीणों का आरोप है कि उप जिलाधिकारी घिरोर, सीओ कुरावली, थानाध्यक्ष औंछा व घिरोर ने दबिश के नाम पर पूरे गांव में तांडव किया। जिसमें गांव के राकेश पुत्र गनेश सिंह के नये महिन्द्रा ट्रैक्टर को तोड़ा गया, फिर राजू पुत्र रक्षपाल सिंह के घर में खड़ी यूपी 84 एस 6915 को भी तहस-नहस कर रामसिंह के घर में घुसकर पांच पुत्रों जयसिंह, भूमिराज, निहाल सिंह, रामसिंह व जागेश्वर के घर में घुसकर घर में रखे घरेलू सामान को तहस-नहस कर घर में खड़ी मोटर साइकिलों को भी निशाना बनाया गया। जबकि महिलाओं का आरोप है कि तुलसीराम नामक सिपाही ने अभद्रता कर अस्मत से भी खेलने का असफल प्रयास कर घर में रखे बख्शे के ताले तोड़कर जेबरात व नकदी लूट ली थी। पुलिस ने सबसे ज्यादा गुस्सा अधिवक्ता जयपाल सिंह के घर बाहर खड़ी तीन-चार पहिया वाहनों यूपी 78 एवी 5659, यूपी 84 एन 9138, एचआर 29 यूएम 7528 को पूरी तरह से तहस-नहस कर होशियार सिंह पुत्र चोखेलाल,देवेन्द्र पुत्र सोबरन सिंह, रामसरन पुत्र अनार सिंह, हरप्रकाश पुत्र अनोखेलाल, अवधेश पुत्र अर्जुन सिंह के घरों में भी दबिश के नाम पर घरों में रखे सभी घरेलू सामान को भी नष्ट कर दिया। वहीं सभी घरों में खड़े वाहनों को भी तोड़ा गया था।
वहीं घटना की गवाह रामभेजी पत्नी कमलेश, अमरावती पत्नी प्रताप सिंह, राजरानी, सुनीता, मीना, शीला, अनीता ने पुलिस बल पर अभद्रता करने के साथ रामभेजी की पिटाई से हाथ भी टूट गया था। जबकि वृद्धा अमरावती ने भी पिटाई के निशान दिखाये थे। उधर घटना की जानकारी पर गांव पहुचे मैनपुरी सांसद तेज प्रताप, सदर विधायक राजू यादव, करहल विधायक सोबरन सिंह यादव, पीसीएफ निदेशक अनुजेश प्रताप यादव आदि मौके पर पहुंचे और पीडि़तों से जानकारी प्राप्त कर आश्वासन देते हुए कहा कि दोषी आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही कराई जायेगी।
गौरतलब है कि पुलिस ने इस मामले में दस लोगों को बंदी बनाकर जेल भेजा था। जिसमें अधिवक्ता जयपाल यादव को अग्रिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था। पीडि़त अधिवक्ता जगपाल ने जब सांसद को कपड़े उतारकर पुलिस की बर्बरता के निशान दिखाये तो वह दंग रह गये थे कि बरिष्ठ अधिवक्ता को पुलिस ने बेरहमी से पीटा था। उन्होने यह भी बताया कि जेल गये सभी को पुलिस ने इतनी ही बेरहमी से पीटा है, जबकि पुलिस ने भर्ती हुए बेकसूर आलोक व उसके भाई, पिता को भी आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया है। यही नहीं महलोई निवासी एक युवक को एक युवक को सड़क से गुजरते समय वहीं बंदी बना लिया गया था।
- खाकी का महिलाओं की अस्मत पर हमला
मानवाधिकार को ताक मे रखकर पुलिस की बर्बरता यहीं कम नहीं होती है, गांव की ज्यादातर महिलाओं ने पुलिस पर अभद्रता करने के साथ दबी जुबान में नाम न बताने की शर्त पर अस्मत से भी खिलवाड़ की कोशिश की कहानी बयां की। पुलिस के भय से भागे ग्रामीणों के बाद जब महिलायें ही घरों में बची थी तब इस तरह से महिलाओं को भी नही बख्शा गया।
- जानवरों को भी नहीं बख्शा
पुलिस इतनी आक्रोशित थी कि जब गांव में पुलिस के भय से ग्रामीण गांव से भाग निकले थे तब पुलिस ने गांव की ज्यादातर दुधारू भैंसों पर अपना गुस्सा उतारा, यही नहीं जब एक महिला भैंस का दूध दुह रही थी तो पुलिस ने दूध फैलाकर बाल्टी को ही नहीं तोड़ा बल्कि भैंस को भी महिला के साथ बेरहमी से पीट दिया।
- पुलिस ने जमकर की तोड़फोड़
पुलिस की बर्बरता की कहानी गांव में पग-पग पर है। कहीं फ्रिज तो कहीं कूलरों को तोड़ा गया था तो कहीं बिजली की फिटिंग को भी तोड़ने के साथ ज्यादातर घरों मे लगे पंखों को भी तोड़ दिया गया था। वहीं घरों में रखी बुर्जी, चूल्हो व बर्तनों तथा कुर्सियों एवं मोटर साइकिलों के साथ चार पहिया वाहनों पर जमकर गुस्सा उतारा गया था।
- खाकी का कहर देख खेतों व घरों में छिपी रहीं महिलायें
मतदान के बाद पुलिस के नंगनाच व बर्बरता से महिलायें इतनी भयभीत थीं कि जब मीडिया के लोग गांव पहुंचे तो ज्यादातर महिलायें उत्पीड़न के बाद विलाप कर रहीं थी, या फिर घरों में कैद थीं। काफी समझाने के बाद भी घरों के दरवाजे तक नहीं खोल रहीं थी। जबकि एक दर्जन से भी ज्यादा महिलाओं ने खेतों की शरण ले ली थी।
- सदर विधायक को देखकर गांव पहुंचे ग्रामीण
भगवंतपुर में पुलिस की कायराना हरकत की जानकारी पर जब सदर विधायक राजू यादव गांव पहुंचे तब कहीं जाकर भयभीत पुरूष व महिलायें अपने/अपने घरों को लौटे थे। किंतु फिर भी उनके चेहरों पर दहशत थीं। कई महिलाओं को शक था कि कहीं सादा वर्दी में पुलिस तो नहीं आ गयी है।
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