फराज़ अंसारी, बहराइच (यूपी), NIT:
हिन्दी सिनेमा की बहूचर्चित फिल्म उड़ता पंजाब में ड्रग्स के नशे में डूबी दुनिया को पर्दे पर उतार कर दिखाया गया है कि नशे के चंगुल में फंस कर किस तरह लोग बर्बादी के कगार पर पहुंच रहे हैं। इन दिनों कुछ ऐसा ही जिले के युवाओं में देखने को मिल रहा है। क्या शहर क्या कस्बा और क्या गांव, युवाओं में तेजी से नशे की लत फैल रही है। वहीं जवान हो रही पीढ़ी (14 से 25 साल) में नशे की लत तेजी से फैल रही है। यह नशा शराब या सिगरेट का नहीं है, बल्कि गांजा, कोकीन, अफीम, डेंडराइट, स्मैक और नशीली दवाओं का है। इस तरह का नशा करने की वजह से युवाओं की मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। कई का तो मनोचिकित्सालयों में इलाज भी चल रहा है, वहीं इस नशे के आदी होने के बाद से क्षेत्र में क्राइम भी बढ़ते जा रहे हैं । शहर के युवाओं के लिए स्मैक खरीदना आसान सी बात है, लेकिन कानून व्यवस्था से जुड़ी पुलिस को इसकी भनक तक नहीं कि अवैध स्मैक का कारोबार शहर में कहां और किस तरह हो रहा है। वहीं जिले के लगभग हर गांवों में युवाओं को स्मैक तस्कर खुलेआम स्मैक बेचते है एवं अब स्थिति यह बन गई है कि शहर के मुख्य बाजार चौराहों पर भी खुलेआम स्मैक की पुडिय़ां बिकने लगी है। इन स्मैक की एक छोटी सी पुड़ियों की शुरुआत कुछ सैकड़ों से शुरू होती है जो हज़ारों तक पहुंच रही है। लेकिन हमारी चुस्त दुरुस्त और अपराधियों की धर पकड़ के लिये सदैव मुस्तैद रहने वाली पुलिस इन सब से अनजान है। स्कूल और कॉलेज में पढ़ रहे कई छात्र नशेडिय़ों के चंगुल में फंस जाते हैं। शुरू में इन्हें शौक के लिए स्मैक का नशा कराया जाता है। बाद में यह नशा छात्रों के जेहन में इतना उतर जाता है कि वे इसके आदी हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही अवैध कारोबारियों पर अपना चाबुक चलाने के कितने भी दावे क्यों न कर ले लेकिन असल ज़मीनी हकीकत इसके कुछ उलट ही है। हैरत की बात तो यह है कि इन अवैध कारोबारियों पर नकैल कसने की जिम्मेदारी योगी सरकार की जिस पुलिस के कांधों पर है उन कांधों के मौन संरक्षण के कारण ही जिले में नशे का कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है तभी तो थाना चौकियों के पास बिक रही स्मैक और उनके कारोबारियों लगाम नहीं लग पा रही है। जिले में जगह जगह स्मैक का कारोबार दिन दुगना रात चौगुना बढ़ता ही जा रहा है लेकिन इस पर लगाम कस पाने में सभाराज पुलिस पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। युवा मन को जोश व उमंग की उम्र कहा जाता है। यही उम्र का एक ऐसा पड़ाव होता है जब अपने भविष्य को लेकर इसी युवा मन द्वारा अपना लक्ष्य साधा जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश जिले के युवाओं की नसों में जोश-ओ-खरोश से ज़्यादा नशा तैरता नज़र आ रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि जिले में स्मैक का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा और जिले की युवा पीढ़ी नशे की आदी होती जा रही। वहीं जिले के जिम्मेदार इन सब से बाख़बर होने के बावजूद भी पूरी तरह से बेखबर बने बैठे हैं। कृत्य कार्यवाही दिखाने के लिये कभी कभार एक आध की गिरफ्तारी कर कागज़ी कोरम पूरा कर लिया जाता है और फिर उसके बाद स्मैक का धंधा बेधड़क चालू रहता है। जिले में स्मैक का कारोबार बढ़ता जा रहा है। युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं। हैरत की बात यह है कि पुलिस स्मैक कारोबारियों पर कार्रवाई की बात कह रही है लेकिन जिले में इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। स्मैक विक्रेता जिले में अपनी पैठ गहरी करते जा रहे हैं। जिले का हर इलाका इनकी चपेट में हैं। धूम्रपान से लेकर शराब का सेवन तक करने में 14 साल से लेकर 25 वर्ष तक की आयु के ही युवा ज्यादा चिह्नित किए जा रहे हैं। नशे के दलदल में फंसने वालों में अच्छे अच्छे परिवारों के बच्चे भी शामिल हैं, जो पढऩे लिखने की उम्र मेें नशे के आदी होते जा रहे हैं। नशे में धूम्रपान से लेकर शराब का सेवन तो किया ही जा रहा, इसके अलावा जो इन दिनों नशा नसों में उतारा जा रहा है, उनमें स्मैक का नाम पहले लिया जा रहा है। जो युवा जोश के साथ मौत के मुंह में जाना पंसद कर रहे है।
बताते चलें कि सबसे ज्यादा युवाओं के अंदर स्मैक का नंशा फैल रहा है। जो युवाओं के परिवारों को भी बर्बादी की ओर ढकेल रहा है। कई स्थानों पर हो रही स्मैक की बिक्री युवाओं को बर्बाद कर रही है। महंगा नशा नशेड़ी के साथ ही पूरे परिवार को तबाह कर रहा है। नशे की चपेट में आए युवा 500 से लेकर 1000 तक स्मैक की एक खुराक पीते पीते सब कुछ लुटने के बाद 10 रुपए के इंजेक्शन और नशीली गोलियों से नशे की प्यास शांत कर रहे हैं। वहीं जिम्मेदार अपनी कुम्भकर्णीय नींद में अब भी तल्लीन हैं। बताया जाता है कि स्मैक का नशा युवाओं के दिलो दिमाग पर इस कदर छा जाता है कि 15 दिन में ये इसके आदी हो जाते हैं। इसकी तलब मिटाने के लिए स्मैकची को जैसे-तैसे स्मैक का जुगाड़ करना पड़ता है। स्मैक नहीं मिलने पर युवाओं में गुस्सा होना, झगड़ा करना इत्यादि आदतें सामान्य हो जाती है। ऐेसे में महंगे नशे का शौक पूरा करने के लिए कई युवा अपराध की राह चुन रहे हैं। शहर के थाना दरगाह क्षेत्र अंतर्गत व कोतवाली नगर और देहात क्षेत्रों के ही कई स्थानों में स्मैक बेचने वालों ने अपने अड्डे बना रखे हैं जिन पर अंकुश लगाया जाना जरूरी है। यह हाल जब शहर का ही है तो जिले के दूर-दराज के हालात क्या होंगे इसका अंदाज़ा आप खूब ही लगा सकते हैं। लेकिन गाढ़ी कमाई बन्द होने के डर से इन पर अंकुश लगाने का जोखिम उठाने का साहस आखिर दिखाये तो दिखाये कौन।
सवाल यह उठता है कि क्या महेज़ चंद कागज़ के टुकड़ों के आगे इनसानी ज़िन्दगियों का कोई मोल नहीं। आम तौर पर मुखबिर खास की सूचना पर खूंखार और शातिर अपराधियों को जंगल झाड़ियों में योजना बनाते हुए धर दबोचने का दावा कर सराहनीय कार्यों का प्रेस नोट जारी कर अपना बखान करने वाली सभाराज पुलिस के मुखबिर खास इन स्मैक कारोबारियों के गोरखधन्धे की सूचना पुलिस को उपलब्ध क्यों नही करा पा रही है। आखिर थानों और चौकियों से महेज़ चंद फासलों पर धड़ल्ले से बिक रही स्मैक पर रोक लगा पाने में हमारी मित्र पुलिस नाकाम साबित क़तों हो रही है। सूत्रों की माने तो थाना दरगाह क्षेत्र के छावनी से मंसूरगंज से लेकर कोतवाली नगर के किले और अन्य कई सुनसान इलाकों के साथ साथ नानपारा मोतीपुर बाबागंज रुपईडीहा कैसरगंज और जरवल थानाक्षेत्रों में चल रहे स्मैक के अवैध कारोबारियों का नशे का कारोबार लागातार फल फूल रहा है जिसपर अंकुश लगा पाने में जिले की सभाराज पुलिस पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है।
स्मैक के आदी हो रहे युवाओं के कदम अपराध की ओर भी बढ़े
जिले में युवा पिढ़ी द्वारा नशे की आदी हो जाने के बाद से समूचे जिले में चोरी, लुटपाट, मारपीट जैसी घटनाओं की बाढ़ सी शुरू हो गयी है। अपनी स्मैक की लत को पूरा करने के लिये क्राइम की राह अपना रही युवा पीढ़ी चंद रूपयों के कारण लूट और स्नेचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे है। क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षो के आकडों पर अगर नज़र डालें तो जिले में हुई चोरी, लुटपाट सहित 80 प्रतिशत से ज़्यादा वारदातों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग के आरोपी रहे हैं जो चिंता का विषय भी है। दिनों दिन नशे की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं। कभी चोरी छिपे बिकने वाला नशे का सामान, आज धड़ल्ले से बिक रहा है। स्मैक के धुएं से जवानी सुलग रही और नशीले इंजेक्शन नशों में उतारे जा रहे हैं। शहर की गली-गली में नशे के दीवाने झूमते दिख रहे हैं। सुनसान स्थानों पर स्मैक और नशीले इंजेक्शन लगाते देखे जा सकते हैं। नशे के आदी युवाओं की बर्बादी का मंजर खुलेआम चलता जा रहा है। जिस पर शिकंजा कसने में जिले को मित्र पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है।
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