Edited by Arshad Aabdi, NIT;
लेखक: सैय्यद शहंशाह हैदर आब्दी
स्वर्गीय प्रिय अनुज कामरेड योगेंद्र यादव को लाल सलाम।”ओढ़कर मिट्टी की चादर बेनिशाँ हो जायेंगे,
एक दिन आयेगा, हम भी दास्तां हो जायेंगे।” क्या दे सकते हैं हम, मेहनतकशों के हक़ की आवाज़ बुलंद करते हुऐ दुनिया छोड़ जाने वालों को? सिवाय दो शब्द श्रृध्दांजलि के। ताकि आने वाली पीढ़ी को मेहनतकशों के हक़ की आवाज़ बनने की प्रेरणा मिलती रहे। वरना वर्तमान शासन, प्रशासन यहां तक कि न्यायालय भी मेहनत कशों को मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा के ख़िलाफ़ लामबंद हो चुका है।आईये, कल 21 जुलाई 2018 शनिवार सायं 04 बजे,”हिन्द मज़दूर सभा भवन” हाट के मैदान के पास, भेल आवासपुरी झांसी में ज़रूर पधारें। अपने चहेते भाई, दोस्त,नेता या प्रतिद्वंद्वी को श्रृध्दा सुमन अर्पित करने।
हम इंतज़ार करेंगे।
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी,समाजवादी चिंतक – झांसी।
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