मेहलका अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT;
सोमवार देर रात भोपाल में स्टेट हैंगर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) के नेतृत्व में बुरहानपुर के कृषकों का प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से भेंट की। प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री को बुरहानपुर में आंधी-तूफान से केले की फसल को हुए नुकसान से अवगत कराया। मंत्री श्रीमती चिटनिस ने मुख्यमंत्री को आग्रह किया कि केले की फसल का मुआवजा दिए जाने के संबंध में आरबीसी 6 (4) में संशोधन किया जाना आवश्यक है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि आरबीसी में केले की फसल का नुकसान होने पर राहत राशि प्रति हेक्टेयर के मान से न देकर प्रत्येक पेड़ के हिसाब से देने के लिए प्रावधान किया जाना आवश्यक है। श्रीमती चिटनिस ने कृषि कैबिनेट की बैठक में भी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से इस संशोधन हेतु आग्रह किया था। इस भेंट के दौरान श्रीमती चिटनिस ने तथ्यात्मक बिन्दु रखते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भी सौंपा।
मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को अवगत कराया कि विगत दिनों सांयकाल आंधी आने व मामूली बारिश के साथ ओले गिरने से केले की फसल को नुकसान हुआ है। इस आंधी तूफान से बुरहानपुर जिले के लगभग 14 ग्रामों (बिरोदा, पतोंडा, निम्बोला, नसीराबाद, बोरी, निम्ना, उमरदा, सारोला, अंबाड़ा, जैनाबाद, चिंचाला, एमागिर्द, बोरगांव) के 400 किसानों की लगभग 500-550 हेक्टेयर में लगी केले की फसल को नुकसान हुआ है।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि फलदार पेड़ (संतरा, नींबू, आम, अमरूद आदि) को होने वाली क्षति पर अनुदान राशि प्रति पौधे के मान से दिए जाने का प्रावधान राजस्व पुस्तक परिपत्र में विद्यमान है, जबकि केला, पपीता आदि उद्यानिकी फसलों को होने वाली क्षति पर अनुदान राशि प्रति हेक्टेयर के मान से देने का प्रावधान है। केले की फसल की क्षति पर अनुदान प्रति पौधे के मान से दिए जाने के संबंध में आरबीसी में संशोधन हेतु मैंने पूर्व में भी आग्रह किया है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजस्व विभाग द्वारा कृृषि फसलों को होने वाली क्षति में मुआवजा राशि प्रति हेक्टेयर की दर में कई गुना वृद्धि की है जिससे किसान लाभान्वित हो रहे हैं। मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में कहा है कि केला फसल की क्षति होने पर केले को पेड़ की श्रेणी में मानते हुए राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के पद एक (ख) में सम्मिलित किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में श्रीमती चिटनिस ने वैज्ञानिक तथ्य भी रखे। उन्होंने बताया कि केला फसल में उर्वरक तथा जल मांग आईसीएआर द्वारा प्रति वृक्ष के अनुसार निर्धारित की जाती है व इसी आधार पर ही कृषकों द्वारा आदानों व जल की पूर्ति की जाती है। केला फसल में लागत लाभ का विश्लेषण भी प्रति वृक्ष के रूप में किया जाता है। आम, आंवला आदि हैक्टरों पर लगाये जाते हैं तथा प्रशासन द्वारा इसमें अनुदान प्रति वृक्ष के मान से दिया जाता है। इसी प्रकार केले के पेड़ भी कई हैक्टेयरों पर लगाए जाते है। प्राकृतिक विपदा के कारण केले में प्रति पेड़ हानि, आम के पेड़ की तुलना में बहुत ज्यादा है, परन्तु केले में प्रस्तावित अधिकतम अनुदान मात्र रूपए 1000/- प्रति हेक्टेयर है, जो नगण्य है। प्राकृतिक विपदा, सामान्य वृक्षों की तरह पूरे क्षेत्र को प्रभावित नहीं करते, उसी प्रकार केला भी पूरे क्षेत्र में न प्रभावित होकर क्षेत्र विशेष ही प्रभावित होता है। केला फसल वनस्पतिक रूप से वृक्ष के रूप में वर्गीकृत है एवं उद्यानशास्त्र के फल विज्ञान में फल-वृक्ष के रूप में ही इसका अध्ययन किया जाता है।
मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने अपने पत्र में कहा है कि केले का पेड़ वर्ष में केवल एक बार फसल देता है और केला फसल पर प्राकृतिक आपदा आने पर नुकसान की स्थिति में कृषक के पास आय का और कोई अन्य साधन नहीं होता है, ऐसी स्थिति में कृषकों को अपना जीवन यापन करना कठिन हो रहा है। इस प्रकार वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर केले की फसल को नुकसान होने पर राहत राशि प्रति पेड़ के मान से दिए जाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री जी को सौंपा है।
प्रतिनिधी मंडल में कृषक रामदास पाटिल, संभाजी महाजन, सुरेश महाजन, अनुप चौधरी, रूपेश लिहंकर, उमेश देवस्कर, नामदेव महाजन एवं श्रीराम महाजन सहित अन्य कृषकगण शामिल थे।
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