कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT;
बुलढाणा जिले को सुखामुक्त बनाने के लिए भारतीय जैन संगठन ने जिले को गोद लेते हुए “सुजलाम-सुफलाम” अभियान को आरंभ कर जिले भर के बांध, तालाब, नदी-नालों का गाद निकाल कर यही गाद किसानों को देने का काम जारी किया है। इस के लिए जिले भर में बीजेएस के करीब 124 जेसीबी और 10 पोकलेन मशीन दिन रात काम कर रही हैं। अच्छे काम को कलंकित करने का एक मामला जलगांव जामोद तहसील में सामने आया है। जलगांव जामोद के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति ने अपने व्यक्तिक लाभ के लिए वन जमीन से हो कर गुज़र रही नदी का मुख्य प्रवाह ही बदल डाला है। खास बात तो यह है कि इस अनाधिकृत काम में राजस्व व वन विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं।
जलगांव जामोद तहसील की उत्तर दिशा में सातपुडा की पहाड़ियां हैं। इन्हीं पहाड़ियों से ‘नाव’ नदी निकलती है जो आगे जा कर पूर्णा नदी में समा जाती है। इस नदी पर करीब 7-8 गांव बसे हुए हैं, जिनकी खेती इसी नदी के पानी पर निर्भर है। हालांकि यह नदी ज़्यादा बड़ी तो नहीं है लेकिन सैंकड़ों हेक्टेयर की फसल के लिए वरदान जरूर है, जिससे कई किसान लाभ लेते है। सातपुडा की पहाड़ी के नीचे हनवतखेड वन बिट के कंपार्टमेंट नम्बर 377 में इस नदी का प्रवाह कुछ दिन पहले वन ज़मीन की जेसीबी से अनाधिकृत रूप से खुदाई कर बदल दिया गया और पुराने प्रवाह पर मिट्टी की दीवार खड़ी कर दी गई है। यह अवैध काम जलगांव जामोद के राजस्व विभाग व वन विभाग के अधिकारीयों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है। करीब 1 किलो मीटर तक यह अवैध खुदाई की गई है। यह अवैध खुदाई केवल वन विभाग ही नही बल्कि राजस्व विभाग की ज़मीन पर भी गई है। नदी का मुख्य प्रवाह बंद कर नया प्रवाह ग्राम धानोरा की दिशा में मोड दिया गया है और इसी इलाके में एक व्यक्ति विशेष की खेती है जिसे इस नदी के पानी से उसके “केला” की फसल को भविष्य में भरपूर लाभ मिलेंगा। नए प्रवाह के लिए की गई अवैध खुदाई के साथ ही बीच में आने वाले अनेक पेड़ों को भी गिरा दिया गया ह। प्रशासनीक अधिकारियों की एक व्यक्ति के लिए की गई ये खास कृपा पूरे जलगांव जामोद में चर्चा का विषय बना हुआ है।
धानोरा के किसानों को किया गुमराह
“नाव” नदी का प्रवाह धानोरा की दिशा में मोडने के लिए जलगांव के व्यक्ति विशेष ने बडी चालाकी से धानोरा की जनता की दिशाभूल की है। लोगों को बताया गया कि नदी का प्रवाह बदल दिया जाए तो धानोरा के अतराफ़ की ज़मीन को लाभ मिलेगा, इसी झांसे में आ कर लोगों ने व्यक्ति विशेष की हाँ में हाँ मिला दी जबकि वास्तविक रूप से नदी के पानी का लाभ व्यक्ति विशेष की फसल को अधिक मिलने वाला है।
मूल प्रवाह जस का तस किया जाए
किसी भी नदी या नाले का नैसर्गिक प्रवाह बदला नही जा सकता है। इस बात की जानकारी उपविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, आरएफओ इन संबंधित अधिकारियों को मालूम थी इसके बावजूद भी हनवतखेड परिक्षेत्र के जंगल से बहने वाली नाव नदी का प्रवाह भारतीय जैन संगठन के जेसीबी के माध्यम से बदल दिया गया। इस बात की जानकारी इस नदी के पानी पर निर्भर ग्रामों के लोगों को मिलने के बाद उन्होंने जंगल में पहुंच कर जायज़ा लिया और फिर पूरे इलाके में इस अवैध काम का हो-हल्ला हो गया। 7 ग्रामों के ग्रामस्थ इस बात पर डट गए कि,नदी का प्रवाह पहले जैसा ही किया जाए।
काम अवैध, डीज़ल सरकारी ?
जलगांव जामोद तहसील में पानी फाउंडेशन के वाटर कप के लिए जल संवर्धन का काम किया गया। ग्राम धानोरा के लोकसहभाग को देखते हुए बीजेएस की जेसीबी मशीन मुहय्या कराई गई जिसमें डीज़ल के लिए सरकार से 1 लाख 50 हज़ार की राशि ग्राम पंचायत को दी गई ताकि गांव के अतराफ़ पानी को रोकने के लिए अधिक काम किया जा सके। अब प्रश्न ये खड़ा हो रहा है कि,नाव नदी के प्रवाह को बदलने के लिए अवैध रूप से वन ज़मीन खोदने के लिए क्या सरकारी डीज़ल का उपयोग किया गया है? या फिर व्यक्ति विशेष ने अपने जेब से रकम दे कर डीज़ल को लगी राशि को लोक वर्गनि बताया गया,इस बात की भी जांच होना चाहिए।
शक के घेरे में हैं ये अधिकारी
भारतीय जैन संगठन के जल संवर्धन के लिए बुलढाणा जिले में जारी “सुजलाम- सुफलाम” के इस सराहनीय काम को कलंकित करने का प्रयास जलगांव जामोद तहसील में किया गया है.नाव नदी की मुख्य धारा को अवैध रूप से बदलने के लिए वन ज़मीन को खोदने के लिए बीजेएस की जेसीबी मशीन का उपयोग किया गया.इस संदर्भ में बीजेएस की जलगाँव जामोद तहसील स्तरीय इकाई को इस अवैध काम की भनक भी नही लगने दी गई. सूत्रों की माने तो वन ज़मीन की अवैध रूप से खुदाई के समय जलगाँव जा.के उपविभागीय अधिकारी धनंजय गोगटे, आरएफओ कांबले सहित बीजेएस की जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारी डॉ. किशोर केला , बीजेएस तहसील समन्वयक भंसाली घटना स्थल पर देखे गए है.इन सभी के इस अवैध काम मे सम्मिलित होने की चर्चा पूरे इलाके में सुनने को मिल रही है.अब जिला प्रशासन व वन विभाग क्या कदम उठाता है ये देखने लायक होगा।
प्रवाह पूर्वरत करने का काम जारी
अवैध रूप से वन ज़मीन खोद कर नाव नदी का प्रवाह बदले जाने की जानकारी इलाके में फैलने के बाद इस नदी के पानी से वंचित होनेवाले किसान गुस्से में आ गए थे.बात आगे बढ़ती देख कर घबराए अधिकारियों ने फिर से बीजेएस की जेसीबी मशीन को जंगल मे भेज कर नदी का प्रवाह पहले जैसा करने के लिए भेज दिया है.अब इस काम को लगनेवाला डीज़ल का खर्च कौन देगा? ये बात भी प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है।
नदी का प्रवाह बदला नहीं जा सकता। नाव नदी का प्रवाह अगर अवैध रूप से वन ज़मीन खोद कर बदला गया है तो ये बड़ी गंभीर बात है.वन विभाग द्वारा तत्काल कार्रवाई का आदेश जारी किया जा रहा है। इस अनाधिकृत काम में यदि वन विभाग के कर्मी-अधिकारी शामिल हैं, तो उन पर भी कार्रवाई की जाएग: बी.टी.भगत, डीएफओ, बुलढाणा
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