धर्म-जाति के नाम पर देश में बढती प्राइवेट सेनाएं देश के लिए हितकर या हानिकारक??? | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर, NIT; ​धर्म-जाति के नाम पर देश में बढती प्राइवेट सेनाएं देश के लिए हितकर या हानिकारक??? | New India Timesहालांकि देश की सुरक्षा व भारत के दुश्मनों को ठिकाने लगाने के लिऐ गठित भारतीय सेना का नाम ही बचपन से हम सुनते आ रहे थे एवं हर फौजी को देखकर हर भारतवासी का दिल इतना गदगद हो जाता है कि वो भी भारतीय सेना मे भरती होकर वतन की खिदमत को पुरी तरह अंजाम देकर अपने जीवन को सफलता की चोटी तक पहुंचने का संकल्प लेने में किसी भी तरह की चूक नहीं करने की तमन्ना दिल में पाले रखता है।​

धर्म-जाति के नाम पर देश में बढती प्राइवेट सेनाएं देश के लिए हितकर या हानिकारक??? | New India Times
छात्र जीवन की शुरुवात के समय बिहार में गठित अगड़ों व पिछड़ों की गठित समाजी सेनाओं के किस्से या नरसंहार की खबरे पढने में आती रहती थी। फिर दलित नेता रामविलास पासवान द्वारा गठित दलित सेना की सुर्खियां खूब पढने को मिलती रहती थी। लेकिन राजस्थान में समाजी सेनाओं का गठन पहले न के बराबर था, जो पिछले पन्द्राह-बीस सालों में राजस्थान में भी समाजी सेनाओं के गठन का सिलसिला बढा ही नहीं है बल्कि आज इन समाजी सेनाओं का दायरा व दबदबा भी काफी मजबूत स्थिती में पहुंच चुका है।

 राजस्थान भर में वेसे तो इन समाजी संगठनों का प्रभाव माना व समय समय पर देखने व सुनने को मिलता रहता है लेकिन शेखावाटी जनपद में इन सेनाओं की सक्रियता व प्रभाव काफी आंका जाता है। राजपूत समाज की करणी सेना, जाट समाज की वीर तेजा सेना के अलावा देव सेना, मेघ सेना, मीन सेना व कायमखानी सेना का प्रभाव व उनकी सक्रियता भी दिन-रात बढती जा रही है। जाहिर तौर पर इन सेनाओं का समाज हित व समाजी लोगों पर आने वाली विपत्तियों के खिलाफ संघर्ष करना ही माना जाता रहा है, लेकिन अनेक दफा इन सेनाओं के किसी ना किसी मसले को लेकर आमने-सामने की स्थिती भी बनती रहती है। इन दिनों करणी सेना की तरफ से आरक्षण अधिकार हुंकार रैलियों का आयोजन किया जा रहा है, वहीं वीर तेजा सेना भी किसी ना किसी मसले को लेकर हर समय संघर्ष करती नजर आती रहती है।​
धर्म-जाति के नाम पर देश में बढती प्राइवेट सेनाएं देश के लिए हितकर या हानिकारक??? | New India Times कुल मिलाकर यह है कि धार्मिक और समाजी तौर पर गठित होने वाली सेनाओं की भुमिका समाज और धर्म को तरक्की के पथ पर किस हद तक ले जाती है यह तो आने वाला भविष्य ही तय करेगा लेकिन युवाओं का इनको आपार समर्थन मिलने से कोई भी नकार नहीं सकता है। हर समाज की तरफ से उसके नाम से गठित होने वाली सेनाओं का चलन राजस्थान समेत पूरे देश में काफी विस्तार लेता जा रहा है।


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