अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT;
आम आदमी पार्टी मप्र द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक और राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक अग्रवाल ने प्रदेश में गहराते जल संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश के कुल 378 स्थानीय नगरीय निकायों में कई निकायों में चार दिन में एक बार पानी की आपूर्ति हो रही है। जबकि 50 निकायों में तीन दिन में एक बार और 117 निकायों में एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति की जा रही है। हालात आगे और भयावह होने के आसार हैं और प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के माथे पर इसकी कोई चिंता दिखाई नहीं देती है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी का मानना है कि प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के कारण जल संकट के हालात उत्पन्न हुए हैं। इससे बचने के लिए तत्काल प्रदेश की एक जल नीति बनाने की दिशा में काम किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्राचीन समय की शासन पद्धति में भी जल संकट से बचने के लिए कुएं-बावडिय़ां आदि बनाने का प्रचलन था, लेकिन शिवराज सरकार किसी भी ऐहतियाती कदम की ओर जाती नहीं दिखाई दे रही है। इसके उलट पानी की कमी से जूझ रहे लोगों को टैंकर माफिया के चंगुल में फंसने के लिए छोड़ दिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति एक दिन में नहीं आई है। बीते कई सालों से कम वर्षा के चलते कुछ बांधों में पानी लगभग खत्म हो गया है, लेकिन 14 सालों के अपने शासनकाल में भाजपा सरकार ने ऐसा कोई एहतियाती कदम नहीं उठाया है, जो प्रदेश वासियों के लिए राहत दे सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में हालात बेहद खराब हो चुके हैं और कुछ ही दिनों में यह समस्या शहरी आबादी को भी बुरी तरह अपनी चपेट में लेने वाली है। ग्रामीण इलाकों में 5.5 लाख हैंडपंप और 15 हजार ट्यूबवेल हैं, लेकिन इनमें से कई हैंडपंप और ट्यूबवेल काम नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में जल संकट से लोग बेहद परेशान हैं। बुंदेलखंड में तो कई गांव ऐसे हैं, जहां ग्रामीणों को 3 से 5 किलोमीटर दूर जाकर पीने का पानी लाना होता है। यह हालात तब हैं जबकि बुंदेलखंड पैकेज के नाम पर 3 हजार करोड़ की राशि खर्च की गई है। हालात साफ इशारा करते हैं कि बुंदेलखंड पैकेज की राशि की बंदरबांट की गई है। बुंदेलखंड में कई गांवों में महिलाएं रात-रात भर कुएं के पास बैठी रहती है, तब कहीं जाकर आधा लीटर पानी मिल पाता है और यह हालात और बदतर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि विकास के दावों के बीच प्रदेश वासियों को पीने का पानी भी मयस्सर नहीं है।
उन्होंने कहा कि अभी गर्मी की शुरुआत है और प्रदेश में जल संकट गहराने की तीखी आहट आनी भी शुरू हो गई है। प्रदेश के 165 बड़े जलाशयों में से 65 लगभग सूख चुके हैं और 39 जलाशयों में क्षमता के मुकाबले महज 10 फीसद से भी कम पानी बचा हुआ है। यही नहीं प्रदेश के हैंडपंप और ट्यूबवैल भी जलस्तर की कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि ताजा जानकारी के मुताबिक देश के सबसे बड़े बांध, इंदिरा सागर में अधिकतम क्षमता के मुकाबले महज 20 प्रतिशत पानी बचा हुआ है।
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