अविनाश द्विवेदी, भिंड (मप्र), NIT;
भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा के गहेली गांव में लोग बिजली और पानी के लिए तरस रहे हैं। लगभग दो किलोमीटर दूर से लोग पानी लाने के लिए मजबूर हैं। लेकिन कहीं भी इनकी सुनवाई नहीं हो रही है। गांव में पानी की टंकी बानी हुई है लेकिन बिजली के ना होने से वह महज शोपीस बनकर रह गयी है। दरअसल गहेली गांव की आबादी लगभग 6 हजार है, जिसके चलते यहां पर नल जल योजना के तहत सालों पहले पानी की टंकी भी बनवाई गई थी और लाइन भी बिछाई गई थी लेकिन बिजली के ना होने से यह टंकी महज शोपीस बनकर रह गई है और पानी की लाईनों का भी कुछ पता नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक लगभग 25 साल पहले यहां पर बिजली आई तो जरूर थी लेकिन कुछ ही समय बाद आई बाढ़ में बिजली के खंभे टूट जाने के बाद उनको दुरुस्त करने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। नतीजा यह है कि ग्रामीणों को बिजली तो मिल ही नहीं पा रही है, बिजली के अभाव में पानी भी 2 किलोमीटर दूर से लाना पड़ रहा है। सुबह चार बजे से ही हैंडपंपों पर पानी के लिए लंबी लंबी कतारें लग जाती हैं। कभी-कभी तो पानी के लिए जद्दोजहद इतनी बढ़ जाती है कि लोग आपस में ही लड़ने को तैयार हो जाते हैं। शासन द्वारा तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन उनका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। जिससे ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है। महिलाओं को भी दैनिक उपयोग के लिए सबसे पहले पानी के लिए ही संघर्ष करना पड़ता है तभी उनके दिन भर के आगे के काम चल पाते हैं।
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