अबरार अहमद खान,भोपाल, NIT;
आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी बिजली घर के लिए अधिगृहीत की 300 हेक्टेयर जमीन अडानी पावर को साल 2010 में कौडिय़ों के दाम दे दी थी। यह जमीन अडानी पावर को बिजली घर लगाने और 42 माह के अंदर उत्पादन शुरू करने के नाम पर दी गई थी लेकिन 8 वर्ष से अधिक बीत जाने के बावजूद बिजली घर निर्माण का काम शुरू भी नहीं हुआ है और न ही पर्यावरण स्वीकृति हासिल की गई और न ही कोल लिंकेज हुआ है। यह बात आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक और राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक अग्रवाल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। श्री अग्रवाल ने कहा कि किसानों से कोडियों के मोल जमीन लेकर अडानी को देना शिवराज जी का किसान विरोधी चरित्र दिखाता है।
किसानों की छीनी जमीन अडानी को सौंपी
उन्होंने बताया कि छिंदवाडा जिले के चोंसरा व सिरईडोगरी गांव की लगभग 300 हेक्टेयर जमीन वर्ष 1986-87 में गरीब किसानों से औसतन 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर पर बहुत ही कम दाम पर अधिग्रहीत की गई थी, जिससे सैकड़ों किसान बर्बाद हो गये। इस जमीन पर सरकार ने परियोजना के लिये ढांचा खड़ा किया परन्तु बाद में यह जमीन मध्य प्रदेश सरकार की ओर से दिनांक 4 फरवरी 2010 को एक पत्र जारी कर अडानी पावर को बिजली घर की स्थापना के लिए हस्तांतरित कर दी गई साथ ही इस जमीन पर पेंच ताप परियोजना के नाम पर स्थापित सभी तरह की संस्थापनाओं (इन्फ्रास्ट्रक्चर) को भी अडानी पावर को सौंप दिया गया।
195 करोड़ की संपत्ति महज 47 करोड़ रुपए में दी गयी
यह जमीन और इस पर स्थापित सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर को महज 46.99 करोड़ रुपए में अडानी पावर को दे दी गई। हैरत की बात यह है कि इस जमीन/संपत्ति का मूल्य मूल्यांकन कमेटी ने 195 करोड़ रुपए निर्धारित किया था और उस वक्त इसका बाजार मूल्य 400 करोड़ से ज्यादा था। इसके बावजूद महज 47 करोड़ रुपए में यह कीमती जमीन अडानी पावर को दे दी गई। इसके बाद यह सारी जमीन राजस्व रिकॉर्ड में अडानी पावर के नाम दर्ज हो गई।
जमीन ली बिजली घर के लिए लेकिन कोई काम नहीं किया
जमीन का हस्तांतरण तो गलत है ही इसके बाद यह जमीन जिस काम के लिए अडानी पावर को दी गई वह भी कभी नहीं हुआ। अडानी पावर को शर्तों के अनुसार 42 माह के अंदर बिजली घर की स्थापना कर उत्पादन शुरू कर देना था। इसमें मध्य प्रदेश को 10 प्रतिशत बिजली रियायती दर पर देनी थी और 40 प्रतिशत बिजली विद्युत नियामक आयोग की ओर से निर्धारित दर पर देना थी। इस तरह कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलना था। वर्तमान स्थिति में लगभग 8 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद बिजली घर परियोजना के लिए एक भी पत्थर नहीं लगा है, न ही पर्यावरणीय स्वीकृति या कोल लिंकेज प्राप्त हुआ है। इस तरह इस परियोजना से बिजली उत्पादन मात्र एक सपना है।
कांग्रेस के सांसद कमलनाथ जी का हाथ शिवराज के साथ
इस मामले में शिवराज सरकार की भूमिका तो संदिग्ध है ही, वर्तमान सांसद और लंबे समय से छिंदवाडा का प्रतिनिधित्व कर रहे कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष कमलनाथ की भूमिका भी संदिग्ध है। बीते 8 सालों से छिंदवाडा के सांसद कमलनाथ जी ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है और इस जमीन को अडानी पावर के हाथों से वापस लेने के लिए उन्होंने किसी तरह की कार्रवाई करने की जरूरत भी नहीं समझी। उल्लेखनीय है कि श्री कमलनाथ ने अपने 2014 के चुनाव के शपथ पत्र में दर्शाया है कि उनके पास अडानी पॉवर के 8500 शेयर है।
किसानों के खिलाफ शिवराज जी और कमलनाथ जी की यह मित्रता कैसी?
साफ़ है कि किसानों की जमीन लूटकर अडानी को दे दी गयी है, पर आज यह भी साफ़ है कि किसानों की इस लूट में शिवराज और कमलनाथ की घनिष्ठ मित्रता दिख रही है।
कानूनन किसानों की जमीन वापस की जाये
आज मध्य प्रदेश में 18,000 मेगावाट बिजली उपलब्ध है जबकि हमारी मांग मात्र 8,000 मेगावाट है, अतः इस परियोजना की जरुरत नहीं है। नये भू अर्जन कानून की की धारा 101 के अनुसार यदि किसी जमीन का उपयोग 5 वर्ष तक नहीं होता है तो उक्त जमीन को किसानों को वापस कर दिया जाना चाहिये। अतः आम आदमी पार्टी मांग करती है कि किसानों की जमीन उन्हें लौटाई जाए और इस बीच पिछले 30 सालों में उन्हें जो नुकसान हुआ है, उसका मुआवजा भी किसानों को दिया जाए।
किसानों की बीच लेकर जाएंगे यह मामला
आम आदमी पार्टी जल्द ही इस मामले को किसानों के बीच ले जाएगी और छिंदवाडा में इसको लेकर आंदोलन किया जाएगा साथ ही प्रदेश में जो अन्य परियोजनाओं के नाम पर किसानों की जमीन को अधिग्रहीत कर निजी हाथों में सौंपने की खुली लूट है, उसका भंडाफोड़ करेगी।
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