कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT; आज सुबह ‘ज्ञानगंगा अभयारण्य’ में आग लगने के कारण सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र की वन संपदा जलकर राख हो गई है। सुबह लगी आग को शाम होने तक भी पूरी तरह से काबू में नहीं किया गया है। अभयारण्य में आग लगने की यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी तकरीबन 15 बार इस अभयारण्य में आग लग चुकी है।
बुलढाणा जिले के 4 तहसीलों में फैले ज्ञानगंगा अभयारण्य में इस साल वन चराई नहीं होने के कारण जंगल में बड़ी संख्या में घास-फूस उग आई थी। ग्रीष्म काल लगते ही घास, पेड़- पौधे पूरी तरह से सुख गए, ऐसी स्थिति में जरा सी चिंगारी पूरे अभ्यारण के लिए घातक है। ज्ञानगंगा अभयारण्य में इस वर्ष अब तक करीब 15 मर्तबा आग लग चुकी है। आग पर काबू पाने के लिए वन्य जीव विभाग में अग्नि रक्षक भी नियुक्त किए हुए हैं, किंतु देखा गया है की आग की घटनाओं के समय अधिकांश वन्य जीव विभाग के वनपाल, वनरक्षक, वन मजदूर एवं अग्नि रक्षक अभयारण्य से नदारद रहते हैं और उन्हें अभयारण्य में आग लगने की घटना की भनक लगते ही कुछ कर्मचारी अपना फोन भी बंद कर देते हैं, ऐसे में आग को काबू करना संभव नहीं है। वन कर्मियों की लापरवाही के कारण अभयारण्य के पेढ-पौधे एवं वन्य जीवों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।प्राप्त जानकारी के अनुसार आज 4 मई को सुबह खामगांव रेंज अंतर्गत की पलढग बीट में आग लगी जो फैलते हुए बुलढाणा रेंज की उत्तर देवहारी बीट तक आ गई। घटना की जानकारी मिलने के बाद खामगांव व बुलढाणा रेंज के आरएफओ संतोष डांगे, मयूर सुरवसे अपने कर्मियों के साथ जंगल में पहुंचे और आग पर काबू पाने की जद्दोजहद में जुट गए। आज लगी आग इस वर्ष की सब से बड़ी थी जिसने वन संपदा को बहुत हानि पहुंचाई है। इस विषय में जानकारी लेने के लिए खामगांव रेंज के आरएफओ संतोष डांगे से संपर्क का प्रयास किया गया किंतु उनका मोबाइल रेंज में नही था।
आज लगी आग खामगांव रेंज की पालढग बिट से आरंभ हुई जो फैलते हुए बुलढाणा रेंज तक आ गई। आग को बुझाने के लिए पूरे कर्मी काम में लगे हुए हैं, आग पर काबू पाने का प्रयास जारी है। आग में कितना क्षेत्र जला है, यह अभी बताना मुश्किल है: मयूर सुरवसे, आरएफओ, बुलढाणा वन्यजीव विभाग।
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