संदीप शुक्ला, ग्वालियर/शिवपुरी (मप्र), NIT;
वैसे तो शिवपुरी जिला मध्यप्रदेश में एक शांति प्रिय जिला के रुप मे अपनी पहचान बनाये हुए है। जिले में करीब आधा सैंकड़ा से अधिक समाज सेवी संस्थायें संचलित हैं, लेकिन उनमें से ज़्यादातर संस्थायें प्रशासनिक चमचागिरी तक सीमित संस्था हैं या कुछ संस्थायें ऐसी हैं जिसमे बड़े बड़े धन्ना सेठ अपना नामंकन दर्ज कराकर उनको धकेलते है। अभी कुछ दिन पहले करैरा में एक पेट्रोल पंप व्यवसायी के साथ लूटपाट हुई, उसमें पुलिस द्वारा बड़ी फुर्ती से आरोपियों को पकड़कर सफलता प्राप्त की गई, जिसमें पुलिस का कंट्रोल रुम में सम्मान हुआ और वह सम्मान के हकदार पुलिस थी। ऐसी ही एक घटना पिछोर के मेघना हत्याकांड के समय की है उसे ट्रेस करने के बाद शिवपुरी जिले में करीब हर तहसील में एम यू कुरैशी पुलिस अधीक्षक के समय सम्मान हुआ। यह दोनों ही मामले शायद प्रबुद्ध परिवारों से थे एवं इन परिवारों के सेठों की संख्या भी जिले में अधिक है इसलिये सम्मान कार्यक्रम भी बनता है लेकिन इस जिले में एक उत्सव हत्याकांड भी हुआ था, उस दिन को याद करके आज भी अच्छे खासे के हाथ पैर फूल जाते हैं। इस जिले में प्रशासन बैक फुट पर था, उस समय तब इन्ही प्रबुद्ध लोगों ने इस जिले में पुलिस का बचाव तक नही किया था जबकि पुलिस का किसी घटना से कोई लेना देना नही था, मात्र बैराड़ कस्बे की उस 6 वर्षीय बच्ची के साथ घटी घटना से था जिससे ऐसे समय दुष्कर्म हुआ जब पूरा देश कठुआ एवं उनाव में हुए बलात्कार के मामले से सुलग रहा था, लेकिन शिवपुरी जिले की बैराड़ पुलिस की तत्परता से 24 घंटे में मामले का पर्दाफाश कर दिया गया एवं आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। यह मामला इतना गम्भीर एवं ऐसे समय पर हुआ था जब देश भर में रेप को लेकर आग लगी हुई थी एवं बैराड़ में मामला ट्रेस नही होता तो शायद एक दो पुलिस कर्मी भी लाईन अटैच या सस्पेंड जैसी कार्यवाही की जद में आ सकते थे लेकिन पोहरी एस डी ओ पी अशोक घनघोरिया एवं बैराड़ टी आई ओ पी आर्य द्वारा स्वयं के कंधे पर भार लेकर मात्र पीड़िता द्वारा आरोपी के हुलिया के आधार पर आरोपी को पकड़ा एवं आरोपी ने जुर्म भी कबूल किया एवं वह 376 एवं पोस्को एक्ट में जेल में पहुंच चुका है लेकिन अगर आज पुलिस इस मामले को ट्रेस नही करती तो पक्का कोई ना कोई लाईन हाजिर जरुर होता लेकिन मामला ट्रेस करने के बाद आखिर कोई समाजसेवी संस्था सामने क्यों नही आई? आखिर यह संस्थायें क्या मात्र धन्ना सेठों के लिये संचलित हैं? जिस तरह लूट, डकैती की प्रेस कॉन्फ्रेंस बड़े स्तर पर संचलित की जाती है मीडिया को पीले चावल सवेरे 7 बजे से बांट दिये जाते है लेकिन ऐसे सेंसेटिव मामले में वाकई पुलिस सम्मान की हकदार थी । इसलिये देरी से सही पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार पांडे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कमल मौर्य, एस एफ एल टीम, एस डी ओपी पोहरी अशोक घनघोरिया, बैराड़ टी आई ओ पी आर्य एवं समस्त स्टाफ सम्मान के हकदार थे, क्योंकि बैराड़ पुलिस ने 24 घँटे में पीड़िता को न्याय दिलाया।
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