भीम में हुई जन सुनवाई, 38 देशों के ऑडिटर्स ने भी लिया हिस्सा | New India Times

 फ़िरोज़ खान, बारां(राजस्थान), NIT; ​​​मजदूर किसान शक्ति संगठन द्वारा पंचायत समिति के बाहर आयोजित जन सुनवाई में 38 देशों के ऑडिटर्स ने भी हिस्सा लिया और जनता से जुडी योजनाओं में आ रही समस्याओं और उनकी धरातलीय स्थिति को समझा। ज्ञातव्य है कि जनता से जुड़े मुद्दों पर जन सुनवाइयां आयोजित कर सरकारी तंत्र की जवाबदेही की माँग करने वाला एक मंच मजदूर किसान शक्ति संगठन द्वारा 1990 के दशक में ही शुरू किया गया था और इसी से देश में सोशल ऑडिट (सामाजिक अंकेक्षण) की पूरी अवधारणा निकली। इस जन सुनवाई और सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया को समझने के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के यहाँ विभिन्न देशों के ऑडिटर्स प्रशिक्षण हेतु आते हैं,  जिसमें सामाजिक अंकेक्षण का भी एक भाग है जिसे समझने व जन सुनवाई के मंच को देखने के लिए आज 38 देशों के ये ICISA, नोएडा के प्रशिक्षु ऑडिटर्स भी शामिल हुए। सुनवाई में मुख्यतः राशन, पेंशन, आवास और नरेगा सम्बन्धी मुद्दों पर भीम पंचायत समिति के विभिन्न गांवों से आये लगभग 400 से भी अधिक ग्रामीणों ने अपनी बात रखी. कूकर खेड़ा से आई नैनू देवी ने बताया कि उसे तो पिछले दो महीने का ही राशन मिला है लेकिन वेबसाइट पर देखने पर रिकॉर्ड कहता है कि पिछले सात महीने से उसे बराबर राशन दिया जा रहा है. पांच महीने का उनका राशन कौन खा गया उसे नहीं पता. इसी तरह डूंगा जी के गाँव से आई वयोवृद्ध महिला बरदी देवी ने बताया कि उसे पिछले छः महीने से राशन सिर्फ इसलिए नहीं मिल पाया है क्यूंकि उनका राशन डीलर उन्हें आधार कार्ड के बिना राशन देने से मना करता है और उनके नाम से आने वाला राशन डीलर ही उठा रहा है ।इसी प्रकार ज्ञात हो कि भीम पंचायत समिति में बड़ी संख्या में पेंशनर्स को कागजों में मृत घोषित कर दिया था जबकि वास्तव में वे सभी जिन्दा थे. जब इसकी जाँच पूरी पंचायत समिति में की गई उसके बाद भी इस जन सुनवाई में 3 लोग ऐसे आये जिनकी पेंशन इसलिए बन्द कर दी गई क्योंकि उनको कागजों में मरा हुआ बता दिया गया है जिनमें त्रिलोक सिंह/ भेर सिंह गाँव दपट्टा ग्राम पंचायत बरार, दूसरे कमला देवी/ हिम्मत सिंह ग्राम रोहिडा ग्राम पंचायत मंडावर, तीसरे मोहिनी देवी /देवी सिंह ग्राम नवा कूड़ा हमाला की बेर ग्राम पंचायत बरार भी जन सुनवाई में पहुंचे और इन्होने अपने जीवित होने को प्रशासन के सामने इस जन सुनवाई में सिद्ध किया ।जन सुनवाई में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी आये जो बी पी एल में है और उनका मकान कच्चा बना हुआ है लेकिन आज तक उन्हें किसी भी योजना में मकान नहीं मिला है चाहे वह मुख्यमंत्री बीपीएल आवास योजना हो या इंदिरा आवास योजना या प्रधानमंत्री आवास योजना. लोग मकान का फार्म भरने के लिए चक्कर लगा रहे हैं आज लोगों ने कहा कि हमें किसी आवास योजना का लाभ मिल सकता है इस बारे में प्रशासन की ओर से जानकारी दी गई कि 30 अक्टूबर प्रधानमंत्री आवास में फार्म भरने की अंतिम तारीख थी.। इसी प्रकार कई विधवा महिलाएं आई जिनकी पेंशन तो मिल रही है लेकिन उनके बच्चों को पालनहार का लाभ नहीं मिल रहा है और उनको खाध्य सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. कूकर खेड़ा से आई रामू देवी ने बताया कि उसे विधवा हुए 7 वर्ष हो गए और अभी पेंशन भी मिलती है लेकिन मेरे बच्चों को पालनहार योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. कूकर खेड़ा से ही आई रेखा ने बताया कि वो भी विधवा है और उसे विधवा पेंशन मिल रही है लेकिन उसके बच्चों को पालनहार का लाभ नहीं मिल रहा है। जन सुनवाई में मजदूर किसान शक्ति संगठन के शंकर सिंह ने ३८ देशों से आये ऑडिटर्स को संबोधित करते हुए कहा कि कागजों में क्या है और हकीकत क्या है इसका फर्क समझना ही एक ऑडिटर के लिए सबसे ज़रूरी सीख है और हम उम्मीद करते हैं कि राजसमन्द के इस इलाके से जन सुनवाई और सोशल ऑडिट की जो एक अलख जगाई गयी उसे आप अपने-अपने देशों में लेकर जायेंगे और लोकतंत्र में सरकारी तंत्र की जवाबदेही सुनिश्चित करने की ओर बढ़ेंगे. घाना से आई बेंजामिन दान्सो ने कहा कि सोशल ऑडिट फाइनेंसियल ऑडिट का पूरक है. केन्या की जोसेफीन ने कहा कि मजदूर किसान शक्ति संगठन ने आम लोगों के हाथ में सोशल ऑडिट जैसा हथियार देकर इतिहास कायम किया है ।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading