अबरार अहमद खान/मो. तारिक़, भोपाल, NIT;
भारत में मुसलमानों के जितने भी मुस्लिम संगठन धार्मिक तनज़ीमें हैं जिनकी आवाज़ पर भारत के समस्त मुसलमान कोई भी देश व्यापी तहरीक को कामयाब बनाता है, उनमें मुख्य रूप से जमीयत उलमा ए हिन्द, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत अहले हदीस, रज़ा एकेडमी, जमात ए इस्लामी, AIMIM, मुस्लिम लीग, पीस पार्टी ,उल्मा बोर्ड, उल्मा कौंसिल, मिल्ली कौंसिल, मजलिसे मुशावरत, पापुलर फ्रंट, या किसी और जमात ने इस तरह के किसी बंद का कोई एलान नहीं किया है।
शांती और मानवाधिकार संरक्षण हेतु गठित व संयुक्त राष्ट्र संघ से सम्बंधता प्राप्त अंतराष्ट्रिया सामाजिक संस्था (एनजीओ) के नेशनल पीआरओ एंड एमपी स्टेट प्रेसीडेंट मो. तारिक़ ने बतलाया कि साज़िश कर्ताओं ने पहले अफवाह फैलाई कि आसिफा को न्याय दिलाने मुस्लिम समाज द्वारा भारत बंद 29 अप्रैल और फिर 20 अप्रैल फिर 30 अप्रैल जो यह एक साज़िश ही है। जैसा कि असिफ़ा रेप व क़त्ल केस में पूरा मुल्क एक होकर अपना विरोध दर्ज करा रहा है, यह बात कुछ सियासी तंजीमों और कुछ सियासी पार्टियों के गले नहीं उतर रही हैं या यूं कहें उनके गले की हडडी बन गई है और अब वह चाहते हैं कि किसी तरह इस मामले को हिन्दू-मुस्लिम रंग दे दें, इसलिये बंद की अफवाह फैलाई जा रही है ताकि मुस्लिम यूवा जज़्बात में आकर रोड पर आयें, बन्द कराएं और इस दरमियान कोई ऐसी घटना हो या कराई जाए जिसे साम्प्रदायक रंग दिया जा सके। असिफ़ा जैसे कई बलात्कार के केसों से ध्यान हटा कर हमारी एकता अखंडता को प्रभावित कर मुस्लिम समुदाय को बदनाम किया जा सके और उसका राजनीतिक लाभ लिया जा सके। आप तमाम हज़रात से मेरी दरख्वास्त है कि इस तरह की अफवाह फैलाने वालों को रोकें और पूरी ज़िम्मेदारी और ताक़त के साथ संवेधानिक तरीके से असिफ़ा, उन्नाव, सूरत और जगह भी जहां जहां बलात्कार और दबंगाई की घटनाएं घटित हुई हैं उनके विरोध में मज़लूमाओं को इंसाफ दिलाने के लिए अपनी पुर अमन कोशिश जारी रखें। बंद के अलावा और भी कई लोक्तांत्रिक रास्ते हैं। साथ ही यह अपील की जाती हैं कि “भारत बंद की अफवाह बहुत फैल चुकी इसलिए इस ख़बर को भी बहुत ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें और बंद करने वाला कोई भी मैसेज आपके मोबाइल पर या सोशल साइट पर आये तो नज़दीकी पुलिस स्टेशन को सूचित कर एक अच्छे सच्चे शहरी और हम वतनी का सबूत पैश करें”।
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