अश्वनी मिश्रा की ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट
सिवनी/ छपारा (मप्र), NIT; छपारा नगर के लिए 2 करोड़ 75 लाख की इंटकवेल परियोजना की आज उस समय पोल खुल गई जब शुरुआत करते ही सिर्फ 1 घंटे पानी सप्लाई होते ही इंटकवेल से जुड़ी पाइप लाइन टूट गई, यही नहीं इंटकवेल में सिर्फ 1 घंटे बाद 4 से 5 फीट पानी ही बचा हुआ है जो कि बरसात के समय जमा हुआ पानी नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि करोड़ों रुपए की इस परियोजना में कितना गड़बड़ घोटाला हुआ है? वैसे इस मामले में संबंधित पीएचई के अधिकारी अपना बचाव करते नजर आ रहे हैं।
ज्ञात हो कि छपारा नगर की लगभग 20 हजार से अधिक आबादी वाली आम जनता के लिए 5 साल पहले 2 करोड़ 75 लाख रूपय की इंटकवेल परियोजना स्वीकृत हुई थी लेकिन आज भी इस परियोजना से छपारा नगर वासियों को एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो पायी है। आज भी इस इंटकवेल परियोजना का काम आधा अधूरा पड़ा हुआ है लेकिन करोड़ों रुपए का घोटाला दबाने के लिए अब पीएचई के अधिकारी ग्राम पंचायत के ऊपर हैंडओवर लेने का दबाव बना रहे हैं।
विधानसभा में गूंज चुका है मामला
इंटकवेल निर्माण के समय और स्थान चयन को लेकर कई बार मीडिया कर्मियों ने इस मामले में आवाज उठाई है लेकिन शासन-प्रशासन आंखें बंद करे तमाशा देखता रहा। कुछ दिनों पहले भी इस परियोजना के मामले में हमने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी जिसके बाद केवलारी विधायक ठाकुर रजनीश सिंह ने विधानसभा में इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद आनन फानन में छपारा जनपद की सीईओ शिवानी मिश्रा ने एक बैठक आयोजित कर पीएचई विभाग के एसडीओ जैन सहित छपारा ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव को शीघ्र अति शीघ्र इस परियोजना को चालू करने के दिशा निर्देश दिए थे। पीएचई छपारा एसडीओ आलोक जैन ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि एक दिन में ही इस परियोजना से छपारा नगर वासियों को पानी मिलने लगेगा लेकिन आज इस इंटकवेल से लगभग 1 घंटे पानी सप्लाई होने के बाद ही इंटकवेल से लगा पाइप फूट गया और हजारों लीटर पानी चारों तरफ बहने लगा यही नहीं इस इंटकवेल के अंदर सिर्फ 1 घंटे मोटर चलने के बाद सिर्फ और सिर्फ तीन से चार फीट पानी ही बचा है ऐसे में सवाल यह है कि आखिर भरी गर्मियों में इस इंटकवेल से छपारा नगर वासियों को पानी कैसे नसीब हो पाएगा?
होना चाहिए जांच
आज छपारा पीएचई के अधिकारियों सहित छपारा ग्राम पंचायत की सरपंच और उपसरपंच तथा पंच सहित हमारी टीम जब छपारा कला मोक्ष धाम और कर्बला घाट के करीब में स्थित इंटकवेल पहुंची तो सिर्फ 1 घंटे बाद ही पानी सप्लाई करते ही पाइप लाइन फूट गई और कई जगह से पाइप लाइन में लीकेज भी नजर आने लगा। आश्चर्य की बात तो यह है कि सिर्फ 1 घंटे पानी सप्लाई होने के बाद इंटकवेल के अंदर सिर्फ और सिर्फ तीन से चार फीट पानी ही बचा हुआ नजर आया ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस पूरी परियोजना में पीएचई के अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से करोड़ों का गड़बड़झाला हुआ है। मौका स्थल पर उपस्थित ग्राम पंचायत की सरपंच और उपसरपंच सहित पंचों ने शासन प्रशासन से इस पूरी परियोजना मामले की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है और इस परियोजना को हैंडओवर लेने से साफ इनकार कर दिया है।
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