ईमानदार पुलिस अधिकारी को चुकानी पडी ईमानदारी की कीमत | New India Times

वी.के.त्रिवेदी, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT;  

ईमानदार पुलिस अधिकारी को चुकानी पडी ईमानदारी की कीमत | New India Times​इस समय पूरे देश में किसी सरकारी विभाग और खासकर पुलिस विभाग में ईमानदार होना और ईमानदारी से काम करना बडे ही हिम्मत का काम है। अक्सर ईमानदार अघिकारियों को अपने आला अधिकारियों व रसूखदार राजनेताओं की नाराजगी व कहर का सामना करना पडता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिला में सामने आया है, जहां एक ईमानदार पुलिस अधिकारी को उसके ईमानदारी के कारण मामूली बहाना बनाकर निलंबित कर दिया गया है जो इंसाफ की आस में शासन- प्रशासन की तरफ उम्मीद भरी नजर से देख रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना सम्पूर्णानगर प्रभारी निरीक्षक बृजराज यादव व क्षेत्र के छुटभैया नेताओं की आँख की किरकिरी बने सम्पूर्णानगर थाने के उपनिरीक्षक अशोक बाबू शर्मा को कथित विवेचना मे लापरवाही के आरोप में पुलिस अधीक्षक खीरी दृारा दिनांक 04-04-2018 को निलंबित किया गया जब कि मामला कुछ और ही बताया जाता है।

विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सम्पूर्णानगर थाने में आसीन कोतवाल बृजराज यादव दृारा थाना क्षेत्र में तानाशाही की जा रही है जिससे क्षेत्र की जनता परेशान है। आये दिन उपरोक्त कोतवाल के कारनामे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनते रहते हैं। अभी गत दिनों उपनिरीक्षक अशोक बाबू शर्मा के अथक प्रयास द्वारा एक अपराधी को पकड़कर लाया गया जिसकी मुखबिरी पर 25,000 हजार के ईनामी अपराधी को तेलंगाना राज्य से गिरफ्तार किया गया, जिसका पूरा श्रेय अशोक बाबू शर्मा को मिलना चाहिए किन्तु उन्हें महज विवेचना में कथित लापरवाही बरतने पर 04-04-2018 को ही निलंबित कर दिया गया। जबकि जिस विवेचना में उक्त विवेचक को निलंबित किया गया उसमें तत्काल विवेचक द्वारा कुछ नहीं किया जा सकता था। क्योंकि जब कोई सम्पर्क सूत्र नही होगा तो अपराधी की स्थान -स्थति की जानकारी करना मुश्किल काम बताया जाता है, उक्त बिंदुओं को दृष्टिगत न करते हुए तत्काल निलंबित कर दिया गया। जनपद में कई थानों में विवेचनाएं महीनों से लम्बित हैं जो कि विभागीय अधिकारियों की जानकारी में हैं लेकिन सम्बन्धित विवेचकों का निलंबन नहीं हो रहा है। कई विवेचनाएं ऐसी हैं जो कि तथ्यविहीन हैं जिनको जानते हुये भी पुलिस के जनपद स्तरीय आला अधिकारी नजरअंदाज करते हैं, फिर जरा सी बात पर उपरोक्त उपनिरीक्षक का निलंबन क्यों ? पीड़ित उपनिरीक्षक को यह बात पुलिस अधिकारी की दोहरी कार्यशैली का परिचायक लगती है। थाने में तैनात उपनिरीक्षक अशोक बाबू शर्मा न्याय प्रिय, ईमानदार छवि के सीधे-साधे व्यक्ति बताये जाते हैं। वहीं शुरू से ही इनके और थानेदार बृजराज यादव के मध्य में वैचारिक मतभेद भी जन चर्चा में आते रहे हैं। बकौल अशोक बाबू शर्मा के कई मामलों में बृजराज यादव द्वारा अशोक बाबू शर्मा पर अनुचित कार्य के लिए दबाव बनाया गया, जिससे ये सहमत नहीं हुये। वहीं कुछ छुटभैया नेताओं की आँख की किरकिरी बने अशोक बाबू को आखिरकार जनपद के पुलिस अधीक्षक खीरी द्वारा निलंबन के तमगें से नवाजा गया।


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