पीयूष मिश्रा/ अश्वनी मिश्रा,सिवनी/ छपारा (मप्र), NIT;
प्रदेश के साथ-साथ सिवनी जिले में फसल की नरवाई जलाने के राज्य सरकार के फरमान के बाद भी छपारा सहित सिवनी जिले के अनेक स्थानों में नरवाई जलाने का सिलसिला बेखौफ जारी है।
ज्ञात हो कि राज्य सरकार ने कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर को आदेश जारी करते हुए यह निर्देशित किया था कि फसल काटने के बाद कोई भी किसान अगर नरवाई जलाता है तो उसके ऊपर 15 हजार तक का जुर्माना लगाने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। लेकिन राज्य सरकार और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नरवाई जलाने के प्रतिबंध के बावजूद भी जिले के साथ-साथ छपारा ब्लॉक मुख्यालय में बेखौफ होकर फसल की नरवाई जलाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है और फसल की नरवाई जलाने की जानकारी होने के बाद भी राजस्व विभाग इन किसानों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।
नरवाई जलाने से बढ़ रही है आगजनी की घटनाएं
फसल काटने के बाद बची हुई फसल या नरवाई को अधिकतर जगह पर किसान श्रम व पैसा बचाने के लिए जला देते हैं लेकिन नरवाई जलाने से जहां जमीन के उपजाऊपन पर विपरीत असर पड़ता है उसके साथ-साथ प्रदूषण भी लगातार फैलता जा रहा है। यही नहीं बची हुई फसल और नरवाई जलाने के चलते आए दिन आगजनी की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। इन सब कारणों के चलते नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण प्रदूषण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत धान और गेहूं की फसल कटाई के बाद बची हुई फसल और नरवाई को जलाने पर प्रतिबंध लगाया है। इसके तहत राज्य के पर्यावरण विभाग ने इसकी अधिसूचना पिछले दिनों प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर को भेज दिया था। इसके तहत नरवाई जलाने पर दो एकड़ से कम कृषि भूमि वाले किसान को 2 हजार 5 सौ रुपए, 2 एकड़ से ज्यादा और 5 एकड़ से कम कृषि भूमि वाले को 5 हजार और 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि वाले को 15 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान रखा गया है और यह जुर्माना पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में वसूला जाएगा।
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