कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT;
बुलढाणा शहर से कुछ ही किलोमिटर दूरी पर ज्ञानगंगा अभयारण्य है जहाँ पर बडी संख्या में वन्यजीवों का बसेरा है। बुलढाणा रेंज अंतर्गत के कई कृत्रिम जलाशयों में पानी नहीं होने के कारण इन जीवों को पानी की तलाश में भटकना पड रहा है, जिससे वन्यजीव विभाग इस गंभीर मुद्दे को लेकर कितना संवेदनशिल है यह पता चल रहा है।
ज्ञानगंगा अभयारण्य बुलढाणा जिले की बुलढाणा, चिखली, मोताला एवं खामगांव इन चार तहसिलों में फैला हुआ है। इस अभयारण्य को बुलढाणा व खामगांव दो रेंज में विभाजित किया गया है ताकि काम में आसानी हो। बुलढाणा रेंज में 4 राऊंड व 9 बीट तथा खामगांव रंज में 3 राऊंड व 11 बीट हैं। अभयारण्य में दो बडे बांध पलढग व माटरगांव है जिनमें काफी अंतर है तथा दोनों बांध अभयारण्य की सिमा पर हैं। कई वन्यजीव इन बांधों से अपनी प्यास बुझाते है किंतु अभयारण्य के अंदर कोई बांध या तालाब नहीं है। पानी के नैसर्गिक स्त्रोत भी ग्रीष्मकाल में सुख जाते हैं। वन्य जीवों को पानी उपलब्ध कराने के लिये जंगल में कई स्थानों पर इको फ्रेंडली जलाशय, सिमेंट के गोल हौद बनाए गए हैं जिनमें टैंकर से पानी डाला जाता है। इस साल बारिश का प्रमाण कम रहा है तथा जनवरी से ही अभयारण्य में पानी की कमी को देखते हुए खामगांव रेंज में फरवरी महीने से ही टैंकर द्वारा कृत्रिम जलाशयों में पानी डाला जा रहा है, जबकि दूसरी तरफ बुलढाणा रेंज में वन्यजीवों के लिये पानी की कोई व्यवस्था नही की गई है जिसके कारण यह वन्यजीव पानी की तलाश में भटकने पर मजबुर हैं।
जलाशयों की मरम्मत है जरूरी
ज्ञानगंगा अभयारण्य में कई जगहों पर इको फ्रेंडली जलाशय पिछले कुछ साल पहले बनाए गए थे। प्लास्टिक की चादर, रेत पत्थर, मिट्टी की मदद से यह जलाशय बनाया जाता है ताकि वन्यजीवों को यह लगें की यह नैसर्गिक स्त्रोत हैं। बुलडाणा रेंज अंतर्गत के कुछ कृत्रिम जलाशयों में की प्लास्टीक फट गई है जिसे बदलना जरूरी है।
मै अभी यहाँ नया हूँ। वन्यजीवों को पानी मुहय्या कराने में देरी हुई है। 2 अप्रैल से अभयारण्य की बुलढाणा रेंज में 4 टैंकर द्वारा जलाशयों तक पानी पहुंचाने का काम आरंभ कर दिया गया है तथा जो जलाशय दुरुस्त नहीं हैं उन्हेंभी जल्द दुरूस्त कर उपयोग में लिया जाएगा: मयुर सुरवसे, आरएफओ, वन्यजीव विभाग, बुलढाणा
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.