ओवैस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT;
खनिज एक नैसर्गिक संपत्ति है जो निर्माण एवं अन्य कार्यों में लाभदायक साबित होती है किंतु इसके ज्यादा उपसाव ,उत्खनन की वजह से प्रकृति को भारी नुकसान पहुंचता है। जलजीवन अस्तव्यस्त तो होता ही है साथ ही नदी एवं जमीन की कार्यप्रणाली भी काफी प्रभावित होती है। इसी के मद्देनजर जिला प्रशासन खनन विभाग द्वारा प्रमाण से अधिक रेत का उपसावन न हो इसलिए रॉयल्टी एवं निविदा की प्रक्रिया निभाई जाती है किंतु कुछ रेत माफिया सभी नियमों को ताक पर रखकर अवैध उत्खनन करते हैं जिससे प्राकृतिक प्रणाली प्रभावित होती है। इसी के चलते अवैध उपसाव पर प्रशासन द्वारा भारी जुर्माने का प्रावधान है ताकि अवैध उत्खनन रुक सके, लेकिन रेत माफिया अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आते हैं तथा उत्खनन जारी रखते हैं। इसी प्रकार इस वर्ष जिले में रेत माफियाओं पर खनन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है।
विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार बिते 1 जनवरी से फरवरी के अंतिम चरण तक अवैध उत्खनन कर ढुलाई करने वाले करीब 46 वाहनों पर कार्रवाई कर विभिन्न धाराओ के अनुसार गुन्हा दाखल कराए गए हैं तथा करीब 587 प्रकरण में 96 लाख 84 हजार 836 रुपए जुर्माना भी वसूला गया है। जिला खनन अधिकारी डॉक्टर अतुल दोड की रेत माफियाओं के खिलाफ सक्रिय भूमिका की वजह से रेत माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार खनन अधिकारी के मंसूबों पर खनन विभाग के ही शहर एवं तहसील स्तर पर कार्यरत कुछ भ्रष्ट कर्मचारी, अधिकारी पानी फेर रहे हैं। अधिकारियों व रेत माफियाओं की मिलीभगत की वजह से जिले के विभिन्न परिसरों में रेत का अवैध रूप से उपसाव अब भी जारी है। जिजिस के जरिए भ्रष्ट अधिकारी विभाग को लाखों का चूना लगाकर अपनी जेब भर रहे हैं।
वसूली एवं निलामी
खनन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में रेत की निकालने हेतु कुल 58 घाटे हैं, जिनमें 32 घाटों की निलामी करीब 5 करोड़ 16 लाख में कि जा चुकी है तथा बचे 26 घाटों में से 13 शासकीय कार्यों के लिए आरक्षित रखे गए हैं एवं 13 घाटों की निलामी अभी बाकी है जिनकी निलामी अप्रैल माह के अंतिम चरण में किए जाने की संभावना है।
इन घाटों की निलामी है बाकी…..
हिंगणा तामसवाडी (अकोला), ब्रह्मपुरी (अकोला), काटी (अकोला), टाकली पोटे (अकोला), एकलारा (अकोला), रोहना (अकोला), कपिलेश्वर (अकोला), दहीहंडा (अकोला), भोड (अकोट), खिरकंड (अकोट), केळीवेळी (अकोट), पिलकवाळी (अकोट), तूलंगा (पातूर)।
रेत के अवैध उत्खनन को रोकने के लिए शहर एवं तहसील स्तर पर विशेष दस्ते कायम किए गए हैं। अवैध उत्खनन कर ढुलाई करने वाली कई वाहनों पर कार्रवाई की गई है। बीते वर्ष प्रशासन का टार्गेट 42 करोड़ था किंतु 29 करोड़ की ही वसूली हुई थी। इस साल करीब 45.5 करोड की वसुली की गई है: डॉ अतुल दोड, जिला खनन अधिकारी।
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