पियूष मिश्रा, सिवनी (मप्र), NIT;
वन विभाग में संलग्नीकरण पर रोक होने के बावजूद भी सिवनी स्थित उत्तर व दक्षिण सामान्य वनमंडलों में अनेकानेक पुरूष एवं महिला वनरक्षक तथा वनपाल जो नियुक्त तो किये गये हैं वनों की सुरक्षा के लिए और उसी मद से वेतन भी पा रहे हैं लेकिन उनसे वनों की सुरक्षा का कार्य करवाने के बजाय बिना संलग्नीकरण किये ही मनमाने मनचाहे तरीके से डी.एफ.ओ. उत्तर सिवनी सामान्य एवं डी.एफ.ओ.दक्षिण सिवनी सामान्य अपने पद का दुरुपयोग कर सिवनी शहर में स्थित वनमंडल कार्यालयों में कई वर्षों से लिपिकीय कार्य और भवन सुरक्षा चौकीदारी आदि कार्य करवा रहे हैं। इस तरह लिपिकीय और चौकीदारी के कार्य कर रहे व्यक्तियों को वनरक्षक और वनपाल संवर्ग के पदों का वेतनमान और सुविधाएं देना शासन से बेईमानीपूर्ण धोखाधड़ी नहीं तो और क्या है ? यह लोकसेवक के पदीय अधिकारों का दुरूपयोग होकर बेईमानीपूर्ण भ्रष्टा नहीं है तो क्या है ? इस तरह के अनाधिकृत आहरण और भुगतान की वसूली क्यों न इन डी.एफ.ओ. के वेतन से हो? इससे वनों की सुरक्षा न सिर्फ प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है बल्कि चाटुकार और ऊंची पहुंच वाले वनरक्षकों और वनपालों को वर्षो से शहर में ही जमे देख ,फील्डकर्मी अब जंगलों में धूप व बरसात में कड़ी मेहनत करने से कतराने लगे हैं। उनमें भी शहर में रहने की सुविधा पाने की ललक पैदा हो गई है और वे भी रात दिन अनेक बहानों से आफिस ड्यूटी लगवाने की जुगाड़ में लगे हैं जिससे जंगल सुरक्षा प्रभावित हो रही है। इसका दूसरा पहलू यह है कि इस तरह के भ्रष्टाचारी जुगाड़ से लिपिकीय कार्य वर्षों से चल रहे होने के कारण लिपिक वर्ग की भर्ती नहीं हुई है, जो बेरोजगारों के साथ अन्याय भी है। प्रत्येक वर्ष वनसंरक्षक इन वनमंडलों का आडिट एवं निरीक्षण भी करते हैं फिर भी यह सब बदस्तूर चलना उनकी भी सांठगांठ व मिलीभगत को दर्शा रहा है। वाकई लिपिकों की कमी हैं तो उनकी भर्तियां कराई जावें ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। लोगों ने अपेक्षा की है कि सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन एक प्रश्न विधानसभा में इस बाबद भी उठाएं।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.