ओवैस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT;
अकोला शहर में सूदखोरों के आतंक से नागरिक परेशान नजर आने लगे हैं। शहर के कुछ दबंगों द्वारा अवैध रूप से कर्ज देकर प्रशासन के अधिकारियों की मदद से भारी ब्याज वसूले जाने की जानकारी सामने आ रही है।
बता दें कि महाराष्ट्र सहुकार अधिनियम के अनुसार बिना पंजीयन किए कोई भी व्यक्ति ब्याज पर पैसा नहीं दे सकता है, लेकिन संबंधित सहकार संस्था उपनिबंधक के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से अकोला शहर में गरीबों का शोषण करने वाले सहुकार फूल फल रहे हैं तथा उन पर प्रशासन मेहरबान नजर आ रही है। यह अवैध साहूकारी शहर के साथ साथ जिले के अन्य तहसीलों में भी सक्षम रूप से अपने पैर जमाए हुए हैं। सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके एजंट भी है जो इन्हें ग्राहक ला कर देते हैं तथा अपना कमिंशन भी लेते हैं।
कैसे चलता है यह अवैध धंधा
अगर किसी को तत्काल रूप से पैसों की जरूरत है तो यह बेचारा साहूकार के पास जा पहुंचता है तथा उचित राशि की मांग पर उससे निरंक बॉंड पर लिख कर लिया जाता है तथा साहूकारी के नियम से बचने के लिए बांड पर उल्लेख किया जाता है कि इसे फला राशि उधार दी जा रही है साथ ही बांड पर मूल राशि से अधिक राशि लिखी जाती है ताकि मूल राशि के भुगतान के साथ-साथ ब्याज भी मिल जाए। यहां से शुरू होती है उसके शोषण की गाथा। प्रतिमाह उससे मूल राशि के 10 से 25% के हिसाब से ब्याज लिया जाता है और मूल राशि अपनी जगह पर ही बनी रहती है एवं ब्याज की राशि देते देते ही वह परेशान हो जाता है। इस गोरखधंधे की जाल में शहर के कुछ शासकीय नौकरियां करने वाले भी फंसे हैं तथा नौबत तो यह है कि उनका ATM तक सूदखोरों के कब्जे में जमा रहता है एवं वेतन आते ही वो निकाल लिया जाता है और पीड़ित तिलमिला कर रह जाता है मगर कुछ कर नहीं कर पाता है तथा इस अवैध ब्याज वसूली की शिकायत करने पर संबंधित अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार कर उचित कार्यवाही नहीं किए जाने का आरोप भी नागरिक लगाते रहते हैं एवं मजबूरन आत्महत्या जैसा बडा कदम उठाते हैं। सूत्रों की मानें तो सहकार संस्था उपनिबंधक कार्यालय में इन सुदखोरो द्वारा मोटी रकम पहुंचाई जाती है, जिसकी वजह से कार्रवाई में सुस्ती की जाती है तथा इस गोरखधंधे की ओर विभाग की आंखें बंद रहती हैं। अब देखना यह है कि इन अवैध साहूकारों पर शासन प्रशासन द्वारा कार्रवाई कर परेशान हाल गरीबों को राहत पहुंचाई जाती है या यूं ही गरीबों का शोषण जारी रहेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
कि किसी भी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो बिना साहूकारी लाइसेंस के ब्याज लेने का करोबार चला रहा हो एवं नियम से अधिक ब्याज वसूल कर रहा हो तो इसकी शिकायत जिला सहकारी संस्था उपनिबंधक कार्यालय में करें, जिसपर शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखकर विशेष रूप से कार्रवाई की जाएगी।
विगत कई वर्षों से जिले में सूदखोर दबंगों ने 15 से 25% तक ब्याज पर रुपए देने का गोरखधंधा चला रखा है जो गरीबों को अपने जाल में फंसाकर शोषण करते हैं तथा उससे प्रतिमा करीब 15 से 25% तक ब्याज वसूलते हैं एवं मूल रकम अपनी जगह पर रहती है तथा पिडीत ब्याज भरते भरते ही परेशान हो जाता है तथा ब्याज की रकम ना देने पर डराया धमकाया जाता है या फिर मारपीट गाली-गलौच भी की जाती है।
- परिस्थिती से होते हैं मजबूर
सरकार अपनी योजनाओं के लाभ ढिंढोरा भले ही पीटें लेकिन जिले के हालात काफी खराब है मौसम आदि के मार से फसल ठीक ढंग से ना होने के कारण भाव काफी कम,लागत से भी कम निकलने की वजह से किसान कंगाल है साथ ही शहर एवं जिले के होनहार व्यक्ति युवा बेरोजगारी से परेशान है पारिवारिक खर्च तक नहीं चलाने की नौबत सामने खड़ी होती है मजबूरी में वे सुदखोरो के जाल में फंस जाते हैं तथा वहां से उनका शोषण शुरू होता है।
क्या है नियम?
केवल इस नियम के तहत किया जा सकता है साहूकारी का कारोबार
महाराष्ट्र साहूकार अधिनियम की धारा 39 के अनुसार साहूकारगन का रजिस्ट्रीकरण एवं पंजीयन का प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है इसी प्रकार अधिनियम की धारा के अनुसार पंजीयन प्रमाण पत्र के बिना कारोबार किया जाना वर्जित है।
इन परिसरों में जा रही है ब्याज का गोरखधंधा
सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर के खैर मोहम्मद प्लॉट, चांदखा प्लॉट, गुडवाला प्लॉट, खदान, मर्गट, नायगाव, उमरी, इंदिरानगर, शनकर नगर, मस्तान चॉक, लाडीस फैल, साधना चौक आदि में जारी है अवैध साहुकारी का कारोबार।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.