पीयूष मिश्रा/ अश्वनी मिश्रा, सिवनी (मप्र), NIT;
62 करोड़ की सिवनी नगर में जल आवर्धन योजना मामले में कई गड़बड़ घोटाले सामने आने के बाद भी नगरपालिका सिवनी ने संबंधित कंपनी के ठेकेदार को लगभग 43 करोड रुपए का भुगतान कर दिया है, इस पूरे मामले में नगर पालिका के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के अलावा संबंधित टेक्निकल विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर भी कई सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो इस पूरे गड़बड़ घोटाले और लगभग 40 करोड़ के भुगतान में भारी कमीशनबाजी की गई है, जिसके चलते ना तो इस जल आवर्धन योजना की कोई जांच हो पा रही है ना ही कोई कार्यवाही।
ज्ञात हो कि भीमगढ़ पूरक जलावर्धन योजना के निर्माण में बरती गयी अनियमितताओं की जांच के मामले में नगर पालिका परिषद के जन प्रतिनिधि मौन साधे हुये हैं। इस मामले में इन लोगों के मौन की वजह ठेकेदार को बिल भुगतान की राशि में से बटने वाला कमीशन बताया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि लगभग साढ़े 62 करोड़ की इस जलावर्धन योजना का कार्यादेश 30 मार्च 2015 को जारी किया गया था। इस योजना की ड्राइंग डिजाईन पास होने में लम्बा समय लगा और इसके बाद इसका भूमिपूजन कराने में भी इंतजार करना पड़ा। इस कार्य का भूमिपूजन 1 नवम्बर 2015 को कार्यादेश जारी होने के लगभग 7 माह बाद किया गया था।
भूमिपूजन के बाद इसका कार्य प्रारंभ किया गया और फिर लगातार इसकी कार्यावधि सीमा बढ़ायी गयी। नगर को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने वाली इस योजना में अनियमितताएं बरती जाने की बातें उस समय उजागर होना प्रारंभ हुईं जब नगर में पाईप लाईन बिछाने का कार्य प्रारंभ किया गया। समाचार पत्रों ने इस बात का उल्लेख किया कि ठेकेदार नगर में पाईप लाईन बिछाने में निविदा की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है। ठेकेदार द्वारा पाईप लाईन बिछाने के लिये निविदा की शर्तों के अनुसार जो खुदाई की जानी थी, वह नहीं की जा रही है। वहीं पाईप लाईन बिछाते समय न तो उसकी लाईन देखी जा रही है और न ही लेवलिंग। नगर में नाली खोदकर उसमें पाईप लाईन बिछा दी जा रही है और उसके बाद खोदी गयी मिट्टी को उसके ऊपर डाल दिया जा रहा है।
शहर के अंदर पाइप लाइन बिछाने में भी भारी गड़बड़ घोटाला
ठेकेदार को निविदा शर्तों के अनुसार लाईनिंग के आधार पर खुदाई की जानी थी। खुदाई के बाद उस स्थान की मिट्टी का परीक्षण किया जाना था, इसके बाद खोदी गयी नाली को समतल करने के बाद उसमें पाईप लाईन डालना था और इसके बाद पाईप की सुरक्षा के लिये उसके चारों तरफ मुरम की बेडिंग की जानी थी जो ठेकेदार के द्वारा नहीं की गयी। नगर में पाईप लाईन बिछाने का विरोध कुछ वार्डों के पार्षदों के द्वारा भी किया गया, लेकिन पालिका के द्वारा उन पर दबाव बनाकर उस काम को पूरा करा लिया गया। शिकायतों के आधार पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी नवनीत पाण्डेय ने इस महत्वपूर्ण योजना के कार्य का निरीक्षण किया और उन्होंने पाया कि इस योजना में ठेकेदार के द्वारा अनियमितताएं बरती गयीं हैं। मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग सर्विसेस को सूचना पत्र देकर योजना की खामियों पर जबाव मांगा जो उसके द्वारा प्रस्तुत कर दिया गया है।
सक्षम एजेंसी से होनी चाहिए जांच
संबंधित कंपनी से जबाव मिलने के बाद इस संबंध में सारे दस्तावेज मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने अन्य सक्षम एजेंसी से जांच कराने की अनुशंसा के साथ एक पत्र जिला कलेक्टर को प्रेषित कर दिया है। अब देखना यह है कि जिला कलेक्टर इस योजना की अनियमितताओं के संबंध में किसी सक्षम एजेंसी से जांच कराते हैं या फिर यह फाईल उनके कार्यालय में बिना जांच के धूल खाती रहेगी!
नगर पालिका के निर्वाचित जन प्रतिनिधि नहीं उठा रहे हैं जांच व कार्रवाई की मांग
इस मामले में नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष और पार्षदों ने मौन साधा हुआ है। नगर में चल रही चर्चाओं के अनुसार परिषद के जन प्रतिनिधियों का मौन उनको मिलने वाली कमीशन की राशि का दबाव ही बताया जा रहा है। चर्चाओं के अनुसार ठेकेदार उसको प्राप्त होने वाले बिल में से 6 प्रतिशत की राशि बतौर कमीशन के परिषद में बांटता रहा है। अभी तक ठेकेदार को लगभग साढ़े 43 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है, जिसके अनुसार लगभग पौने 3 करोड़ की राशि परिषद के लोगों को बतौर कमीशन बांटी जा चुकी है। नगर में चल रही चर्चाओं के अनुसार कमीशन की राशि के दबाव के चलते पालिका परिषद के निर्वाचित जन प्रतिनिधि इस योजना की जांच की मांग नहीं उठा रहे हैं और न ही ठेकेदार पर नियमानुसार कार्यवाही की मांग कर रहे हैं, जबकि तीसरी बार भी बढ़ायी गयी इसकी कार्य अवधि भी 31 दिसम्बर 2017 को समाप्त हो चुकी है।
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