पीयूष मिश्रा/ अश्वनी मिश्रा, सिवनी /छपारा (मप्र), NIT;
प्रदेश की सबसे बड़ी जनपद पंचायत छपारा में संवैधानिक संकट खत्म होने के बजाये लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पूनम सैयाम को जबलपुर कमिश्नर न्यायालय से मिले स्थगन और छपारा सरपंच पद पर पद स्थापना आदेश के 22 दिन गुजरने के बाद भी अब तक पूनम सैयाम को सरपंच पद के अधिकार सौंपे नहीं जा सके हैं।
उल्लेखनीय हो कि छपारा पंचायत के उपसरपंच सहित कुछ पंचों की शिकायत के बात सिवनी जिला पंचायत सीईओ ने जनपद पंचायत छपारा सीईओ की रिपोर्ट और जांच के आधार पर छपारा ग्राम पंचायत की सरपंच पूनम सैयाम को 21 दिसंबर 2017 को पद से पृथक कर दिया था। जिसके बाद पूनम सैयाम ने जबलपुर कमिश्नर न्यायालय में अपनी याचिका प्रस्तुत की थी और पूर्ण सुनवाई के बाद जबलपुर कमिश्नर न्यायालय ने 7 फरवरी 2018 को पूनम सैयाम को राहत देते हुए उन्हें स्थगन और छपारा ग्राम पंचायत के सरपंच पद पर पदस्थापन होने के आदेश भी दे दिए थे जिसके बाद उक्त आदेश को पूनम सैयाम ने जिला पंचायत सिवनी तथा जनपद पंचायत छपारा और ग्राम पंचायत छपारा में तमिल भी करवा दिया था।
अब कोरम का चल रहा खेल
ज्ञात हो कि जबलपुर कमिश्नर न्यायालय के आदेश के बाद 26 फरवरी को जिला पंचायत सिवनी के सीईओ ने भी पूनम सैयाम को सरपंच पद पर पदस्थापना के आदेश दे दिए थे लेकिन अब इसमें संवैधानिक संकट खत्म होने की बजाय और बढ़ते जा रहा है क्योंकि ग्राम पंचायत छपारा में सर्वप्रथम बैठक आयोजित कर कोरम पूर्ण करने की कार्यवाही तय की जाएगी। आज उसी क्रम में छपारा ग्राम पंचायत कार्यालय में आकस्मिक बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें पूनम सैयाम सहित सिर्फ 3 पंच ही पहुंच पाए थे जिसके चलते आज की बैठक कोरम पूरा नहीं होने के चलते स्थगित कर दी गई है। यहां यह बताना भी उचित है कि जब तक 20 पंचों में से 12 पंच बैठक में उपस्थित नहीं होंगे तब तक कोरम का अभाव बना रहेगा अब आगामी बैठक 7 मार्च को तय की गई है। बैठक में कोरम का खेल विरोधी पक्ष के द्वारा ही खेला जा रहा है। ज्ञात हो कि उपसरपंच गुट के 14 मत सोना बाई के पक्ष में पड़े थे वही पूनम सैयाम गुट के सिर्फ 6 मत ममता बाई के पक्ष में गए थे इस आधार पर सोना बाई 14 – 6 से विजय हुई थी और वह आज सरपंच पद पर बनी हुई हैं।
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