ओवैस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT;
जिला पुलीस अधीक्षक व उप अधीक्षक की अवैध धंदे रोकने की लाख कोशिशों के बावजूद यह रूकने का नाम नहीं ले रहा है। शहर एवं तहसील क्षेत्रों के थानों में बैठे कुछ थानेदार एवं कर्मचारी उनके मंसूबों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो आज कल अपनी जेब भरने के चक्कर मे स्थनिय शहर एवं तहसील क्षेत्रों के पुलिस अधिकारी अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं और युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल रहे हैं। शहर में इन दिनों खुलेआम चल रहे अवैध धंदो पर अंकुश न लगने से युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर एवं तहसील की घनी बस्ती तथा विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्रीय थाने की पुलिस की मिलीभगत के चलते अवैध धंदे सट्टा, तितली पत्ता, वरली मटका आदि धडल्ले से पुलिस की नाक के नीचे चलाए जा रहे हैं तथा सट्टा, वरली तितली पत्ता आदि माफियाओं द्वारा करोबार चलाने के एवज में क्षेत्रीय थाणेदार एवं पुलिस को इसका साप्ताहिक नजराना भी पहुंचाया जाता है। इसी के चलते सट्टा, वरली माफियाओं के रास्ते में कोई भी अवरोध नहीं होता है और करोबार भी बेधड़क जारी रहता है। इस संदर्भ में पुलिस द्वारा कारवाई की भी जाती है तो नजराना न देने वालों के खिलाफ वह भी केवल खानापूर्ती एवं दिखावे के लिए।
स्थानीय जनता की मानें तो इन सट्टा, वरली माफियाओं को प्रशासन का कोई डर नहीं है। कई अखबारों में इस प्रकरण से जुड़ी खबरें चलने एवं छापे पड़ने के बावजूद शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी खुले आम अवैध करोबार चल रहे हैं। आरोप तो ये भी लग रहे हैं कि सट्टा कारोबारियों से कुछ स्थानीय पुलिस कर्मियों की साठ-गांठ होने के कारण पुलिस इन पर कारवाई करने से कतराती है। कहते हैं कि पुलिस वाले अगर चाह लें तो उनके इलाके में परिंदा भी पर नहीं मार सकता, अपराध करना तो दूर की बात है। अगर विभाग मे ईमानदारों का प्रतिशत थोड़ा सा और बढ जाये तो जिले में अवैध धंधों के खतम होने की संभावना है।
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