अनुज ओझा, भिंड ( मध्यप्रदेश ), NIT; भक्त का भगवान् से सीधा जुड़ाव रहता है चाहे भक्त कोई भी और किसी भी स्थिति में हों। भगवान की दृष्टि अपने भक्तों पर हमेशा रहती है। हो सकता है कि पूर्वार्ध के कर्मों से व्यक्ति दुखी हो लेकिन उसको हमेशा भगवान् का ध्यान लगाए रखना चाहिए तो निश्चित ही भगवान् अपने भक्त का उद्धार करते हैं। यही कारण है कि जब भगवान् राम अपने भाइयों के सहित विश्वामित्र के साथ जनकपुरी जा रहे थे तो रास्ते में पत्थर के रूप में पड़ी अपनी भक्त अहिल्या को उन्होंने देखा और उसका उद्धार किया। यह बात भागवताचार्य पंडित सेवाराम शास्त्री ने श्रीमद भागवत कथा श्रीराम कथा के आठवें दिन कही। उन्होंने आगे कहा कि भगवान का भक्तों के साथ लेनदेन चलता है। यह बात भगवान राम ने कही कि जिससे मेरा लेनदेन चलता है उसकी तरफ मुझे देखना पड़ता है। इसीलिए पत्थर बनी अहिल्या को देखा और उसका उद्धार किया। इस पर विश्वामित्र द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए भगवान राम ने कहा कि मैं एक तरफ से लेकर दूसरी तरफ देता हूँ। गोपियों का चीरहरण कर उसको द्रोपदी को दिया।जो भक्त अपने आपको भगवान के चरणों में समर्पित कर देता है उसको भगवान भी अपनी शरण में ले लेते हैं। लेकिन भक्ति निःस्वार्थ होनी चाहिए। जहां स्वार्थ आ गया वहां फिर भक्त का भगवान से सीधा जुड़ाव नहीं हो पाता और व्यक्ति भगवान् की कृपा से वंचित रह जाता है। श्रीराम कथा का आयोजन लगातार चौथी साल प्राइवेट बस स्टेण्ड पर स्थित हनुमान मंदिर पर श्री श्री 1008 बाबा शिवमोहन सरकार के संरक्षण में मंदिर पर निवासरत संत श्री मोनी बाबा एवं दिनेश बाबा के द्वारा जनसहयोग से किया जा रहा है। पंडित सेवाराम शास्त्री की मधुर वाणी से संगीतमय कथा का अमृत पान करने के लिए हजारों की संख्या में लोग आ रहे हैं।
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