शारिफ अंसारी, मुंबई, NIT; भिवंडी महानगरपालिका में शैक्षणिक पात्रता सहित अनुभव का अभाव ,होने के बावजूद पदोन्नति नियम को नजरअंदाज करते हुए पदोन्नति किए गए ७५ अधिकारियों के पदोन्नति को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रद्द करने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री के आदेश के विरुद्ध अधिकारी , कर्मचारियों द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर स्थगिती प्राप्त करने के लिए प्रयास किया था परंतु उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दिया जिससे अधिकारीयों , कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है , जिसमें से असंख्य अधिकारी नियमानुसार निवृत्त तथा स्वेच्छा निवृत्ती लेकर चले गए हैं .इस घोटाला प्रकरण में भिवंडी के दक्ष नागरिक संतोष चव्हाण ने सर्वप्रथम आवाज उठाया तथा लोकायुक्त के समक्ष फरियाद की. उक्त निर्णया के बाद महानगरपालिका राजकीय नेताओं से सांठगांठ करके महानगरपालिका के अधिकारी पद का दुरुपयोग करते हुए शहर के नागरिकों के साथ धोखा धडी किया है इस निर्णय से उक्त प्रकार के धोखे बाज अधिकारीयों पर पूर्ण रूप से अंकुश लगेगा और पात्रताधारक अधिकारियों के माध्यम से सही रूप से शहर का विकास होने की प्रतिक्रया दी है।
उल्लेखनीय है कि भिवंडी महानगरपालिका के तत्कालीन आयुक्त अच्युत हांगे ने स्थानिक राजकीय नेता मंडली के दबाव में सर्वसाधारण सभा के माध्यम से अपने मनमुताबिक अधिकारी , कर्मचारियों की पदोन्नति को उपहार के रूप में बांट दिया था। उक्त संदर्भ में संतोष चव्हाण ने लोकायुक्त के समक्ष शिकायत पत्र दाखिल ल किया था , जिसे गंभीरता पूर्वक लेते हुए कार्रवाई करने हेतु आदेश नगरविकास विभाग को दिया था .जिसकेनुसार नगरविकास विभाग ने इस संपूर्ण घोटाले की विस्तृत जांच करने के लिए कोकण विभागीय आयुक्त की समिति नियुक्त की थ। इस समिति की जाच के पश्चात असंख्य अधिकारियों व कर्मचारियों में हडकंप मच गया था समिति द्वारा जांच यह भी स्पष्ट हुआ कि उक्त पद पर कोई न होने के कारण उपयुक्त पदो पर पदोन्नति दी गई , तथा शैक्षणिक पात्रता नहीं होने के बावजूद असंख्य नियुक्ति नियम को ताक पर रखकर किये जाने का मामला भी प्रकाश में आया। विशेष रूप से सुरेश पुण्यर्थी जो लिपिक के पद पर कार्यरत थे जिन्हें किसी प्रकार का संगणकीय ज्ञान नहीं था परंतु बोगस दस्तावेज के आधार पर इन्हें संगणकीय व्यवस्थापक पद पर पदोन्नति दी गई थी . इस समिती के अहवाव नुसार नगरविकास मंत्रालय विभाग जो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास है, मुख्यमंत्री के पदोन्नति रद्द करने के आदेश पर अमल करते हुए उक्त आदेश महानगर पालिका के पास कार्रवाई हेतु भेजा गया था। उक्त निर्णय के विरुद्ध अधिकारी , कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर स्थगिती लेने का प्रयास किया परंतु उच्च न्यायालय ने इनकी याचिका खारिज कर दिया है जिसकारण अधिकारी , कर्मचारी हताश हो गए हैं।
भिवंडी महानगरपालिका के उपायुक्त , कार्यकारी अभियंता , उपअभियंता , मुख्य लेखाधिकारी , सहायक आयुक्त , कार्यालय अधीक्षक , प्रशासकीय अधिकारी , कर निर्धारण अधिकारी , अंतर्गत लेखा परीक्षक , विधि अधिकारी , संगणक व्यवस्थापक , जनसंपर्क अधिकारी ,आदि पदों पर पदोन्नति में यह घोटाला हुआ था . विशेष रूप से इस पदोन्नति के आधार पर पद उपभोग कर सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों के लाभ रद्द करने के आदेश मुख्यमंत्री ने दिया है . उक्त सभी अधिकारी , कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय जांच के आदेश दिये हैं।
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