कासिम खलील, बुलढाणा(महाराष्ट्र), NIT;एक ही विचार रखने वाले राजकीय दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बुलढाणा ज़िले में होने जा रहे आगामी ज़िला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव मिलकर लड़ने के संकेत साफ़ नज़र आ रहे हैं। जिस के लिए दोनों ही दलों के कुछ पदाधिकारियों के बीच दो बार हुई संयुक्त बैठक में समाधानकारक चर्चा भी हो चुकी है।
बता दें कि आगामी 16 फ़रवरी को बुलढाणा ज़िला परिषद की 60 तथा पंचायत समिति की 120 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। ज़िला परिषद को ग्रामीण आंचल की जनता का मिनी मंत्रालय के रूप में देखा जाता है, यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इन चुनावों को लेकर काफी घमासान चलता है। फिलहाल बुलढाणा ज़िला परिषद पर कांग्रेस-राकांपा गठबंधन का कब्ज़ा है.ज़िला परिषद अध्यक्ष पद कांग्रेस और उपाध्यक्षद पद राकांपा ने संभाला हुआ है। ज़िला परिषद में कांग्रेस के सर्वाधिक 22 सदस्य जबकि राकांपा के पास 14 सदस्य हैं। पिछ्ला चुनाव कांग्रेस व राकांपा ने अपने बल पर लड़ा था किन्तु इस बार होने जा रहे चुनाव के रुझान कुछ अलग ही संकेत दे रहे हैं। केंद्र व राज्य में भाजपा की सत्ता है और राज्य में हाल में हुए नगर परिषद के चुनाव में भाजपा को अच्छी सफलता मिली है, ऐसे में समविचारी मतों का विभाजन रोका जाए इसी सोच के साथ बुलढाणा ज़िला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव कांग्रेस व राकांपा ने बुलढाणा ज़िले में साथ लड़ने का विचार करते हुए दोनों दलों के ख़ास पदाधिकारियों की पहली बैठक 15 जनवरी को मेहकर में हुई तथा दूसरी बैठक 23 जनवरी को बुलढाणा में ली गई। इस बैठक में हुई प्राथमिक चर्चा में यह बात हुई कि जिन 22 ज़िला परिषद सर्कल से कांग्रेस जीती थी वहाँ कांग्रेस ही लड़ेगी और जिन 14 सर्कल से राकांपा जीती थी वहाँ राकांपा के उम्मीदवार रहेंगे। शेष 24 सर्कल का बंटवारा आधा-आधा किया जाए यानी कांग्रेस और राकांपा 12-12 सीट बाँट लेंगी। इन 24 सर्कलों का बंटवारा किस तरह किया जाए इसके लिए विगत चुनाव के आंकडों को देखा जाएगा, जहां कांग्रेस-राकांपा में से जो दूसरे स्थान पर रहेगा उसे वह सर्कल मिलने की संभावना है। फिलहाल तो इन 24 सर्कल से शिवसेना,भाजपा,भारिप बहुजन महासंघ, मनसे और निर्दलीय जीते हुए हैं।दूसरी तरफ शिवसेना-भाजपा की युति आगामी किसी भी चुनाव में नहीं किये जाने की घोषणा शिवसेना द्वारा कर दी गई है, जिस से सेना-भाजपा की भूमिका स्पष्ट रूप से साफ़ हो गई है और यह दोनों दल अपने बल पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं। बुलढाणा ज़िले में कांग्रेस-राकांपा के गटबंधन को ले कर दोनों पक्षो के बड़े नेताओं की बैठक आज होने वाली थी किन्तु कांग्रेस की महत्वपुर्ण बैठक आज मुम्बई में होने के कारण ज़िले के कांग्रेस नेता मुंबई गए हुए हैं। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि 28 जनवरी यानी कल दोनों दलों की संयुक्त बैठक हो सकती है। चुनाव के नामांकन पत्र आज से भरना शुरू हो गए हैं। ऐसे में दोनों दलों के इच्छुक प्रत्याशी असमंजस की स्थिती में नज़र आ रहे हैं। हालांकि दोनों दल इस बात को लेकर भी सतर्क हैं कि यदि आघाडी नहीं हो पाई तो ऐसी सूरत में स्वतंत्र चुनाव लड़ा जा सके और दोनों ही दलों ने अपने अपने प्रत्याशी ढूंढ रखे हैं ताकि समय पर किसी किस्म की परेशानी न हो। चाहे जो भी हो किन्तु कांग्रेस और राकांपा की भूमिका जल्द सामने आ जाए ऐसी कायकर्ताओं की इच्छा है।
इस विषय में राकांपा के बुलढाणा ज़िलाअध्यक्ष एड.नज़ीर क़ाज़ी से पूछे जाने पर उन्होंने NIT से बात करते हुए बताया कि रांकपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा हुई है और यह चर्चा साकारात्मक थी। सीट बंटवारे के लिए अंतिम बैठक जल्द होने वाली है जिसमें दोनों दलों के वरिष्ठ नेता शामिल रहेंगे। सीटों का बंटवारा सम्मानजनक रहा तो ठीक, अन्यथा स्वतन्त्र चुनाव लड़ने की हमारी तैयारी है। कांग्रेस का पक्ष जानने के लिए कांग्रेस के बुलढाणा ज़िला अध्यक्ष विधायक राहुल बोंद्रे से संपर्क का प्रयास किया गया किन्तु वह मुंबई में पार्टी बैठक में शामिल थे इस लिए कोई बात नहीं हो पाई।
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