अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT;
आम आदमी पाटी मप्र द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार आप के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने नरसिंहपुर में किसानों की समस्याओं पर बात करते हुए कहा कि आज प्रदेश में हर जगह किसानों की जमीन छीनी जा रही है और उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सरकार महज चुनाव की भाषा समझती है। चुनाव के समय किसान मसीहा हो जाता है, लेकिन उसके बाद उसे भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज से इस धरने में वे भी शामिल हो रहे हैं और जब तक किसानों की मांगें नहीं मान ली जाती है, तब तक वे पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और किसान नेता शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी के साथ धरने पर बैठे रहेंगे। वे नरसिंहपुर के गाडरवाड़ा में बन रहे एनटीपीसी प्लांट से प्रभावित किसानों की मांगों के समर्थन में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और किसान नेता शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी के धरने में शामिल होकर किसानों की लड़ाई में शामिल होने गए थे। उन्होंने कहा कि 4 फरवरी को आम आदमी पार्टी किसानों की मांग के समर्थन में पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करेगी। इससे पहले आलोक अग्रवाल सुबह 11 बजे नरसिंहपुर पहुंचे और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा से मिले। दोनों के बीच किसान समस्याओं पर लंबी बातचीत हुई।
किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में सरप्लस बिजली है, तो यह सरकार और प्लांट क्यों बना रही है। किसानों की उपजाऊ जमीन छीनकर उन्हें रोजी-रोटी के लिए मोहताज किया जा रहा है और जब किसान परिवार के एक सदस्य के लिए नौकरी की मांग कर रहे हैं, जो कि सरकारी ने खुद स्वीकार की थी, उसे नहीं माना जा रहा है।
केसों में उलझाती है सरकार
उन्होंने कहा कि किसानों की यह लड़ाई महज एक प्लांट की नहीं है, बल्कि यह नए भारत के निर्माण की लड़ाई है। सरकार आपकी मांगों को न मांगकर आप पर केस दर्ज करेगी और फिर एक नई मांग खड़ी हो जाएगी कि किसानों पर से केस वापस लिए जाएं। उन्होंने कहा कि इस तरह सरकारें बड़ी लड़ाई को उलझाती रहती हैं और अपने वादे से मुकरती हैं।
अनुमति के बिना न आएं सरकारी अफसर
उन्होंने नर्मदा आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि वहां गांवों के बाहर बोर्ड टंगा है, जिस पर लिखा है- बिना अनुमति किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का प्रवेश वर्जित है। उन्होंने कहा कि जब किसी कलेक्टर-कमिश्नर के कमरे में जनता सीधे नहीं जा सकती है, तो ग्रामीणों को अनुमति देने का हक क्यों नहीं है।
सेवक ही बन गए हैं मालिक
उन्होंने कहा कि आज हमने यह कैसा लोकतंत्र बनाया है, जिसमें जनता के जो सेवक थे, वहीं मालिक बन गए हैं और जनता के लिए कोई काम नहीं हो रहा है। किसान परेशान हैं, न रोजगार है, न बिजली है, न शिक्षा है, न स्वास्थ्य है। उन्होंने बताया कि आज भी मध्य प्रदेश के 43 लाख घरों में बिजली नहीं है। सरकारें बिजली प्लांटों के लिए खरगोन में 10 से 15 हजार करोड़ रुपए दे रही हैं, लेकिन किसानों को देने के लिए पैसा नहीं है। जनता के पास मूल भूत सुविधाएं पहुंचाने के लिए पैसा नहीं है।
भावान्तर में किसानों को नहीं मिला दाम
उन्होंने भावान्तर योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस योजना से फायदे के बजाय किसानों को नुकसान ही हुआ है। सोयाबीन के दाम भावान्तर योजना के पहले 2600 रुपए थे, जो बाद में 1800 हो गए जबकि न्यूनतम मूल्य 3200 रुपए तय किए गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों से दाल 3000 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदी जबकि यही दाल ऑस्ट्रेलिया से 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल खरीदी गई। उन्होंने कहा कि यह महज उदाहरण हैं। हर स्तर पर भ्रष्टाचारियों और दलालों का तंत्र तैयार हो गया है, जो किसानों की मेहनत को लूट रहा है।
बड़े-बड़े यान भेजे लेकिन करीब के गांवों में नहीं पहुंची सुविधाएं
उन्होंने कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि एक तरफ सरकार कहती है कि हमने मंगल पर यान भेजा, अंतरिक्ष में एक साथ 106 यान भेजे। आज अमरीका में कोई मैसेज भेजना है, तो महज एक सेकेंड लगता है, लेकिन राजधानियों के बिल्कुल पास ही गांवों में मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। यह सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात है, लेकिन सरकार फिर भी लोगों की, किसानों की, बेरोजगारों की मांगों को अनसुना कर रही है। इसे सरकार को सबक सिखाना जरूरी है।
महज चुनावों की भाषा समझती है सरकार
उन्होंने कहा कि यह सरकार महज चुनावों की भाषा समझती है। इससे कहना चाहिए कि प्रदेश की 70 प्रतिशत किसान 170 सीटों पर हराएंगे नहीं जमानत ही जब्त कर देंगे। उन्होंने कहा कि आज जो लड़ाई लड़ी जा रही है वह बदलाव की लड़ाई है। बदलाव की इस लड़ाई में योगदान देने वाले किसान देशभक्त हैं, इसमें कई कठिनाइयां आएंगी, लेकिन इस लड़ाई में थकना नहीं है। आखिर में जीत सच्चाई की और किसान, जनता की होगी।
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