कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT; पंचायत राज प्रणाली में ग्रामीण आंचल में ग्रामविकास का माध्यम समझी जाने वाली ग्राम पंचायत में काम करने वाले ग्राम सेवकों को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अब तक महाराष्ट्र राज्य में काम के तनाव तथा दबाव के कारण पिछले 2 वर्षों में 40 से 50 ग्राम सेवकों ने आत्महत्या कर ली जबकि सैकड़ों का अपघात में मृत्य हुआ और 1 हज़ार से अधिक ग्राम सेवकों पर जानलेवा हमला किया गया। इस अन्याय और दबाव से मुक्ति दिलाने के लिए बुधवार को बुलढाणा में ग्राम सेवकों ने मूकमोर्चा निकाला।हाल ही में धुलिया जिले में ग्राम सेवक एस. बी.वाघ ने ग्राम पंचायत में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जिसके ऊपर बाहरी दबाव था। इन सभी बातों को देखते हुए बुधवार को पूरे राज्य में महाराष्ट्र राज्य ग्राम सेवक यूनियन की तरफ से जिला मुख्यालयों पर मूक मोर्चे का आयोजन किया गया था। बुलढाणा में संगठन के प्रदेश सरचिटणीस प्रशांत जामोदे, जिलाध्यक्ष वी.आर.चव्हाण के नेतृत्व में निकले इस मोर्चे में बड़ी संख्या में ग्राम सेवक शामिल थे, जिन्होंने अपनी मांगों का ज्ञापन प्रशासन को सौंपा। ज्ञापन में दर्ज है कि ग्राम पंचायत में नियमित काम के अलावा अन्य विभाग के काम के बोझ से तनाव, आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव आदि का सामना करना पड़ता है जिसके कारण मन में असुरक्षितता की भावना पैदा होती है। धुलिया के मृत ग्राम सेवक वाघ के मामले कि जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो तथा सभी ग्राम सेवकों को अतिरिक्त कामों से मुक्त किया जाए, इस प्रकार की अन्य मांगें ज्ञापन के माध्यम से की गई हैं। इस मोर्चे में ज़िले भर से ग्राम सेवक शामिल थे।
इस मौके पर यूनियन के राज्य सरचिटणीस प्रशांत जामोदे ने स्पष्ट किया कि ग्राम सेवक दबाव में काम नहीं कर सकते तथा आगामी गणतंत्र दिवस को हर गांव में होने वाली ग्रामसभा भी पूरे राज्य में नहीं ली जाएगी।
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