पीयूष मिश्रा/ अश्वनी मिश्रा,ओंकारेश्वर (खंडवा), NIT; आदिगुरु श्री शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा के लिए धातु संकलन के लिए निकली एकात्म यात्रा का सोमवार को समापन कार्यक्रम हुआ। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्वामी अवधेशानंद महाराज, सद्गुरु जग्गी वासुदेव, भैयाजी जोशी और अन्य साधु-संत मौजूद थे। अतिथियों ने प्रतिमा स्थापना के लिए भूमिपूजन किया। ये प्रतिमा ओंकार पर्वत पर स्थापित होगी।आदिगुरु शंकराचार्य की स्मृति में ओंकारेश्ववर में अद्वैत वेदांत संस्थान और आचार्य शंकर संग्रहालय का शिलान्यास भी किया गया। धातु संग्रहण के उद्देश्य से प्रदेश के चार स्थानों से निकली एकात्म यात्राएं रविवार शाम ओंकारेश्वर पहुंच गई थी और सोमवार को यात्रा का समापन कार्यक्रम हुआ।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे लेकिन अपरिहार्य कारणों से उनका दौरा निरस्त हो गया।
प्रदेश में चार स्थानों से 35 दिन पूर्व यानि 19 दिसंबर 2017 शुरू हुई थी। 2231 गांव व शहरों से गुजरते हुए एकात्म यात्रा ने करीब 6624 किलोमीटर का सफर तय किया। दावे के मुताबिक यात्रा में करीब 17 लाख लोग शामिल हुए। यात्रा के जरिए करीब 20519 किलो धातु एकत्र किया गया। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने नमामि देवी नर्मदे सेवा परिक्रमा यात्रा के दौरान ओंकार पर्वत पर आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची अष्टधातु की मूर्ति लगाने की घोषणा की थी।मुख्यमंत्री और सभी साधु-संतों ने आदि शंकराचार्य आदि शंकराचार्य की एक छोटी प्रतिमा का अनावरण भी किया। ठीक इसी तरह ओंकार पर्वत पर 108 फीट ऊंंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी।उन्होंने कहा कि शंकराचार्य एकता न्यास के तहत चार पुनर्जागरण के केंद्र बनेंगे जिसमें आध्यात्मिक, नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना के लिए काम होंगे। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि ओंकारेश्वर एक अद्भुत आध्यात्मिक शहर के रूप में बन कर उभरेगा और इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार व्यवस्थाएं करेगी। सीएम ने घोषणा की कि ओंकारेश्वर में एक ऑडियो-वीडियो केंद्र भी बनाया जाएगा जिसमें व्यक्ति ब्रह्मांड और आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव कर सकेगा। आदिगुरू शंकराचार्य की मूर्ति की स्थापना के साथ ही ओंकारेश्वर में संग्राहलय एवं अद्वैत वेदान्त शोध संस्थान की स्थापना करने की भी घोषणा की।
इसके अलावा सीएम ने आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन, उनके संदेशों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ओंकारेश्वर में ही आदि गुरु शंकराचार्य को गुरु मिले और यहीं पर उन्होंने नर्मदाष्टक स्त्रोत की रचना की।
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