भैरु सिंह राजपुरोहित, बीकानेर (राजस्थान), NIT; एमजीएसयू के सेंटर फॉर वूमन स्टडीज़ के अंतर्गत बुधवार को विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव कोटडी के विकास चरणों की श्रृंखला में नुक्कड नाटक के माध्यम से बालिका शिक्षा के सद्प्रभावों और बाल विवाह के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम अध्यक्ष सेंटर की डायरेक्टर डाॅ. मेघना शर्मा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला जनजागरण के उद्देशय को लेकर यह आयोजन किया गया है जिसमें महारानी सुदर्शना राजकीय महाविद्यालय की छात्राओं ने आज कोटडी स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में यह नाटक प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि बीकानेर की रंगनेत्री एवं रंगनिर्देशक मंजू रांकावत ने अपने उद्बोधन में समाज के वर्तमान परिदृश्य में नुक्कड़ नाटकों की महत्ता के साथ साथ युवा पीढ़ी को इस विधा के माध्यम से अभिव्यक्ति के सद्प्रयासों की पहल पर मंच से बधाई दी। सेंटर के पदाधिकारियों द्वारा मंजू रांकावत का सम्मान भी किया गया । सेंटर की पदाधिकारी व विश्वविद्यालय के एंटी सेक्सुअल हैरेसमेंट सेल की समन्वयक डाॅ. सीमा शर्मा कि बालिकाओं व महिलाओं को खुलकर उनके साथ होने वाले भेदभाव, क्रूरता और शोषण को स्वयं आगे आकर खत्म करना होगा। कार्यक्रम संयोजक डाॅ. शशि वर्मा ने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओ को जागरूक व स्वावलंबी बनाने के लिए ऐसे नाटकों के आयोजनों को प्रभावी माध्यम बताया। नुक्कड नाटक प्रस्तुत करने वाली एम एस काॅलेज की छात्राओं को अतिथियों द्वारा मंच से स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया गया। कुलपति भगीरथ सिंह ने बताया कि सेंटर आगामी सप्ताह में राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में नारी विषय पर एक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार भी आयोजित कर रहा है ।
गांव की महिला प्रतिनिधि सुशीला ने बेटी व बहु को एक समान अधिकार मिलने की आवशयकता पर बल दिया । अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए गांव के विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती मंजू अग्रवाल ने कहा कि विद्यालय में बालिकाओं की संख्या बालकों से अधिक है और यह गांव लिंग भेद जैसी समस्यायों से मुक्त है, ज़रूरत है विद्यालय को उच्च माध्यमिक स्तर तक क्रमोन्नत की। संचालन सविता चांवरिया ने किया।
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