सलमान चिश्ती, रायबरेली (यूपी), NIT; किसानों की जमीन लेकर बनाई गई नहर में पानी न आना किसानों पर दोहरी मार है। पहले तो नहर के नाम किसानों की जमीन कम कर नहर बनाई जाती है फिर वर्षों तक नहर में पानी नहीं छोडा जाता है, यह शासन प्रशासन की घोर लापरवाही नहीं तो और क्या है। जी हां हम बात कर रहे हैं रायबरेली जिला के नहर की जिसकी वर्षों से न तो सफाई हो रही है और न ही पानी छोडा जा रहा है।
किसानों के लिए सिचाई का सबसे बड़ा साधन नहर है, लेकिन कहीं पानी न आना तो कही नहर सफाई से वंचित है, जिससे किसानों की फसलें सूख रही है और विभाग मौन बना हुआ है। ऐसी ही व्यवस्था छतोह विकास खण्ड के ग्राम पंचायत बारा में डीह रजबहा से निकली बारा माइनर की सफाई तीन साल से नहीं हुई है। बारा माइनर समिति द्वारा कई बार नहर सफाई का प्रस्ताव भेजा गया,जो नहर बिभाग द्वारा आज तक पास नहीं किया गया।पूरी नहर झाड़-झंखाड़ व सिल्ट से पटी पड़ी है।नहर के बीचों-बीच बबूल, गांजा, चिलवल, सरपत आदि कई तरह के पेड़ तैयार हो गये हैं। पूरी नहर जंगल के रूप तब्दील हो गयी है। किसान बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
डीह रजबहा से निकली बारा माइनर से संबंधित किसान बुद्धू, लहूरी, कमलेश शर्मा, अनारकली, अखिलेश सिंह, बजरंगी, रामनरेश, रामभरोसे, राम सरन आदि सैकड़ों किसानों ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मांग की है कि बारा माइनर को साफ करवा कर पानी टेल तक पहुंचाया जाए।
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