फैज़ान खान, गुरुग्राम/नई दिल्ली, NIT:

संविधान निर्माता डॉ० भीमराव अम्बेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर एकलव्य ग्राम खांडसा में पहली बार अदभुत जातीय संगम देखने को मिला। भीम सेना की शाखा खांडसा ने प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हुए पहली बार गांव की 36 बिरादरी को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जिसमें वे सफल भी हो गए। सर्वसमाज के लोगों ने पहली बार सामूहिक रूप से अम्बेडकर जयंती मनाई। ज्ञात हो कि भीम सेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर के सफल प्रयासों के फलस्वरूप पिछले 10 वर्षों से लगातार गांव खांडसा में अम्बेडकर जयंती धूमधाम से मनाई जाती रही है।

इस बार भीम सेना की शाखा खांडसा के कार्यकर्ताओं ने गांव की अम्बेडकर चौपाल में संविधान निर्माता डॉ० अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित करके इतिहास कायम कर दिया है और एक नई मिसाल पेश की है। जानकारी के मुताबिक खांडसा की 36 बिरादरी पहली बार एक मंच पर इक्कठा हुई और सभी ने मिलकर डॉ० अम्बेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। लोग इस पहल की सराहना कर रहे हैं और भीम सेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर के दिमाग का लोहा भी मान रहे हैं जिसने मुंबई में बैठकर अपने दिशा-निर्देशों से असंभव को संभव कर दिखाया। गौरतलब हैं कि भीम सेना के चीफ इस वक्त मुंबई के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।

यह सतपाल तंवर की सूझबूझ और कूटनीति का ही परिणाम है कि पिछले वर्षों दलितों और राजपूतों में हुए भीषण जातीय संघर्ष और विवादों में एकदम से विराम लग गया है। देशभर में भीम सेना की इस पहल की चर्चा जोरों पर है। इस दौरान क्षेत्र के पार्षद अवनीश राघव उर्फ रिंकू और धर्मबीर तंवर नंबरदार ने अपने समर्थकों के साथ अम्बेडकर जयंती उत्सव का शुभारंभ किया। बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के हाथों से केक कटवाकर ग्रामीणों में वितरित किया गया। इस दौरान युवा भीम सैनिकों ने भीम भंडारे का आयोजन को ग्रामीणों को प्रसाद वितरित किया।
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