नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव जीतने वाली बीजेपी ने जनता के मन की बात जाने बिना देवेन्द्र फडणवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना दिया। बीते दो महीनों से रायगढ़ और नासिक का अभिभावक मंत्री पद फडणवीस के पास है। औरंगजेब की कब्र खोदने की ध्यान भटकाव टाइप धार्मिक सनक में नागपुर को जलाया गया। अब टीवी पर नासिक सिंहस्थ कुंभ को लेकर मीडिया ट्रायल द्वारा जनता के भीतर धार्मिकता पैदा की जा रही है। फडणवीस ने बीजेपी के अंदर लाडला मंत्री योजना घोषित कर कई सीनियर मंत्रियों को अपनी शारीरिक और बौद्धिक क्षमता को साबित करने के लिए विवश कर दिया है।

अगर दिल्ली की राष्ट्रीय राजनीति में सब कुछ ठीकठाक रहा तो ढाई साल बाद फडणवीस कैबिनेट में उलटफेर होंगे। प्रयागराज महाकुंभ को सामने रखकर स्वयं देवेन्द्र फडणवीस गिरीश महाजन को साथ लेकर नासिक कुंभ का प्रबंधन कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक 2027 में ग्राम विकास मंत्री जयकुमार गोरे को नासिक कुंभ प्रबंधन का आधिकारिक जिम्मा सौंपा जा सकता है। नासिक जिले के संरक्षक मंत्री पद की रेस से एकनाथ शिंदे और अजीत पवार इन दोनों के सहयोगी दलों को बीजेपी की ओर से आउट किया जा चुका है।
निजी संपत्तियों का ऑडिट आवश्यक: कुंभ का बजट सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा प्लान किया जाता है। हर बारह साल बाद आयोजित होने वाले कुंभ के समापन के बाद महाराष्ट्र और महाराष्ट्र के बाहर खरीदी और बेची जाने वाली निजी संपत्तियों के सरकारी पंजीकरण व्यवहारों की ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इससे जनता को सरकार में बैठे नेताओं की सेवा भावना की प्रामाणिकता पता चलेगी। वैसे ज्ञात हो कि मोदी सरकार द्वारा धारा 370 के कुछ खंड हटाने के बाद 385 कट्टर राष्ट्रवादियों ने जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदी है।
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