अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

उत्तर प्रदेश के कासगंज इलाके में एक नाबालिग बच्ची के साथ हैवानियत की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश देने के बजाय इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राम मनोहर मिश्र द्वारा दिए गए शर्मनाक बयान की ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन (aimss) मध्य प्रदेश कड़ी निंदा की है। संगठन द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि “किसी लड़की के यौन अंगों को पकड़ना और उसके कपड़े उतारने की कोशिश करना बलात्कार का प्रयास नहीं”। यह बयान महिला के प्रति हुए अपराध के प्रति बहुत असंवेदनशील सोच ओर नजरिया दर्शाता है। सभ्य समाज में इस तरह के फैसले के लिए कोई जगह नहीं है।
यह बयान सिर्फ महिलाओं की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला ही नहीं बल्कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा महिलाओं के प्रति किए जाने वाले स्त्री के प्रति रवैये को भी दर्शाता है। हम उम्मीद करते हैं कि न्यायालयों का फैसला समाज में व्याप्त महिलाओं को मात्र एक उपभोग की वस्तु के रूप में देखने की मानसिकता के ऊपर चोंट करने वाला और महिलाओं की गरिमा को समाज में स्थापित करने वाला होना चाहिए लेकिन ऐसा होना तो दूर की बात है हाइकोर्ट के इस फैसले ने महिलाओं के प्रति सामंती नजरिए को मजबूत करने का काम किया है। हम देश के तमाम विवेकशील लोगों ओर विशेषकर महिलाओं से इस फैसले के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने का आह्वान करते हैं और सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर स्वतः संज्ञान लेने की अपील करते हैं।
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