अबरार अहमद खान
भोपाल, NIT; आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक श्री आलोक अग्रवाल ने आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार की मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के द्वारा वर्ष 2013-14 के लेखा अनुसार लेखा सत्यापन में रुपए 9288.53 करोड़ के घाटे की पूर्ति हेतु याचिका मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में लगाई है, यदि यह मांग स्वीकार कर ली जाती है तो मध्यप्रदेश में आम उपभोक्ता की बिजली 2.5 रूपए प्रति यूनिट बढ़ जाएगी। आम आदमी पार्टी इसका कड़ा विरोध करते हुए विद्युत नियामक आयोग में आपत्ति दायर कर रही है और कल 22 नवंबर को सुनवाई में इस वृद्धि को खारिज करने की मांग करेगी।
उल्लेखनीय है कि लगभग रुपए 21000 करोड़ बजट वाले टैरिफ आदेश में रुपए 9288 करोड़ का घाटा टेरिफ आदेश की वास्तविकता व वैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है, तथा इससे ऐसा प्रतीत होता है कि नियामक आयोग द्वारा टैरिफ आदेश जारी करने के बावजूद बिजली कंपनियां सरकारी दबाव में काम करती हैं और अनाप-शनाप बिजली खरीदी, बड़े लोगों की बिल माफी इत्यादि अवैध कामों को आंख मूंदकर जारी रखती हैं।
*सत्यापन का भार आम उपभोक्ता पर क्यों ???*
नियामक आयोग द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के आधार पर ही टैरिफ आदेश जारी किया जाता है आम उपभोक्ता द्वारा रस्म अदाई के तौर पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली जनसुनवाई में उठाए गए मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, तथा वर्षभर फ्यूल कास्ट समायोजन (ऍफ़.सी.ऐ)के नाम पर अतिरिक्त वसूली की जाती है, तब इस सत्यापन के नाम पर अतिरिक्त भार क्यों?
विद्युत कंपनियों द्वारा घाटे का मुख्य कारण लगभग 4000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार बिजली खरीदी के दरों में वृद्धि के कारण रुपए 1569 करोड़ पुराने एरियर्स बिल की माफी, रुपए 980 करोड़ कर्मचारियों के पेंशन फंड में स्थानांतरण हेतु, लगभग रुपए 1000 करोड़ संभवतः सेपरेशन के पूंजीगत व्यय पर ब्याज/लाभ अवक्षयण तथा पावर मैनेजमेंट कंपनी को ₹520 करोड़ का घाटा तथा उपभोक्ताओं की कम बिजली डिमांड से राजस्व की कम प्राप्ति होने को बतलाया है।
*बड़े बकायेदारों को गैरकानूनी माफी, आम जनता से बसूली की तैयारी*
आश्चर्य है कि याचिका में कहा गया है कि 1569 करोड़ बड़े बकायेदारों के माफ कर दिए गए हैं। जबकि नियामक आयोग द्वारा सरकार को मात्र 3 करोड़ बकाया माफ करने की छूट दी गई थी। यह किन लोगों के माफ किए हैं इसकी इसकी सूचना इस याचिका में कहीं नहीं है अतः साफ़ है की बड़ी बड़ी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ की माफी देकर आम जनता से वसूली की तैयारी की जा रही है।
सरकारी प्लांट बंद कर खरीदी जा रही है निजी कंपनियों की महंगी बिजली बतलाये गए कारण सरासर गलत वह बिजली क्षेत्र में व्याप्त कुप्रबंधन को उजागर करते हैं पावर कंपनियों द्वारा प्रदेश के सरकारी क्षेत्र मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी व केंद्रीय क्षेत्र के एन.टी.सी.पी. इत्यादि की सस्ती उपलब्ध बिजली न खरीदकर अवैधानिक विद्युत क्रय अनुबंधों (पी पी ए) के तहत निजी क्षेत्र से अत्यधिक मंहगी दर ₹9.50 प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदी जा रही है, और जिसका भार उपभोक्ताओं पर डालने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है विद्युत कंपनी द्वारा स्वयं सत्यापन याचिका में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार विभिन्न उपक्रमों में बिजलीघरों से प्रदेश की जनता को देने के लिए खरीदी जाने वाली विद्युत की दर निम्नानुसार हैं-
वास्तविक खरीदी गई विद्युत (करोड यूनिट)
खरीदी गई विद्युत हेतु भुगतान की गई रकम (रु करोड में)
खरीदी दर (रु प्रति यूनिट)-1
नर्मदा घाटी आधारित इंदिरा सागर/ओंकारेश्वर/सरदार सरोवर जल विद्युत ग्रह
893.5
1670.68
1.87
2
सेंट्रल सेक्टर के एन.टी.पी.सी/न्युकिल्रर पॉवर/डी वी सी विद्युत गृह)
2059.71
5989.25
2.91
3
म.प्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के ताप व् जल विद्युत गृह
1757.6
5171.82
2.94
निजी विद्युत कंपनिया-4,
लेंको अमरकंटक कोरबा
206.7
643.94
3.12
5
बी. एल. ए पॉवर गाडरवाडा
14.7
66.47
4.52
6
जे.पी.बीना सागर
133
844.69
6.35
7
सुजान (टोरेन्ट अहमदाबाद)
25.77
246.5
9.56
8
*मध्यम अवधि विद्युत खरीदी*
82.1
342.28
4.17
9
अन्य राज्यों को बेचीं गई बिजली
-262.8
-777.5
2.96
निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए, महंगी बिजली खरीद के सस्ते में बेची निजी कंपनियों से अत्याधिक महंगी दर पर बिजली खरीदने तथा लेंको अमरकंटक से पारेषण शुल्क सहित लगभग रुपए 800 करोड़ की बिजली बिना नियामक आयोग के वैधानिक अनुमोदन के खरीदी के कारण औसत बिजली खरीदी की दर अत्यधिक बढ़ गई है, इस अवधि में मध्यम अवधि के अनुबंध के तहत लगभग रुपए 400 करोड़ की बिजली पारेषण शुल्क सहित रुपए आज 4.80 की दर पर खरीदी गई है, जबकि प्रदेश में सरप्लस विद्युत के नाम पर लगभग रुपए 2.70 प्रति यूनिट की औसत दर पर 260 करोड यूनिट अन्य राज्यों को खुले बाजार में बेची गई जिसके कारण लगभग 400 करोड़ का शुद्ध नुकसान हुआ। साफ निजी कंपनियों को फायदा देने के लिए आम जनता का पैसा बर्बाद किया गया।
आम आदमी पार्टी शिवराज सरकार द्वारा बड़ी बड़ी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए आम आदमी की लूट की इस याचिका का कड़ा विरोध करती है। पार्टी इस याचिका के खिलाफ राज्य विद्युत नियामक आयोग में आपत्ति दर्ज कर रही है और कल 22 नवम्बर को होने वाली सुनवाई में इस याचिका को निरस्त करने की मांग की जायेगी। आम आदमी पार्टी चेतावनी देती है कि बिजली के दाम बढ़ाने के किसी भी प्रयास का पुरे प्रदेश में कड़ा विरोध किया जाएगा। आम आदमी पार्टी यह भी मांग करती है कि दिल्ली सरकार की तरह मध्य प्रदेश में भी बिजली के दाम आधे किये जाएँ।
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